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असम में राजधानी एक्सप्रेस से टकराया हाथियों का झुंड, 8 हाथी की मौत; इंजन समेत 5 कोच पटरी से उतरे | Video

असम के होजाई जिले में शनिवार तड़के एक दर्दनाक रेल हादसा हुआ, जब सैरांग–नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस हाथियों के झुंड से टकरा गई. इस भीषण टक्कर में आठ हाथियों की मौत हो गई और एक गंभीर रूप से घायल है, जबकि ट्रेन का इंजन और पांच कोच पटरी से उतर गए. राहत की बात यह रही कि किसी भी यात्री को चोट नहीं आई. रेलवे और वन विभाग की टीमें मौके पर पहुंच गईं और राहत कार्य शुरू कर दिया गया. यह हादसा वन्यजीव संरक्षण, रेलवे सुरक्षा और हाथी कॉरिडोर की पहचान पर गंभीर सवाल खड़े करता है.

असम में राजधानी एक्सप्रेस से टकराया हाथियों का झुंड, 8 हाथी की मौत; इंजन समेत 5 कोच पटरी से उतरे | Video
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( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 20 Dec 2025 11:13 AM IST

असम में शनिवार को तेज रफ्तार राजधानी एक्सप्रेस और जंगल से निकलकर ट्रैक पर आए हाथियों के झुंड की टक्कर ने न सिर्फ आठ बेजुबान जानें ले लीं, बल्कि रेलवे सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण पर भी बड़े सवाल खड़े कर दिए. यह हादसा असम के होजाई जिले में उस वक्त हुआ, जब अधिकतर यात्री गहरी नींद में थे.

गनीमत रही कि इतनी बड़ी टक्कर और इंजन सहित कई डिब्बों के पटरी से उतरने के बावजूद एक भी यात्री घायल नहीं हुआ. लेकिन हाथियों की मौत और एक के गंभीर रूप से घायल होने की खबर ने इस घटना को केवल रेल हादसा नहीं, बल्कि मानवीय लापरवाही बनाम प्रकृति की टकराहट की कहानी बना दिया.

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ट्रैक पर अचानक आया हाथियों का झुंड

रेलवे और वन विभाग के मुताबिक, तड़के सैरांग–नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस जब होजाई जिले के जंगल क्षेत्र से गुजर रही थी, तभी हाथियों का एक झुंड रेलवे ट्रैक पर आ गया. लोको पायलट ने हाथियों को देखकर इमरजेंसी ब्रेक लगाए, लेकिन उसी क्षण हाथी ट्रेन की दिशा में बढ़ गए, जिससे टक्कर टल नहीं सकी.

पटरी से उतरे इंजन समेत पांच कोच

टक्कर इतनी भीषण थी कि ट्रेन का इंजन और पांच कोच पटरी से उतर गए. नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे (NFR) के अनुसार, दुर्घटना स्थल गुवाहाटी से लगभग 126 किलोमीटर दूर है. राहत की बात यह रही कि किसी भी यात्री को चोट नहीं आई, लेकिन ट्रेन को भारी नुकसान पहुंचा.

यात्रियों की सुरक्षा, राहत कार्य तुरंत शुरू

हादसे के तुरंत बाद रेलवे ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया. दुर्घटना राहत ट्रेनें मौके पर भेजी गईं और वरिष्ठ रेल अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे. प्रभावित कोचों के यात्रियों को अन्य खाली कोचों में अस्थायी रूप से शिफ्ट किया गया, ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो.

हेल्पलाइन एक्टिव, यात्रियों को दी गई जानकारी

यात्रियों और उनके परिजनों के लिए गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए. रेलवे अधिकारियों ने लगातार अनाउंसमेंट और अपडेट देकर स्थिति को संभाले रखा, जिससे अफवाहों पर भी रोक लगी.

क्या यह हाथी कॉरिडोर था?

रेलवे और वन विभाग दोनों ने साफ किया कि हादसे की जगह को आधिकारिक तौर पर हाथी कॉरिडोर घोषित नहीं किया गया है. यही बात सबसे ज्यादा चिंता बढ़ाने वाली है, क्योंकि यह दिखाता है कि हाथियों की आवाजाही अब उन इलाकों में भी बढ़ रही है, जिन्हें सुरक्षित नहीं माना जाता था.

रेल यातायात प्रभावित, रूट बदले गए

हादसे के बाद जामुनामुख–कंपूर सेक्शन पर रेल यातायात प्रभावित हुआ. कई ट्रेनों को अप लाइन से डायवर्ट किया गया. पटरी बहाली का काम तेजी से शुरू किया गया ताकि जल्द से जल्द सामान्य परिचालन बहाल किया जा सके.

एक हादसा, कई सवाल

यह घटना सिर्फ एक ट्रेन दुर्घटना नहीं है, बल्कि इंसानी विकास और वन्यजीवों के बीच बढ़ते टकराव का संकेत है. सवाल यह है कि क्या रेलवे ट्रैक के आसपास हाथियों की मूवमेंट को लेकर निगरानी तंत्र मजबूत है? और क्या ऐसे हादसों को रोकने के लिए तकनीक और चेतावनी सिस्टम को और बेहतर नहीं किया जाना चाहिए? असम का यह हादसा आने वाले समय में रेलवे सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण नीति पर नई बहस छेड़ने वाला है.

असम न्‍यूज
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