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वक्‍फ बिल पर राज्‍यसभा में आज होगी चर्चा, क्‍या NDA के पास हैं जरूरी नंबर्स? जानें कौन सी पार्टी बनेगी गेम चेंजर

लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 भारी बहस और विरोध के बीच पारित हुआ, जिसमें 288 वोट समर्थन में और 232 विरोध में पड़े. सरकार का दावा है कि इससे वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोका जाएगा, जबकि विपक्ष इसे अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला बता रहा है. राज्यसभा में पास होने के लिए सरकार को 119 वोटों की जरूरत होगी, जहां एनडीए का आंकड़ा 125 और विपक्ष का 95 है.

वक्‍फ बिल पर राज्‍यसभा में आज होगी चर्चा, क्‍या NDA के पास हैं जरूरी नंबर्स? जानें कौन सी पार्टी बनेगी गेम चेंजर
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 3 April 2025 9:43 AM

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को लोकसभा में भारी बहस और विरोध के बीच पारित कर दिया गया. इस बिल के समर्थन में 288 वोट पड़े, जबकि 232 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया. चर्चा के दौरान विपक्ष ने 100 से अधिक संशोधन प्रस्ताव पेश किए, लेकिन सभी संशोधन वोटिंग में खारिज हो गए. सरकार ने तर्क दिया कि यदि यह विधेयक नहीं लाया जाता, तो संसद भवन सहित कई महत्वपूर्ण इमारतें दिल्ली वक्फ बोर्ड के अधिकार में चली जातीं.

सरकार का दावा है कि कांग्रेस के शासनकाल में वक्फ संपत्तियों का समुचित प्रबंधन नहीं हुआ, जिससे केवल मुसलमानों ही नहीं बल्कि पूरे देश की तकदीर प्रभावित हुई. सरकार का यह भी कहना है कि इस विधेयक से वक्फ संपत्तियों के उचित उपयोग और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा. दूसरी ओर, विपक्ष ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों पर प्रहार बताया और आरोप लगाया कि यह समुदायों के बीच दरार पैदा कर सकता है.

राज्यसभा में कितने नंबर की है जरूरत?

राज्यसभा में विधेयक पारित कराने के लिए सरकार को 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी, जबकि एनडीए गठबंधन का आंकड़ा मनोनीत और निर्दलीय सदस्यों सहित 125 तक पहुंचता है. वहीं, विपक्ष के पास 95 सांसद हैं, और 16 सदस्य ऐसे हैं, जिनका रुख अभी स्पष्ट नहीं है. ऐसे में, राज्यसभा में यह बिल पारित कराने के लिए सरकार को अपने समर्थन को बनाए रखना आवश्यक होगा.

एनडीए के सपोर्ट में हैं ये दल

लोकसभा में पेश किए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को लेकर राजनीतिक दलों में साफ विभाजन नजर आया. अब राज्यसभा में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के कुल 125 सांसदों का समर्थन प्राप्त है. इसमें बीजेपी (98), जेडीयू (4), एनसीपी (3), टीडीपी (2), जेडीएस (1), शिवसेना (1), आरपीआई (1), एजीपी (1), आरएलडी (1), यूपीपीएल (1), आरएलएम (1), पीएमके (1), टीएमसी-एम (1), एनपीपी (1), निर्दलीय (2) और मनोनीत (6) सांसद शामिल हैं.

ये दल करेंगे विरोध

दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन के कुल 95 सांसद इसके विधेयक में होंगे. इसमें कांग्रेस (27), टीएमसी (13), डीएमके (10), आम आदमी पार्टी (10), एसपी (4), वाईएसआरसी (7), आरजेडी (5), जेएमएम (3), सीपीआईएम (4), सीपीआई (2), आईयूएमएल (2), एनसीपी-पवार (2), शिवसेना-यूबीटी (2), एजीएम (1), एमडीएमके (1), केसीएम (1) और निर्दलीय (1) शामिल हैं. इसके अलावा कुछ दलों ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है, जिससे विधेयक पर सस्पेंस बना हुआ है. इस श्रेणी में बीआरएस (4), बीजेडी (7), एआईएडीएमके (4) और बीएसपी (1) के कुल 16 सांसद शामिल हैं. इन दलों के फैसले से विधेयक की अंतिम स्थिति पर असर पड़ सकता है.

धार्मिक गतिविधि में नहीं होगा हस्तक्षेप: रिजिजू

लोकसभा में पेश किए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को लेकर तीखी बहस छिड़ गई. केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक किसी भी धार्मिक गतिविधि में हस्तक्षेप नहीं करेगा, बल्कि पारदर्शिता और सुशासन सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है. उन्होंने विपक्ष के दावों को खारिज करते हुए कहा कि 1995 में पारित मूल कानून में भी कई संशोधन हुए थे, लेकिन तब इसे असंवैधानिक नहीं कहा गया.

मुस्लिम समुदाय जल्द समझेंगे फायदे: अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने इस विधेयक को वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग पर रोक लगाने वाला करार दिया. उन्होंने कहा कि कई राज्यों में वक्फ की जमीनों को औने-पौने दामों पर किराये पर देने की मिलीभगत लंबे समय से जारी थी, जिसे यह कानून खत्म करेगा. शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इसका लाभ देश के गरीबों को मिलेगा, न कि चंद प्रभावशाली लोगों को. उन्होंने भरोसा जताया कि चार साल के भीतर मुस्लिम समुदाय को इस कानून के फायदे समझ में आ जाएंगे.

ओवैसी ने फाड़ी विधेयक की प्रतियां

इस विधेयक का विरोध करते हुए एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का उद्देश्य मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाना है. अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए, ओवैसी ने संसद में विधेयक की प्रतियां फाड़ दीं. उन्होंने सरकार पर महिला सशक्तिकरण को लेकर दोहरे मानदंड अपनाने का भी आरोप लगाया और बिलकिस बानो मामले का जिक्र करते हुए सवाल उठाए.

वक्फ बोर्ड
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