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हफ्तों की सुनियोजित तैयारी+ जमीनी मदद= पहलगाम हमला, बैसरन के अलावा 3 और जगहों की दहशतगर्दों ने की थी रेकी!

22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले से पहले आतंकवादियों ने बैसरन, अरु, बेताब और एक स्थानीय पार्क की रेकी की थी. एक गिरफ्तार ओवर ग्राउंड वर्कर से मिली जानकारी के बाद NIA ने 20 से अधिक स्थानीय मददगारों की पहचान की है. सैटेलाइट फोन, विदेशी आतंकी कनेक्शन और प्रतिबंधित संगठनों से लिंक की जांच तेज़ कर दी गई है. छापेमारी में बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है.

हफ्तों की सुनियोजित तैयारी+ जमीनी मदद= पहलगाम हमला, बैसरन के अलावा 3 और जगहों की दहशतगर्दों ने की थी रेकी!
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 1 May 2025 1:10 PM IST

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भयानक हमले में 26 मासूम पर्यटकों की जान गई. लेकिन अब सामने आया है कि यह हमला अचानक नहीं था, बल्कि हफ्तों की सुनियोजित तैयारी और जमीनी मदद का नतीजा था. जांच में सामने आया है कि आतंकी कम से कम चार पर्यटक स्थलों बैसरन, अरु, बेताब और एक स्थानीय मनोरंजन पार्क की टोह लेकर संभावित नरसंहार की योजना बना चुके थे.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की छानबीन में यह स्पष्ट हुआ है कि 15 अप्रैल को ही आतंकी पहलगाम में दाखिल हो गए थे. बैसरन घाटी में उनकी मौजूदगी का सुराग एक गिरफ्तार ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) की पूछताछ में मिला. बताया जा रहा है कि सुरक्षा बलों की सतर्कता के चलते तीन अन्य स्थानों को टारगेट नहीं बनाया गया, लेकिन पहलगाम आखिरकार इस योजना का शिकार बना.

20 से अधिक ओजीडब्ल्यू की हुई पहचान

एनआईए ने अब तक 20 से अधिक ओजीडब्ल्यू की पहचान की है जो विदेशी आतंकियों को स्थानीय रसद और रेकी में सहयोग दे रहे थे. इनमें से कई को हिरासत में ले लिया गया है. शुरुआती जांच में कम से कम चार स्थानीय सहयोगी ऐसे मिले हैं जिन्होंने सैटेलाइट फोन के ज़रिए सीमा पार से आए आतंकियों को निर्देश, नक्शे और मदद पहुंचाई.

8 से ज्यादा जिलों में हुई छापेमारी

हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के आठ से अधिक जिलों में सघन छापेमारी की गई, जिसमें जमात-ए-इस्लामी और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े घरों को खंगाला गया. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इन प्रतिबंधित संगठनों ने गुप्त रूप से एक सक्रिय नेटवर्क बना रखा है, जिसने इस हमले की योजना में सहयोग दिया.

कॉल्स की हो रही जांच

फोन रिकॉर्डिंग और डिजिटल साक्ष्यों से कई चौंकाने वाले लिंक सामने आए हैं. NIA अब उन कॉल्स की बारीकी से जांच कर रही है जो पहलगाम हमले से पहले OGW और इन कट्टर संगठनों के बीच हुई थीं. इस हमले ने साफ कर दिया है कि आतंकी केवल सीमाओं पर ही नहीं, पर्यटन स्थलों की शांति में भी ज़हर घोलने की तैयारी में लगे हैं. अब भारत को जवाब देने की ज़रूरत डिजिटल से लेकर ज़मीनी स्तर तक है.

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