कोहरे में भी रेलवे का कवच सिस्टम कैसे ट्रेनों को दिखाता है रास्ता? रेल मंत्री ने शेयर किया वीडियो
India Railway Kavach System: ठंड का मौसम चल रहा है. कई जगहों पर सुबह-शाम घना कोहरा छाया रहता है. ऐसे में ट्रेनों के आपस में टकराने की संभावना बढ़ जाती हैं. भारतीय रेलवे ने दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कवच सिस्टम को तैयार किया है. इस सिस्टम की वजह से दुर्घटनाओं पर अंकुश लग रहा है. आइए, कवच सिस्टम के बारे में विस्तार से जानते हैं...

Kavach System: देश में ट्रेन दुर्घटनाओं को कम करने के लिए भारतीय रेलवे लगातार काम कर रहा है. इसी कड़ी में उसने कवच सिस्टम को तैयार किया है. यह सिस्टम विशेष रूप से कोहरे और धुंधले मौसम में ट्रेनों को सुरक्षित रास्ता दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है.
रेलवे का कवच सिस्टम ट्रेनों के बीच समन्वय स्थापित करके हादसों को रोकने में मदद करता है. इसके साथ ही, यह सिस्टम आपातकालीन स्थिति में ट्रेन को अपने-आप रोक सकता है या उसकी गति को धीमा कर सकता है.
कवच सिस्टम की विशेषताएं
1. रेडार और सेंसर: ट्रेनों पर लगे रेडार और सेंसर कोहरे और धुंधले मौसम में भी ट्रेन के आसपास के क्षेत्र की निगरानी करने में मदद करते हैं.
2. जीपीएस और मैपिंग: कवच सिस्टम में जीपीएस और मैपिंग तकनीक का उपयोग करके ट्रेन की स्थिति और गति की निगरानी की जाती है.
3. स्वचालित ट्रेन नियंत्रण: कवच सिस्टम में स्वचालित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली होती है, जो ट्रेन को सुरक्षित और कुशलता से चलाने में मदद करती है.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शेयर किया वीडियो
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपने X अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो के कैप्शन में उन्होंने लिखा है- बाहर घना कोहरा है. कवच कैब के अंदर ही सिग्नल दिखाता है. लोको पायलट को सिग्नल के लिए बाहर देखने की जरूरत नहीं पड़ती.
अश्विनी वैष्णव ने वीडियो के जरिए कोहरे के मौसम में ट्रेन सुरक्षा सुनिश्चित करने में 'कवच' प्रणाली की भूमिका पर प्रकाश डाला है. वीडियो में देखा जा सकता है कि एक ट्रेन 130 किमी/घंटा की गति से घने कोहरे में आगे बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. बाईं ओर, एक मॉनिटर एक हरे रंग का सिग्नल प्रदर्शित करता है, जो दर्शाता है कि ट्रेन बिना किसी बाधा के आगे बढ़ सकती है.
'कवच' क्या है?
कवच', एक घरेलू स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) तकनीक है, जिसे घने कोहरे, भारी बारिश और ज्यादा तापमान से होने चुनौतियों का समाधान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह ट्रेन की गति की निगरानी करता है और यह सुनिश्चित करता है कि यह सुरक्षित सीमाओं के भीतर रहे. यह दुर्घटनाओं की संभावनाओं को काफी कम कर देता है. कैब के अंदर सिस्टम का रियल टाइम सिग्नल डिस्प्ले यह सुनिश्चित करता है कि ड्राइवर सुरक्षित रूप से संचालन जारी रख सकते हैं, भले ही वे बाहरी संकेतों पर भरोसा न कर सकें.
कवच सिस्टम ट्रेनों को आपस में टकराने से बचाने के लिए लोको टू लोको कम्युनिकेशन का इस्तेमाल करता है. यह सिस्टम खराब मौसम में भी ट्रेन चलाने में मदद करता है. इसके अलावा, रेड लाइट नजरअंदाज करने पर या किसी अन्य खराबी आने पर ट्रेन को अपने-आप रोक देता है.
कवच सिस्टम को लेकर प्रतिबद्ध है सरकार
इस साल की शुरुआत में, रेल मंत्री ने नेशनल लेवल पर कवच सिस्टम को लागू करने की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया, जिसमें 'मिशन मोड' कार्यान्वयन की योजना है. यह कदम कुछ हाई-प्रोफाइल ट्रेन दुर्घटनाओं के बाद उठाया गया है, जिसमें जून 2024 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हुई ट्रेन दुर्घटना भी शामिल है. इसके बाद कवच सिस्टम की स्थापना में तेजी लाने के लिए लगातार आवाजें उठ रही हैं. खासकर उन क्षेत्रों में, जहां कोहरे जैसी स्थिति रहती है.नवंबर 2024 तक, कवच को दक्षिण मध्य रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे क्षेत्रों में 1,548 से अधिक रूट किलोमीटर (RKM) पर तैनात किया जा चुका है. दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा जैसे प्रमुख गलियारों पर भी काम तेजी से आगे बढ़ रहा है.