कौन हैं मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन, जिन पर महाभियोग लाने की तैयारी में DMK?
तमिलनाडु की राजनीति में मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन के एक फैसले को लेकर विवाद काफी गहरा गया है. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुटी है. जानिए जस्टिस स्वामिनाथन का करियर, चर्चित फैसले और डीएमके नेता क्यों हैं उनसे नाराज?
INDIA गठबंधन के नेताओं ने 9 नवंबर को संसद भवन के अंदर लोकसभा स्पीकर को हाई कोर्ट के जज जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस सौंपा. यह प्रस्ताव उनके उस आदेश के खिलाफ है जिसमें उन्होंने सुब्रमण्य स्वामी मंदिर के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि एक दरगाह के पास दीपस्तंभ पर दीपक जलाया जाए. अगर प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है, तो तीन सदस्यों की एक कमेटी इसकी जांच करेगी। इसके बाद, दोनों सदनों को विशेष बहुमत (दो-तिहाई उपस्थित और मतदान करने वाले, साथ ही कुल सदस्यता का पूर्ण बहुमत) से प्रस्ताव पास करना होगा.
तमिलनाडु यह विवाद तब शुरू हुआ जब 1 दिसंबर को जस्टिस स्वामीनाथन ने हिंदू तमिलर काची के संस्थापक रामा रविकुमार की याचिका पर सुनवाई की और भक्तों को दीपस्तंभ पर कार्तिकई दीपम जलाने की अनुमति दी. जब 3 दिसंबर को कार्तिकई दीपम त्योहार के दौरान इसकी अनुमति नहीं दी गई, तो श्री रविकुमार ने अवमानना याचिका दायर की. उसी दिन, सिंगल-जज बेंच ने श्री रविकुमार और 10 अन्य लोगों को दीपस्तंभ पर दीपक जलाने की अनुमति दी और आदेश दिया कि उन्हें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल द्वारा सुरक्षा दी जाए. लेकिन पुलिस ने सरकारी अवमानना मामले में सरकार की अपील का हवाला देते हुए समूह को पहाड़ी की तलहटी में रोक दिया.
पिछले शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के बाद यह गतिरोध और बढ़ गया. सिंगल-जज के आदेश के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में एक अलग अपील दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की याचिका स्वीकार कर ली है.
तमिलनाडु की राजनीति में उस समय हलचल तेज हो गई, जब द्रविड़ मुनेत्र कड़गम यानी DMK ने मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के संकेत दिए. आरोपों और पलटवार के बीच यह सवाल अहम हो गया है कि आखिर जस्टिस जीआर स्वामीनाथन कौन हैं, उनका न्यायिक सफर कैसा रहा है और वे इससे पहले किन वजहों से चर्चा में रहे हैं.
संसद में न्यायपालिका से जुड़े मामलों पर एक बार फिर हलचल बढ़ गई है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया अभी पूरी भी नहीं हुई कि अब एक और हाई कोर्ट के जज पर कार्रवाई की तैयारी तेज हो गई है.
दरअसल, तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टीद्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच के जज जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है. यह विवाद तब शुरू हुआ जब जस्टिस स्वामीनाथन ने हाल ही में आदेश दिया कि मदुरै की थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ियों की चोटी पर स्थित एक दरगाह के पास मौजूद मंदिर के दीपस्तंभ पर पारंपरिक कार्तिगई दीपम जलाया जाए. यही वहां की परंपरा है.
अपने आदेश में उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह धार्मिक परंपरा किसी भी तरह से दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करती. उन्होंने सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि एक दरगाह के पास दीपदान (स्तंभ) पर दीप जलाए जाएं
जस्टिस स्वामीनाथन के इस आदेश को लेकर राजनीति और धार्मिक समुदायों के बीच भारी विवाद उठ खड़ा हुआ है. विपक्षी दल डीएमके (DMK) ने जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग (Justice Swaminathan Impeachment) लाने की मांग की है.
वहीं, तमिलनाडु सरकार ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए इस आदेश को लागू करने से मना कर दिया. इसके बाद DMK सांसदों ने संसद के शीतकालीन सत्र में जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है. सीपीआई (एम) सु. वेंकटेशन ने कहा, 'हम इंडिया ब्लॉक के सांसदों के हस्ताक्षर करवा रहे हैं और उन्हें कल (9 दिसंबर, 2025) संसद में पेश करेंगे.
DMK महाभियोग क्यों लाना चाहती है?
DMK नेताओं का आरोप है कि जस्टिस स्वामीनाथन की कुछ टिप्पणियां न्यायिक दायरे से बाहर जाती हैं और वे राजनीतिक टिप्पणियों जैसा स्वर रखती हैं. इसी आधार पर पार्टी संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत महाभियोग प्रस्ताव पर विचार कर रही है. हालांकि, यह प्रक्रिया बेहद जटिल और दुर्लभ मानी जाती है.
महाभियोग की प्रक्रिया क्या है?
किसी भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए लोकसभा के 100 सांसदों या राज्यसभा के 50 सांसदों का हाई कोर्ट के किसी जज के विरुद्ध महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर जरूरी होता है. अगर प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है, तो एक तीन-सदस्यीय समिति इसकी जांच करती है.
जांच के बाद दोनों सदनों को विशेष बहुमत यानी दो-तिहाई उपस्थित और मतदान करने वाले, साथ ही कुल सदस्यों के पूर्ण बहुमत से निष्कासन प्रस्ताव पारित करना होता है. अंतिम, राष्ट्रपति निष्कासन आदेश जारी करते हैं. हालांकि, भारत में किसी भी न्यायाधीश पर सफलतापूर्वक महाभियोग नहीं चलाया गया है.
जस्टिस स्वामीनाथन कौन हैं?
जस्टिस स्वामीनाथन का जन्म 1968 में हुआ. वह तिरुवरुर के निवासी हैं. 1991 में वकील बन जाने के बाद उन्होंने 1997 में पुडुचेरी में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी. 2004 में वह मद्रास हाई कोर्ट के मदुरै बेंच में प्रैक्टिस करने लगे. उन्हें 28 जून 2017 को मद्रास हाई कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था. इसके बाद स्वामीनाथन को अप्रैल 2019 में मद्रास हाई कोर्ट का परमानेंट जज नियुक्त किया गया. वह 31 में 2030 को अपने पद से रिटायर होंगे. जस्टिस जी.आर. (गोविंदराजुलु रामास्वामि) अपने तेज टिप्पणियों, सख्त आदेशों और सामाजिक मुद्दों पर स्पष्ट रुख के लिए जाने जाते हैं.





