फडणवीस ने ऐसा क्या किया, धुर विरोधी शिवसेना और एनसीपी भी करने लगे तारीफ?
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस की तारीफ अब विपक्षी नेता भी करने लगे हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो गया... लेकिन यह सही है. बीजेपी के धुर विरोधी शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एससीपी) ने फडणवीस की जमकर तारीफ की है. सुप्रिया सुले ने तो यहां तक कह दिया है कि फडणवीस ही कैबिनेट में शामिल एकमात्र मंत्री हैं, जो पहले दिन से एक्टिव मोड में हैं.
Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस की विपक्षी दलों ने भी प्रशंसा की है. बीजेपी के धुर विरोधी शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एससीपी) ने फडणवीस की तारीफ की है. ऐसा फडणवीस की गढ़चिरौली यात्रा के के बाद हुआ है. इससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फडणवीस की प्रशंसा की थी.
गढ़चिरौली दूरदराज और नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता है. यहां विकास कार्यों को बढ़ाने के लिए फडणवीस ने काफी प्रयास किया है. यही वजह है कि शरद पवार गुट की सांसद सुप्रिया सुले ने नए साल पर उनकी गढ़चिरौली जाने पर तारीफ की है. वहीं, शिवसेना (यूबीटी) ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि फडणवीस ने नक्सल प्रभावित जिले में विकास का एक नया युग शुरू किया है.
'फडणवीस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं'
सुले ने कहा कि आर आर पाटिल ने गृह मंत्री रहने के दौरान गढ़चिरौली में विकास कार्य शुरू किया था. यह देखना अच्छा है कि फडणवीस उस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि फडणवीस कैबिनेट में शामिल एकमात्र मंत्री हैं, जो सरकार बनने के पहले दिन से ही एक्शन मोड में दिखते हैं. कोई अन्य मंत्री अभी तक सक्रिय नहीं दिख रहा है. वही, छगन भुजबल ने कहा कि सीएम क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले के कामों को आगे बढ़ा रहे हैं.
'सामना' में फडणवीस की तारीफ
पिछले कुछ सालों से शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और फडणवीस के बीच जुबानी जंग देखने को मिल रही थी. अब पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में फडणवीस की तारीफ के पुल बांधे गए हैं. सामना के संपादकीय में 'देवाभाऊ, अभिनंदन!'शीर्षक से लिखा गया है कि जब कैबिनेट के कई मंत्री मलाईदार महकमों के लिए अड़े बैठे हुए थे, मुख्यमंत्री फडणवीस गढ़चिरौली पहुंचे और उस नक्सल प्रभावित जिले में विकास के एक नए पर्व की शुरुआत की. जब पूरा देश नए साल के स्वागत और जश्न में मगन था, तब सीएम ने नए साल का पहला दिन गढ़चिरौली में बिताया.
'सामना' में आगे लिखा गया है कि यदि मौजूदा मुख्यमंत्री गढ़चिरौली को ‘नक्सल जिला’ के बजाय ‘स्टील सिटी’ के रूप में नई पहचान देते हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए. फडणवीस गढ़चिरौली को आखिरी नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के पहले जिले के तौर पर पहचान दिलाने की कोशिश करेंगे तो यह गलत नहीं है, लेकिन गढ़चिरौली के विकास का यह ‘बीड़ा’ वहां की आम जनता और गरीब आदिवासियों के लिए ही उठाया है, किसी खनन सम्राट के लिए नहीं, यह कर दिखाने का ख्याल जरूर देवाभाऊ को रखना होगा. तभी उनका यह वादा सच होगा कि गढ़चिरौली के परिवर्तन की शुरुआत नए साल के सूर्योदय से शुरू हो गई है.
'मुख्यमंत्री फडणवीस प्रशंसा के पात्र हैं'
संपादकीय में आगे कहा गया है, 'बीड में बंदूक राज जारी है, लेकिन अगर गढ़चिरौली में संविधान का राज आ रहा है तो मुख्यमंत्री फडणवीस प्रशंसा के पात्र हैं! नक्सलवाद भारतीय समाज पर एक कलंक है. माओवाद के नाम पर जवान लड़के शरीर पर फौजी वर्दी चढ़ाते हैं, बंदूकें उठाते हैं और जंगल से सत्ता के खिलाफ एक समानांतर सशस्त्र सरकार चलाई जाती है. शोषकों और साहूकारी के खिलाफ लड़ा़ई का झांसा देकर बेरोजगारों को नक्सली आर्मी में भर्ती किया जाता है और सरकार के खिलाफ लड़ाया जाता है. ये सब माओवाद के नाम पर किया जाता है.'





