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पापा, मत जाइए... बेटी के मुंह से ये सुनने के बाद भी गया था दर्जी, नौगांव थाने में भयानक विस्फोट से हुई मौत

शेख ने आगे बताया कि रात में अचानक एक जोरदार धमाका हुआ. हम सब डर गए और तुरंत पुलिस स्टेशन की तरफ दौड़े. वहां पहुंचकर जो नजारा दिखा, वह बहुत भयानक था. पूरा पुलिस थाना मलबे और धूल के ढेर में बदल चुका था.

पापा, मत जाइए... बेटी के मुंह से ये सुनने के बाद भी गया था दर्जी, नौगांव थाने में भयानक विस्फोट से हुई मौत
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( Image Source:  ANI )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 16 Nov 2025 8:07 AM

श्रीनगर शहर के बाहर नौगाम इलाके में एक पुलिस थाने में अचानक एक बहुत बड़ा धमाका हो गया. इस धमाके में कुल नौ लोग मारे गए. इनमें से एक व्यक्ति 57 साल के मोहम्मद शफी पारे थे, जो पेशे से एक साधारण दर्जी थे. यह हादसा उस समय हुआ जब पुलिस वाले और फोरेंसिक टीम के लोग हरियाणा राज्य के फरीदाबाद शहर से पकड़े गए विस्फोटकों के बड़े स्टॉक से कुछ नमूने निकाल रहे थे. ये विस्फोटक बहुत खतरनाक और जल्दी फटने वाले थे. मोहम्मद शफी पारे के परिवार वालों और रिश्तेदारों ने बताया कि पुलिस उन्हें थाने इसलिए ले गई थी क्योंकि विस्फोटकों के अलग-अलग पैकेटों को सिलने का काम था. उनके चचेरे भाई मोहम्मद शफी शेख ने दुखी होकर पूरी कहानी सुनाई.

उन्होंने कहा, 'पुलिस वाले कल सुबह उन्हें घर से ले गए थे. बीच में वह एक बार नमाज पढ़ने के लिए घर आए थे. फिर शाम को करीब 9 बजे वह खाना खाने घर लौटे. उस समय उनकी बेटी ने ठंड बहुत होने की वजह से उन्हें रुकने के लिए बहुत मनाया. बेटी ने कहा, 'पापा, प्लीज मत जाइए, बाहर बहुत ठंड है.' लेकिन पारे साहब ने मना कर दिया और कहा कि पुलिस स्टेशन में काम अधूरा है, उसे पूरा करके ही वापस आएंगे. उन्होंने अपनी बेटी से कहा, 'मैं काम खत्म करके जल्दी ही वापस आ जाऊंगा.' ये उनके जीवन के आखिरी शब्द थे. परिवार को बिलकुल अंदाजा नहीं था कि वे उन्हें दोबारा कभी नहीं देख पाएंगे.

भयानक था नजारा

शेख ने आगे बताया कि रात में अचानक एक जोरदार धमाका हुआ. हम सब डर गए और तुरंत पुलिस स्टेशन की तरफ दौड़े. वहां पहुंचकर जो नजारा दिखा, वह बहुत भयानक था. पूरा पुलिस थाना मलबे और धूल के ढेर में बदल चुका था. चारों तरफ लाशें बिखरी हुई थीं और कई शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो गए थे. हम घंटों तक उनके शव की तलाश करते रहे. आखिरकार अस्पताल के एक कोने में उनका शरीर मिला. परिवार वाले इतने दुखी थे कि उन्होंने पारे साहब की पत्नी और बेटी को यह बुरी खबर नहीं बताई. वे नहीं चाहते थे कि उनका दिल और ज्यादा टूटे.

एक दर्जी को क्यों नहीं रखा जा सकता

मोहम्मद शफी पारे के तीन बच्चे हैं और वे घर के इकलौते कमाने वाले थे. उनका पूरा परिवार उन्हीं पर निर्भर था. उनके एक और रिश्तेदार तारिक अहमद शाह ने गुस्से और दुख में कहा, 'मेरा एक बड़ा सवाल है पुलिस में तो प्लंबर, बढ़ई और दूसरे काम करने वाले लोग रखे जाते हैं, तो एक दर्जी को क्यों नहीं रखा जा सकता? वह तो सिर्फ पुलिस की मदद करने गए थे. अब अगर वह पुलिस में होते, तो उनके परिवार को पैसे की चिंता नहीं करनी पड़ती सरकार से हम क्या उम्मीद करें?.'

बड़ी साजिश में कुछ डॉक्टर भी शामिल

परिवार वाले बहुत दुखी और गुस्से में हैं. वे मांग कर रहे हैं कि पुलिस थाने को जल्दी से जल्दी आवासीय इलाके से कहीं दूर स्थानांतरित कर दिया जाए, ताकि किसी और परिवार को ऐसा दर्द न सहना पड़े. वे यह भी कह रहे हैं कि विस्फोटकों की इस बड़ी साजिश में कुछ डॉक्टर भी शामिल थे और अब तक जो गिरफ्तारियां हुई हैं, वे बहुत छोटी हैं. असली बड़े लोग अभी भी बाहर हैं वे न्याय की गुहार लगा रहे हैं और कहते हैं, 'बड़ी मछलियों को पकड़ो और सजा दो. जब तक जिम्मेदार लोग सजा नहीं पाएंगे, तब तक ऐसे हादसे रुकेंगे नहीं.'

10 लाख रुपये की मदद

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की सरकार ने ऐलान किया है कि इस नौगाम विस्फोट में मारे गए हर व्यक्ति के परिवार को 10 लाख रुपये की मदद दी जाएगी. जो लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, उन्हें एक लाख रुपये मिलेंगे. यह धमाका शुक्रवार की देर शाम हुआ था. पुलिस ने कहा कि वे विस्फोटकों को बहुत सावधानी से संभाल रहे थे, लेकिन फिर भी यह दुर्घटना हो गई. धमाके ने चारों तरफ तबाही मचा दी कई गाड़ियां जल गईं, आस-पास की इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई. मलबे में इंसानी शरीर के अंग बिखरे पड़े थे. कुछ टुकड़े तो 300 मीटर दूर घरों के आसपास तक जा गिरे. यह दृश्य देखकर हर कोई सहम गया.

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