क्या 13 साल का स्टूडेंट कर सकता है किसी महिला को प्रेग्नेंट? जानिए क्या कहता है मेडिकल साइंस और कानून
गुजरात के सूरत में 23 वर्षीय ट्यूशन टीचर के अपने 13 वर्षीय छात्र से गर्भवती होने का मामला सामने आया है. यह घटना न केवल शिक्षक-छात्र के रिश्ते को कलंकित करती है बल्कि भारतीय सामाजिक मूल्यों और कानून पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है. मेडिकल विशेषज्ञ मानते हैं कि जैविक रूप से किशोर उम्र में पितृत्व संभव है, लेकिन यह कानूनन बाल यौन शोषण है. शिक्षिका पांच महीने की गर्भवती है और पुलिस की गिरफ्त में है.

Surat Teacher Student Sex Scandal: इन दिनों गुजरात के सुरत से एक खबर काफी चर्चा में बनी हुई है, जिसमें 13 साल के अपने ही ट्यूशन-स्टूडेंट से 23 साल की कलियुगी शिक्षिका (Surat Tuition Teacher Student Sex Scandal) का गर्भवती हो जाना. फिलहाल यहां बात करते हैं सूरत में सामने आए ट्यूशन टीचर -स्टूडेंट के सेक्स-स्कैंडल (Tuition Teacher Sex Scandal) पर. अब तक भारत में तो यही सुना जाता था कि लीक से उतरे कलियुगी किसी शिक्षक ने, अपने छात्र या छात्रा को यौन शोषण किया.
इस बार सूरत की शिक्षिका ने तो बेहद खतरनाक सेक्स-स्कैंडल (Sex Scandal) अंजाम देकर देश की चिकित्सा, कानूनी-सामाजिक और शिक्षिका-छात्र के बीच पवित्र संबंधों की ही बखिया उधेड़ डाली है. फिलहाल उम्र में 10 साल छोटे ट्यूशन स्टूडेंट से, 5 महीने की गर्भवती हो चुकी कलियुगी शिक्षिका सूरत पुलिस के शिकंजे में है. शर्मनाक कहिए या फिर ज्वलंत और भारत की सामाजिक मर्यादाओं को तार-तार करती सच्ची घटना के वर्तमान और भविष्य को लेकर क्या सोचते हैं, भारत के कानूनविद, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ और मनोचिकित्सक? स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर (क्राइम इनवेस्टीगेशन) ने एक्सक्लूसिव बात करके जाना.
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस (रिटा.) शिव नारायण ढींगरा:
यह पॉक्सो एक्ट के अंदर भारत में गंभीर अपराध है. क्योंकि स्टूडेंट की उम्र 18 साल से कम यानी महज अभी 13 वर्ष ही है. अभियुक्त महिला शिक्षिका की उम्र 18 से ऊपर 23-24 साल है. तो वह पॉक्सो एक्ट की उसी तरह की मुलजिम बनाई गई है जैसे कि, कोई पुरुष या युवक (18 साल से ऊपर) किसी नाबालिग लड़की के साथ कोई यौन उत्पीड़न की घटना को अंजाम देता. महिला बालिग है. पुलिस इस बात की जांच करेगी कि, महिला शिक्षिका ने कैसे अपने स्टूडेंट को उस स्तर तक बहलाया फुसलाया कि, वो शारीरिक संबंध बनाकर, अपने ही 13 साल की उम्र के स्टूडेंट से गर्भवती भी हो गई? बालिग होते हुए भी यह सब करके महिला शिक्षिका ने गंभीर अपराध को अंजाम दिया है.
भ्रूण हटाने-पालने का फैसला शिक्षिका करेगी
दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एस एन ढींगरा (Justice S N Dhingra) आगे कहते हैं, “चूंकि बालिग होते हुए महिला ने अपराध को अंजाम दिया है. तो उसके खिलाफ जांच एजेंसी (सूरत पुलिस) पॉक्सो एक्ट की अलग अलग संबंधित धाराओं में ही चार्जशीट भी अदालत में दाखिल करेगी. चूंकि महिला गर्भवती भी है. इसलिए उसके ऊपर कोई लीनियंसी नहीं दिखाई जाएगी. महिला गर्भ को हटाना चाहती है या फिर वह स्टूडेंट से गर्भधारण के बाद गर्भ में पल रहे भ्रूण को बच्चे के रूप में जन्म देना चाहती है? यह सब कुछ मुलजिम महिला शिक्षिका के स्व-विवेक पर निर्भर करेगा. गर्भ से भ्रूण को हटाने और न हटाने का फैसला आरोपी महिला का होगा. भारत का कानून में महिला के इस ह़क पर शायद कुछ विशेष नहीं कर सकता है. भारत का कानून महिला को आरोपी होने के बावजूद भी यह फोर्स नहीं कर सकता है कि वह गर्भ में पल रहे भ्रूण को हटवाए या नष्ट करे.”
13 साल का स्टूडेंट कानूनी पिता-पति बन सकेगा?
