क्या है ये TATP जिसका एक कण ही काफी है तबाही के लिए? दिल्ली ब्लास्ट जांच में सामने आया सबसे डरावना सच- पढ़ें Top Updates
दिल्ली रेड फोर्ट कार ब्लास्ट की जांच में सबसे खतरनाक खुलासा हुआ है-विस्फोट में TATP जैसे हाई-वोलाटाइल विस्फोटक के इस्तेमाल की पुष्टि हुई है. मामूली गर्मी, घर्षण या झटके से फट जाने वाला यह केमिकल दुनिया के कई बड़े आतंकी हमलों में इस्तेमाल हो चुका है. जांच एजेंसियों को अब शक है कि TATP की मौजूदगी के कारण ही i20 कार का ब्लास्ट अनियंत्रित तरीके से हुआ और नौगाम थाने में बरामद सामग्री भी खुद-ब-खुद विस्फोटित हो गई.
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के बाहर 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट में मारे गए 13 लोगों की मौत के बाद जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. सूत्रों के अनुसार, फॉरेंसिक जांच में यह सामने आया है कि विस्फोटक सामग्री में ट्रायएसिटोन ट्राइपरऑक्साइड (TATP) और अमोनियम नाइट्रेट का खतरनाक मिश्रण मौजूद था. यह ऐसा उच्च स्तर का विस्फोटक है, जो मामूली घर्षण या गर्मी से भी धमाका कर सकता है.
दिल्ली में बरामद i20 कार में भी TATP की मौजूदगी की पुष्टि हुई है. यह वही कार है, जिसकी अनियंत्रित तरीके से हुई विस्फोटक प्रतिक्रिया को अब एजेंसियां 'अनप्लान्ड ब्लास्ट' बता रही हैं. जांच में सामने आया है कि जम्मू-कश्मीर के नौगाम थाने में रखा गया जब्त सामान भी इसी विस्फोटक के कारण स्वतः भड़क गया, जिसमें 9 लोगों की जान चली गई.
TATP क्या है, और क्यों है इतना खतरनाक?
TATP यानी Triacetone Triperoxide एक प्राथमिक विस्फोटक है, जिसका इस्तेमाल दुनिया भर में कई बड़े हमलों में किया जा चुका है-
- 2005 London Bombings
- 2015 Paris Attacks
- 2016 Brussels Bombings
यह विस्फोटक पारंपरिक तरीकों से डिटेक्ट करना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि इसमें नाइट्रोजन समूह नहीं पाया जाता. यह गर्मी, झटके और घर्षण से सेकंडों में प्रतिक्रिया कर सकता है.
Faridabad मॉड्यूल ने बनाया था हाई-ग्रेड एक्सप्लोसिव
जांच एजेंसियों के अनुसार, जेईएम (Jaish-e-Mohammed) के Faridabad मॉड्यूल ने अमोनियम नाइट्रेट में संवेदनशील एजेंट मिलाकर इसे एक उन्नत और स्थिरता खो चुका उच्च स्तरीय विस्फोटक बना दिया था. यह सामग्री उस स्टेज पर थी जब बस इसे IED में पैक किया जाना था. अगर मॉड्यूल समय रहते पकड़ा नहीं जाता, तो यह सामग्री कहीं भी रखे-रखे खुद ही विस्फोट कर सकती थी.
नौगाम ब्लास्ट भी इसी सामग्री का 'Self-Detonation'
जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार नौगाम थाने का धमाका "दुर्घटनावश" हुआ था. अमोनियम नाइट्रेट इतना अस्थिर हो चुका था कि नमूने लेने से पहले ही उसका तापमान और घनत्व थ्रेशोल्ड पार कर गया और यह अपने आप फट पड़ा. यह थ्रेशोल्ड पार कर चुका था. किसी डेटोनेटर की जरूरत नहीं थी. मामूली हैंडलिंग से ही विस्फोट हो गया.
IANS की रिपोर्ट के अनुसार, यह सामग्री इतनी खतरनाक अवस्था में थी कि भविष्य में बड़े IED विस्फोट के लिए तैयार थी—जिसमें वाहन आधारित IED की भी संभावना थी. दिल्ली ब्लास्ट का आरोपी उमर नबी Wazirpur Industrial Area में दिखा. ब्लास्ट का मुख्य आरोपी उमर नबी दिल्ली में Wazirpur Industrial Area के पास कई बार देखा गया. अब उसके सभी टचपॉइंट्स को सैनिटाइज किया जा रहा है, ताकि विस्फोटक अवशेषों की कोई ट्रेसिंग बाकी न रहे.
कब और कहाँ हमला होना था? नई जानकारी डराने वाली
पहले इनपुट सामने आए थे कि मॉड्यूल 6 दिसंबर या 26 जनवरी को बड़े हमले की तैयारी कर रहा था. लेकिन जिस विस्फोटक की स्थिति मिली है, उससे संकेत मिलते हैं कि यह लोग काफी पहले हमला करने की तैयारी में थे. एजेंसियों का अनुमान ये विस्फोटक वाहन, पार्किंग एरिया, भीड़भाड़ वाले बाजार, मेट्रो कॉरिडोर जैसे स्थानों पर लगाया जा सकता था. Self-detonation से विशाल फायरबॉल और भारी दबाव पैदा होता यानी मृतकों की संख्या कई गुना अधिक हो सकती थी.
जेईएम मॉड्यूल तक कैसे पहुंची पुलिस?
नौगाम क्षेत्र में जेईएम के पोस्टर लगाए गए थे, जिनमें बाहरी लोगों और सुरक्षा बलों को धमकी दी गई थी. इन पोस्टरों को लगाने वाला डॉक्टर अदील अहमद राथर 27 अक्टूबर को गिरफ्तार हुआ, और इसी से Faridabad मॉड्यूल का पूरा भंडाफोड़ हुआ. यही मॉड्यूल दिल्ली रेड फोर्ट ब्लास्ट, नौगाम थाने के विस्फोट और इस खतरनाक अमोनियम नाइट्रेट बैच का जिम्मेदार था.





