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बच्ची को Bad Touch पता है... बॉम्बे HC ने पूर्व सैनिक की 5 पांच जेल की सजा को रखा बरकरार

Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने नाबालिग के साथ छेड़छाड़ पर पूर्व सैनिक को पांच साल की जेल की सजा सुनाई है. उस पर 11 साल की बच्ची को गलत तरह से छूने का आरोप था. सुनवाई के दौरान पीड़िता ने अपने साथ हुई घटना को इशारों में कोर्ट को बताया. कोर्ट ने कहा कि पीड़ित बच्ची "बैड टच" के बारे में अच्छी तरह से जानती थी.

बच्ची को Bad Touch पता है... बॉम्बे HC ने पूर्व सैनिक की 5 पांच जेल की सजा को रखा बरकरार
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( Image Source:  canva )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 19 Feb 2025 10:53 AM IST

Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को 11 साल की बच्ची के छेड़छाड़ के आरोपी पूर्व सेना अधिकारी को 5 साल जेल की सजा सुनाई है. आरोपी पीड़ित बच्ची के पिता का दोस्त था. कोर्ट ने कहा कि पीड़ित बच्ची "बैड टच" के बारे में अच्छी तरह से जानती थी. उसके साथ जो हुआ वही उसने बताया. इसलिए अदालत ने आरोपी को सजा सुनाई.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को हाई कोर्ट के जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. अदालत में बच्ची ने बताया कि उसके पिता के कमरे से चले जाने के बाद आरोपी ने उसके साथ किस प्रकार का व्यवहार किया था. बेंच ने आरोपी दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एएफटी के नवरी 2024 के सुनाए फैसले को चुनौती दी गई थी.

5 साल की सुनाई सजा

इस मामले में जनरल कोर्ट मार्शल (जीसीएम) आरोपी को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी. आरोपी ने बाद में इस हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन कोर्ट ने मार्शल के फैसले को बरकरार रखा. बता दें कि मार्च 2021 में, सेना की जीसीएम ने आरोपी को POCSO अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न करने का दोषी ठहराया था.

पूर्व सैनिक का दावा

पूर्व सैन्य अधिकारी ने हाई कोर्ट में अपनी याचिका में दावा किया कि उसका कोई गलत इरादा नहीं था और उसने बच्ची को छुआ था. मैं बच्ची से उसके पिता और दादा की तरह प्यार करता हूं. इरादे से बच्ची से किस करने को कहा था, लेकिन इसका मेरा कोई गलत इरादा नहीं था. इस पर कोर्ट ने उसकी बात को स्वीकार करने से मना कर दिया. अदालत ने कहा कि पीड़ित लड़की की आरोपी के बैड टच को पहचानने की सहज प्रवृत्ति पर विश्वास किया जाना चाहिए.

बच्ची ने बताया सच

हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने जीसीएम के सामने दिए गए अपने बयान में इस बात से पूरी तरह इनकार किया है कि आरोपी ने उसे किसी बुरी नीयत से नहीं छुआ था और यह उसके माता-पिता या दादा के स्पर्श जैसा था. लड़की आरोपी से पहली बार मिली थी और उसके लिए कोई कारण नहीं था कि वह उसकी हथेली पढ़ने के बहाने उसका हाथ पकड़े, उसकी जांघ को छूए और उसे चूमने का अनुरोध करे. हाईकोर्ट कहा, "लड़की को तुरंत ही बुरा स्पर्श महसूस हुआ और उसने तुरंत अपने पिता को इसकी सूचना दी. इस बयान के देखते हुए, हम जीसीएम या एएफटी के निष्कर्षों पर कोई मुद्दा उठाने या उनसे असहमति जताने में असमर्थ हैं."

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