'देश खतरे में हो तो सुप्रीम कोर्ट अलग नहीं रह सकता', होने वाले CJI जस्टिस गवई ने क्यों कही ये बात?
जस्टिस गवई ने कहा, युद्ध किसी के लिए लाभकारी नहीं होता और संघर्षविराम एक सकारात्मक कदम है. उन्होंने रूस-यूक्रेन और इजराइल-गाजा के संघर्षों का उदाहरण देते हुए बताया कि युद्ध के विनाशकारी परिणाम होते हैं. वह 14 मई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. गवई ने कहा, संविधान ही सर्वोच्च है.

Supreme Court: देश भर में पहलगाम आतंकी हमले को लेकर अभी भी लोगों में गुस्सा है. इस दौरान 26 लोगों को मार दिया गया था. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत इसका बदला भी ले लिया और 100 से ज्यागा आतंकी तो मार गिराया. हाल ही में आतंकी हमले पर मनोनीत CJI जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा, जब देश संकट में होता है, तो सुप्रीम कोर्ट अलग नहीं रह सकता. क्योंकि हम भी देश का हिस्सा हैं.
जस्टिस भूषण रामकृष्ण ने आतंकी हमले की निंदी की और दुख जाहिर करते हुए अपनी बात रखी. जस्टिस गवई ने बताया कि इस घटना की जानकारी मिलते ही उन्होंने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना से अनुमति लेकर सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ की बैठक बुलाई. फिर सुप्रीम कोर्ट में दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई, जो कि एक ऐतिहासिक कदम था. उन्होंने कहा, क्योंकि यह मौन केवल 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर रखा जाता है.
आतंकी हमले पर क्या बोले जस्टिस गवई?
जस्टिस गवई ने कहा, युद्ध किसी के लिए लाभकारी नहीं होता और संघर्षविराम एक सकारात्मक कदम है. उन्होंने रूस-यूक्रेन और इजराइल-गाजा के संघर्षों का उदाहरण देते हुए बताया कि युद्ध के विनाशकारी परिणाम होते हैं. उन्होंने कहा, सुबह जब अखबार पढ़ा कि पहलगाम में ऐसी दुखद घटना हुई है तो बहुत दुख हुआ, उस समय चीफ जस्टिस देश के बाहर थे. हमनें उनसे बात की और आतंकी हमले में जान गंवाने वाले लोगों के लिए 2 मिनट का मौन रखा.
कब लेंगे CJI पद की शपथ?
वह 14 मई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. उन्होंने स्पष्ट किया कि वह सेवानिवृत्ति के बाद कोई सरकारी पद स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, मेरे कोई राजनीतिक आकांक्षाएं नहीं हैं. मैं सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद नहीं लूंगा. गवई ने कहा, संविधान ही सर्वोच्च है. हमारे लोकतंत्र के सभी तीन अंगों को संविधान के दायरे में रहकर कार्य करना चाहिए.
बता दें कि वह पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश होंगे. उन्होंने कहा, मैं सभी धर्मों में विश्वास रखता हूं. मैं मंदिर, दरगाह, जैन मंदिर और गुरुद्वारा सभी जगह जाता हूं. इसके अलावा उन्होंने जस्टिस वर्मा मामले पर कहा कि न्यायालय इस मामले की जांच कर रहा है जो उचित होगा वह फैसला लेंगे.