शुक्रिया...आवारा कुत्तों ने मुझे फेमस कर दिया; आखिर ऐसा क्यों बोले SC के जज जस्टिस विक्रम नाथ?
Supreme Court: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा आवारा कुत्तों के केस से दुनिया में मैं फेमस हो गया. उन्होंने कहा कि हमारी अदालतों ने जनता के विश्वास को बनाए रखा है. नाथ ने कहा कि मुझे संदेश आते हैं कि डॉग लवर्स के अलावा डॉग्स भीव मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं.

Justice Vikram Nath: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक के मामलों को देखते हुए, उन्हें शेल्टर होम में डालने का आदेश दिया था. इसके बाद देश भर में पशु प्रेमी से विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. फिर कोर्ट केस को आगे विचार के लिए टाल दिया है. इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ ने की.
हाल ही में वह केरल के तिरुवनंतपुरम में नैशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) के एक कार्यक्रम में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि आवार कुत्तों वाले केस से दुनिया में लोग उन्हें जानने लगे हैं. इस केस को मुझे सौंपने के लिए मैं सीजेआई बीआर गवई का आभार जताता हूं. हर ओर इस मामले की चर्चा के साथ लोग मेरे बारे में चर्चा करने लगे.
क्या बोले जस्टिस विक्रम नाथ?
जस्टिस नाथ ने मजाकिया अंदाज में कहा, आवारा कुत्ते (stray dog) का केस उन्हें वर्ल्ड में आम नागरिकों के बीच फेमस हो गए. उसने बहुत सारे लोगों ने कुत्ते से जुड़े केस पर सवाल किया. वहां कई वकीलों के संगठन के चीफ भी आए थे. जस्टिस नाथ ने कहा कि मुझे संदेश आते हैं कि डॉग लवर्स के अलावा डॉग्स भीव मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी अदालतों ने जनता के विश्वास को बनाए रखा है. हमारे संसाधन सिर्फ सरकार नहीं बल्कि जनता के हैं और उन्हें अगली पीढ़ी के लिए भी बचा कर रखना है.
कौन हैं जस्टिस विक्रम नाथ?
जस्टिस विक्रम नाथ का जन्म 24 सितंबर 1962 को उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में हुआ था. विज्ञान में ग्रजुशेन (1983) और लखनऊ विश्वविद्यालय से 1986 में एल.एल.बी की डिग्री हासिल की. मार्च 1987 में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल से मान्यता प्राप्त करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में लगभग 17 वर्ष तक वकालत की. 31 अगस्त 2021 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया. वह अपने करियर में कई राज्यों में जज की भूमिका निभा चुके हैं.
क्या था मामला?
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारदीवाला और महादेवन की बेंच ने 11 अगस्त को आवारा कुत्तों को लेकर आदेश दिया. जिसमें कहा कि दिल्ली और एनसीआर में स्थानीय निकायों को निर्देशित किया कि वे सभी आवारा कुत्तों को फौरन पकड़कर शेल्टर में पहचाने और उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर वापस न छोड़ा जाए. यह आदेश एक Suo Motu (स्वयं संज्ञान) मामले के तहत आया था, जो कुत्तों के काटे जाने और रेबीज के मामले बढ़ने के बाद आया था.
22 अगस्त को बदला आदेश
कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 22 अगस्त को अपने आदेश में बदलाव किया. नए आदेश में कहा, कुत्तों को शेल्टर में रखने के बजाय उन्हें टीकाकरण (vaccination) और निषेचन (sterilisation) के बाद छोड़ा जाए. यह आदेश उन कुत्तों पर लागू नहीं होगा जो रेबीज संक्रमित या आतंक फैसला रहे हैं.