एक सवाल के जवाब में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस ढींगरा कहते हैं, “गंभीर बात यह है कि मान लो आरोपी शिक्षिका ने गर्भ में पल रहे पांच महीने के भ्रूण को नहीं हटाया. उसे पालकर जन्म दिया. तब तो उस हाल में 13 साल की उम्र का पीड़ित स्टूडेंट ही बच्चे का जैविक पिता होगा. ऐसी स्थिति में और अगर पीड़ित स्टूडेंट का परिवार चाहेगा तो, कोर्ट महिला को यह आदेश दे सकती है कि, महिला कहीं भी कभी भी आइंदा पीड़ित स्टूडेंट को अपनी कोख से जन्मे बच्चे का पिता नहीं बताएगी. क्योंकि 13 साल का पीड़ित स्टूडेंट अभी अपना कानूनन मशविरा देने या अपनी जिंदगी के बारे में कोई फैसला लेने का कानूनी हक नहीं रखता है. इसलिए पीड़ित स्टूडेंट के मां-बाप जो चाहेंगे कोर्ट उस पर भी डायरेक्शन दे सकता है. यह सब कानूनी प्रक्रिया शुरू में ट्रायल कोर्ट को ही पूरी करनी है. क्योंकि मुकदमा ट्रायल कोर्ट में चलेगा. वहीं महिला के ऊपर आरोप तय होंगे.”
पीड़ित स्टूडेंट, महिला टीचर -बच्चे की तिकड़ी
दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एस एन ढींगरा (Justice Shiv Narayan Dhingra) कहते हैं, “मुकदमा बेशक आज के कानूनी हालातों पर भले चले. अगर आज 13 साल की उम्र का पीड़ित छात्र बालिग होने के बाद, चाहेगा तो वह मामले की मुलजिम महिला शिक्षिका को कानूनन पत्नी और उसके गर्भ से जन्म लेने वाले बच्चे का खुद को कानूनन पिता घोषित कर सकता है. मगर यह तभी होगा जब बालिग होने पर स्टूडेंट चाहेगा. हां, मुकदमे के दौरान अगर यह स्थिति आती है कि आरोपी महिला शिक्षिका अगर पीड़ित उस स्टूडेंट से मिलना चाहेगी जिससे अवैध शारीरिक संबंध बनाकर वह गर्भवती हुई है, तो यह भी पीड़ित स्टूडेंट के माता-पिता पर निर्भर करेगा, न कि बच्चे को यह फैसला लेने का कोई कानूनी हक है कि, वो आरोपी महिला से अपनी मर्जी से मिल सकेगा.
छात्र के जीवन में जहर घोल गई 23 साल की टीचर
Dr. R K Chaddha HOD Psychiatrist (Rtd) AIIMS बोले...
13 साल की उम्र में 23 साल की अपनी ही ट्यूशन शिक्षिका की मर्जी-जबरदस्ती से उसे 5 महीने का गर्भधारण करा चुके, पीड़ित छात्र के मानसिक-सामाजिक व्यवहार में आ चुके या आइंदा आने वाले बदलाव पर बात की गई देश के मशहूर मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. आर के चड्ढा से. Dr. Rakesh K Chaddha अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS DELHI) नई दिल्ली के पूर्व मनोरोग विशेषज्ञ हैं. इस वक्त डॉ. राकेश चड्ढा (Psychiatrist Dr Rakesh Kumar Chaddha) डॉ. आर के चड्ढा फरीदाबाद स्थित अमृता हॉस्पिटल (Amrita Hospital Faridabad) में मनोरोग चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष हैं. डॉ. चड्ढा ने कहा, “महिला टीचर का जहां तक सवाल है उसने 13 साल के ही अपने स्टूडेंट का यौन उत्पीड़न किया है. मुझे नहीं लगता है कि 13 साल के उस बच्चे ने वह सब इतनी कम उम्र में पहले कभी देखा या बर्दाश्त किया होगा जितना कि, आरोपी 23 साल की उसकी महिला ट्यूशन टीचर ने बच्चे को मानसिक-शारीरिक, यौन और भावनात्मक व सामाजिक रूप से प्रेशर में ला दिया है. इस उम्र के बच्चों के वर्तमान और भविष्य दोनो की ही नजर से यह बेहद घातक हो सकता है.”
महिला टीचर की सोच एंटी सोशल और अपरिपक्व
उत्तर पूर्वी दिल्ली में स्थित इबहास यानी इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइट साइंसेज (Institute of Human Behaviour and Allied Sciences IBHASS) के मशहूर पूर्व मनोरोग चिकित्सक (सायकाइट्रिस्ट) डॉ. राकेश कुमार चडढा आगे कहते हैं, “23 साल की बालिग महिला ट्यूशन टीचर ने जिस तरह से 13 साल के स्टूडेंट के साथ फिजीकल रिलेशन बनाए हैं, इससे साफ है कि उस महिला टीचर के भी दिमाग में सोच में बड़े स्तर पर एंटी सोशल एलीमेंट जरूर मौजूद होंगे. ऐसा कोई तभी कर पाता है जब उसमें उम्र के हिसाब से (आरोपी महिला ट्यूशन टीचर) परिपक्वता की कमी रहती है. ऐसी आरोपी महिला टीचर की सोच-मानसिक हालत, सामान्य महिला की सी बिलकुल नहीं हो सकती है.”
