मीडिया ट्रायल के नाम पर आग न लगाएं इन्फ्लुएंसर, वजाहत खान मामले में सुनवाई के बाद SC जज बोले - 'वरना हम बताएंगें लक्ष्मण रेखा'
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर वजाहत खान और शर्मिष्ठा पनोली से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख के संकेत दिए हैं. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि मीडिया ट्रायल और सोशल मीडिया पर चल रहे अभियान न्याय प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं. जजों ने इन्फ्लुएंसर्स को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आप सीमा नहीं समझते, तो लक्ष्मण रेखा हम खींचेंगे.

इंस्टाग्राम-यूट्यूब की दुनिया के स्टार्स अब सुप्रीम कोर्ट के रडार पर आ गए हैं. सोमवार को वजाहत खान और शर्मिष्ठा पनोली जैसे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के बयानों से उठी आग जब कोर्ट तक पहुंची, तो सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र सरकार से अभद्र भाषा को नियंत्रित करने को कहा. शीर्ष अदालत ने सरकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पवित्रता का उल्लंघन किए बिना ऐसा करने करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट के जजों ने दो टूक शब्दों में कहा, "मीडिया ट्रायल के नाम पर कानून को मत जलाइए, वरना लक्ष्मण रेखा हम खींच देंगे."
सुप्रीम कोर्ट की ओर से सोशल मीडिसा इन्फ्लूएंसरों को यह सिर्फ एक चेतावनी नहीं, एक इशारा है उस बेलगाम भाषा को लेकर जिसकी वजह से माहौल खराब होते हैं. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने वजाहत खान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए. कोई भी नहीं चाहता कि राज्य इसे नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करे.
अदालत ने सरकार से मांगे सुझाव ?
सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए अभद्र भाषा को नियंत्रित करने का केंद्र और राज्य सरकार से आग्रह किया. पीठ ने सवाल किया कि जनता अभद्र भाषा को क्यों बर्दाश्त करती है. अदालत ने नियमन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने के लिए सुझाव मांगे भी सरकार से मांगे हैं.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, "लोगों को ऐसा भाषण अप्रिय और अनुचित क्यों नहीं लगता?" "सामग्री का कुछ नियमन होना चाहिए और नागरिकों को इस तरह के अभद्र भाषा वाले भाषणों को शेयर और लाइक करने से खुद को रोकना चाहिए." शीर्ष अदालत ने राज्यों, केंद्र और वजाहत खान की ओर से पेश हुए वकील से उन तरीकों के बारे में सुझाव देने को कहा, जिनसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाए बिना अभद्र भाषा को नियंत्रित किया जा सके.
सोशल मीडिया पर कथित तौर पर नफरत और सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने वाली सामग्री पोस्ट करने के आरोप में वजाहत खान के खिलाफ विभिन्न राज्यों में मामले दर्ज हैं. पश्चिम बंगाल में दर्ज दो एफआईआर के लिए वह न्यायिक हिरासत में थे. 3 जुलाई को कोलकाता की एक निचली अदालत ने उन्हें जमानत दे दी.
शीर्ष अदालत की यह ताजा टिप्पणी पश्चिम बंगाल के बाहर उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर में वजाहत खान की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के तीन हफ्ते बाद आई है.
वजाहत खान ने माफी मांग ली है
वजाहत खान को राहत देते हुए अदालत ने कहा, "और एफआईआर दर्ज करने और व्यक्ति को जेल में डालने का क्या मतलब है?" इस पर, खान के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने अपने पहले के ट्वीट्स के लिए माफी मांग ली है. वे ट्वीट पुराने थे और कुछ घटनाओं की प्रतिक्रिया में थे, लेकिन इस व्यक्ति विशेष के दृष्टिकोण से मैं केवल यह अनुरोध कर रहा हूं कि एफआईआर यहां दर्ज की जाएं. ताकि यह देखा जा सके कि क्या वे वास्तव में ट्वीट से संबंधित हैं या नहीं.
पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस न्यायमूर्ति विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केंद्र और असम, दिल्ली, हरियाणा और पश्चिम बंगाल राज्यों को नोटिस जारी कर खान की उस याचिका पर जवाब देने को कहा था जिसमें उन्होंने कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज एफ़आईआर को एक साथ जोड़ने की मांग की थी.
वजाहत खान 9 जून को हुए थे गिरफ्तार
बता दें कि वजाहत खान पर सोशल मीडिया पर कथित तौर पर नफरत और सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने वाली सामग्री पोस्ट करने के आरोप में कई राज्यों में मामला दर्ज किया गया है. वह पहले से ही एक एफआईआर में पुलिस हिरासत में और दूसरी में न्यायिक हिरासत में हैं. दोनों ही पश्चिम बंगाल में दर्ज हैं. उन्हें 9 जून को गिरफ्तार किया था.