Begin typing your search...

कौन हैं लंदन की रिसर्चर फ्रांसेस्का ऑर्सिनी जिसे दिल्ली एयरपोर्ट पर नहीं मिली एंट्री? पहले किया गया था ‘ब्लैकलिस्टेड’

लंदन की हिंदी और उर्दू साहित्य विशेषज्ञ प्रोफेसर फ्रांसेस्का ऑर्सिनी को दिल्ली एयरपोर्ट पर भारत में एंट्री देने से रोका गया. सरकार का कहना है कि उन्होंने टूरिस्ट वीज़ा की शर्तों का उल्लंघन कर भारत में शोध कार्य किया था. उन्हें मार्च में ब्लैकलिस्ट किया गया था. अधिकारियों ने कहा कि किसी भी देश को विदेशी नागरिक के प्रवेश को रोकने का संप्रभु अधिकार है.

कौन हैं लंदन की रिसर्चर फ्रांसेस्का ऑर्सिनी जिसे दिल्ली एयरपोर्ट पर नहीं मिली एंट्री? पहले किया गया था ‘ब्लैकलिस्टेड’
X
( Image Source:  X/abhijitmajumder )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 22 Oct 2025 7:52 AM

भारत सरकार ने सोमवार को लंदन की जानी-मानी शिक्षाविद और शोधकर्ता प्रोफेसर फ्रांसेस्का ऑर्सिनी को दिल्ली एयरपोर्ट पर एंट्री देने से मना कर दिया. ऑर्सिनी को ‘ब्लैकलिस्टेड’ घोषित किया गया था क्योंकि उन्होंने पहले टूरिस्ट वीज़ा पर रहते हुए शोध कार्य किया था, जो वीज़ा नियमों का उल्लंघन माना जाता है.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ऑर्सिनी ने पिछली यात्राओं के दौरान टूरिस्ट वीज़ा पर रहते हुए शोध कार्य किया था. भारत में किसी विदेशी नागरिक को शोध कार्य करने के लिए ‘आर’ श्रेणी का विशेष वीज़ा लेना आवश्यक होता है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्होंने वीज़ा नियमों का उल्लंघन किया, जिसके चलते उन्हें ब्लैकलिस्ट किया गया और भारत में प्रवेश से रोका गया.

कौन हैं फ्रांसेस्का ऑर्सिनी?

फ्रांसेस्का ऑर्सिनी लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज, कल्चर्स एंड लिंग्विस्टिक्स में हिंदी और दक्षिण एशियाई साहित्य की प्रोफेसर एमेरिटा हैं. वह हिंदी और उर्दू साहित्य की विशेषज्ञ हैं और दक्षिण एशिया की बहुभाषिक साहित्यिक संस्कृति पर लंबे समय से शोध कर रही हैं. ऑर्सिनी भारत में कई बार आकर शोध कार्य कर चुकी हैं, जिससे यह विवाद शुरू हुआ.

एंट्री देना देश का है अधिकार

अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि किसी भी देश को यह अधिकार है कि वह किसी विदेशी को प्रवेश की अनुमति दे या न दे. इस मामले में ऑर्सिनी पहले से ब्लैकलिस्टेड थीं, इसलिए उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस भेजा गया. सरकार के अनुसार, ब्लैकलिस्ट व्यक्ति को डिपोर्ट करने के समय कोई विशेष कारण बताना आवश्यक नहीं है.

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

यह पहली बार नहीं है जब किसी ब्रिटिश अकादमिक को भारत में प्रवेश से रोका गया हो. पिछले वर्ष फरवरी में यूके की प्रोफेसर निताशा कौल को बेंगलुरु एयरपोर्ट से लौटा दिया गया था. उन पर कश्मीर मुद्दे पर भारत-विरोधी और अलगाववादी विचार फैलाने के आरोप थे. बाद में उनका ‘ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया’ कार्ड भी रद्द कर दिया गया था.

आर वीज़ा की प्रक्रिया और नियम

भारत में शोध कार्य करने के लिए विदेशी नागरिकों को ‘आर’ वीज़ा की जरूरत होती है. इसके लिए आवेदक को अपने शोध का विषय, भारत में जिन स्थानों का दौरा करना है, पिछली यात्राओं का ब्यौरा, किसी मान्यता प्राप्त भारतीय संस्था से संबद्धता प्रमाणपत्र और आर्थिक संसाधनों का विवरण देना होता है. इन नियमों का पालन न करने पर वीज़ा रद्द या प्रवेश पर रोक लगाई जा सकती है.

India News
अगला लेख