PM-Kisan योजना में घोटाला! UP और Rajasthan में सबसे ज्यादा फर्जी लाभार्थी, पति-पत्नी दोनों ले रहे थे फायदा, जानें कैसे खुली पोल
PM-Kisan योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें यूपी और राजस्थान में सबसे ज्यादा फर्जी लाभार्थी पकड़ में आए हैं. यहां कई पति-पत्नी दोनों मिलकर इस योजना का गलत लाभ उठा रहे थे. इतना ही नहीं, जांच में यह भी सामने आया कि 33.34 लाख मामलों में भूमि संबंधी जानकारी गलत या अधूरी थी.

केंद्र सरकार की प्रमुख कृषि योजना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan) अब विवादों में आ गई है. हालिया जांच में 29.13 लाख संदिग्ध लाभार्थियों की पहचान की गई है, जिनमें पति-पत्नी दोनों ने एक साथ योजना का लाभ उठाया. सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश और राजस्थान से सामने आए हैं.
इस खुलासे ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या योजना के निगरानी तंत्र में सुधार की आवश्यकता है. जांच अधिकारियों का कहना है कि इस घोटाले के पीछे कई तरह के फर्जीवाड़े और रिकॉर्ड की अनियमितताएं थीं, जिनसे करोड़ों रुपये की बचत और योजना की पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है.
क्या है पीएम किसान योजना?
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना हर जमीनदार किसान परिवार को सालाना 6,000 रुपये की नकद सहायता देती है. यह राशि तीन बराबर किस्तों में सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर होती है. योजना का उद्देश्य है कि किसानों को उनकी आर्थिक जरूरतों में मदद मिले. नियम के अनुसार एक परिवार का सिर्फ एक सदस्य ही लाभ उठा सकता है.
हैरान करने वाले आंकड़े
हाल ही में कृषि मंत्रालय ने योजना के लाभार्थियों की विशेष जांच की. इसमें 29.13 लाख ऐसे संदिग्ध मामले सामने आए, जहां पति और पत्नी दोनों ने योजना का लाभ लिया. जांच में 19.4 लाख मामलों का वेरिफिकेशन पूरा हो चुका है. इनमें से 18.23 लाख मामलों (लगभग 94%) में पति-पत्नी दोनों का लाभ पाया गया, जिन्हें अब अयोग्य घोषित किया गया है. इससे सरकार को सालाना 6,000 रुपये प्रति परिवार बचाने में मदद मिलेगी.
यूपी और राजस्थान में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा
सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में सामने आए, जहां 9.9 लाख पति-पत्नी दोनों ही लाभार्थी बने. इसके बाद राजस्थान में 3.75 लाख और झारखंड में 3.04 लाख ऐसे मामले मिले। इससे साफ पता चलता है कि कुछ राज्यों में योजना पर सही तरीके से निगरानी नहीं रखी गई.
PM-Kisan योजना की मूल बातें
पीएम-किसान योजना का उद्देश्य सभी भूमि-धारक किसान परिवारों की आर्थिक जरूरतों को पूरा करना है. योजना के तहत पात्र किसानों को सालाना 6,000 रुपये सीधे उनके बैंक खाते में तीन किस्तों में दिए जाते हैं. ऑपरेशनल गाइडलाइंस के अनुसार, किसान परिवार में केवल पति, पत्नी और नाबालिग बच्चे शामिल होते हैं. योजना में केवल परिवार का एक सदस्य ही लाभ उठा सकता है.
नाबालिगों और परिवार के अन्य सदस्यों को मिली सुविधा
स्रोतों के मुताबिक, 1.76 लाख ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां नाबालिग और अन्य परिवार के सदस्य भी पीएम-किसान योजना का लाभ ले रहे थे. मंत्रालय ने राज्यों को 15 अक्टूबर तक वेरिफिकेशन पूरा करने के निर्देश दिए हैं.
भूमि मालिकों के पुराने रिकॉर्ड की जांच
जांच में यह भी सामने आया कि 33.34 लाख मामलों में भूमि संबंधी जानकारी गलत या अधूरी थी.
- 8.11 लाख मामले: पुराने और नए मालिक दोनों लाभ ले रहे थे.
- 8.83 लाख मामले: भूमि का म्यूटेशन गैर-विरासत कारणों से किया गया था.
- नियम के अनुसार, पीएम-किसान योजना में सिर्फ विरासत के जरिए म्यूटेशन वैध माना जाता है.
सरकार की सुधार पहलें
हाल के सालों में केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि पीएम-किसान योजना का लाभ सिर्फ असली किसानों तक पहुंचे. इसके लिए नए रजिस्ट्रेशन में किसान आईडी जरूरी कर दी गई है. यूनियन बजट 2025-26 में इस योजना के लिए 63,500 करोड़ रुपये रखे गए हैं. योजना की शुरुआत 24 फरवरी 2019 को हुई थी और इसका पूरा पैसा सीधे किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाता है. 2 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से 20वीं किस्त बांटी गई, जिसमें पूरे देश के 9.7 करोड़ किसानों को फायदा मिला.
भविष्य में संभावित बदलाव
हाल ही में संसद की एक समिति ने सुझाव दिया है कि वार्षिक लाभ को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये किया जाए. इस पर यदि अमल होता है, तो योजना किसानों के लिए और भी लाभकारी हो जाएगी.
बेहद जरूरी है निगरानी
पीएम-किसान योजना लाखों किसानों के लिए सहारा रही है, लेकिन हालिया जांच ने यह साबित किया है कि निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करना बेहद आवश्यक है. 29.13 लाख संदिग्ध मामलों की पहचान और वेरिफिकेशन से सरकार न केवल योजना के दुरुपयोग को रोक रही है, बल्कि वास्तविक लाभार्थियों तक सही मदद पहुंचाने का प्रयास भी कर रही है.