महिला ने सिर्फ अपने खुशी-सुरक्षा की सोची
डॉ. आर के चड्ढा कहते हैं, “आरोपी महिला के अंदर काफी असुरक्षा की भावना पहले से जरूर रही होगी. संभव है कि वह अपनी बीती जिंदगी में किसी हादसे से डरी हुई हो. इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि महिला को साथ कोई वह हादसा-घटना घटी हो, जिसके चलते अपने अंदर मौजूद काम-यौन-भावना को वह हमउम्र या किसी पुरुष पार्टनर के साथ न बांट सकी हो. इसलिए उसने अपनी उम्र से 10 साल छोटे यानी 13 साल के अपने ही ट्यूशन स्टूडेंट को अपनी संतुष्टि के लिए खोज लिया. इससे उसे (महिला टीचर) को लगा होगा कि, बात खुलेगी नहीं. और उसकी मंशा भी चोरी-छिपे पूरी होती रहेगी. मतलब, यह सब महिला ने अगर इतने छोटे बच्चे के साथ किया है, तो इसमें भी महिला ने अपनी सुरक्षा-संतुष्टि को प्राथमिकता दी है. न कि उसने सामाजिक, मानसिक, व्यवहारिक किसी बात का ख्याल रखा है. हां, एक मनोरोग चिकित्सक की हैसियत से सोचूं तो मुझे चिंता 13 साल के स्टूडेंट की है. वह कहीं बेहतर काउंसिलिंग के अभाव में इस मुसीबत के चलते और किसी नई मुसीबत में न फंसने पाए.”
40 साल की डॉक्टरी में ऐसा न देखा न सुना
23 साल की ट्यूशन टीचर द्वारा अपने ही 10 साल छोटी उम्र के स्टूडेंट के साथ सेक्स करके गर्भधारण की घटना स्टेट मिरर से सुनकर प्रोफेसर (डॉ) जे बी शर्मा (Dr J B Sharma) हैरान रह गए. नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS New Delhi) के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग से यूनिट हेड के पद से रिटायर देश के मशहूर डॉ. जेबी शर्मा (इस वक्त गाजियाबाद, इंदिरापुरम स्थित यशोदा मेडिसिटी हॉस्पिटल में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभागाध्यक्ष) ने कहा, ‘मैने 40 साल की डॉक्टरी में ऐसा केस भारत में नहीं देखा. जिसमें किसी महिला टीचर ने अपने इतनी कम उम्र के 10 साल छोटे छात्र से ही न केवल अवैध संबंध बना लिए हों. अपितु महिला टीचर 13 साल के अपने ट्यूशन स्टूडेंट से 5 महीने की गर्भवती भी हो गई.’
13 साल का बच्चा गर्भधारण कराने में सक्षम
अपनी बात को जारी रखते हुए डॉ. जेबी शर्मा कहते हैं, “अमेरिका में तो सुना था कि, किसी प्रौढ़ टीचर ने लंबे समय तक स्कूल से लेकर घर और स्वीमिंग पूल, क्लासरूम तक में इस तरह के सेक्स-फिजिकल रिलेशन बनाए थे. उस टीचर को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया और उसके खिलाफ अमेरिका में लीगल एक्शन हुआ. भारत में ऐसा देख-सुनकर हैरान हूं. जहां तक बात 13 साल के बच्चे द्वारा 23 साल की महिला टीचर को गर्भधारण करा देने की सामर्थ्य की बात है, तो 12 साल और उससे ऊपर के बच्चे (मेल) के स्पर्म-सीमन में इतनी शक्ति होती है कि वह किसी महिला को गर्भधारण करवा सके. 13 साल के बच्चे (मेल) में इरेक्शन हो सकती है. वह सेक्स करने के लायक भी हो जाता है. लेकिन इतनी कम उम्र के बच्चे को सेक्स को लेकर जब कुछ पता ही नहीं होता है, तो इस मामले में तो बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ने के बहुत चांस हैं. इसमें केस में टीचर और बच्चे दोनों ने ही इन संबंधों के बाद की परेशानियों के बारे में तो सोचा ही नहीं है.
बच्चे को जन्म देने का महिला का कानूनी ह़क
अगर लेडी टीचर ने बच्चे को जन्म दे दिया. तो उसके बाद तमाम कानूनी पचड़े खड़े होंगे. हालांकि, अगर महिला चाहेगी तो वह गर्भ में पल रहे गैर-कानूनी भ्रूण को, बच्चे के रूप में कानूनन जन्म देने का ह़क रखती है. चूंकि महिला परिपक्व है. उसका शरीर गर्भधारण के योग्य है. इसलिए अगर वह बच्चे को जन्म देगी तो, जन्म लेने वाले बच्चे के स्वास्थ्य में कोई कमी नहीं होगी. बशर्ते महिला को लगातार प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की निगरानी में रखा जाए. '