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रूबैया किडनैपिंग केस: महबूबा मुफ्ती की बहन हुई थी किडनैप, 35 साल बाद मास्टरमाइंड गिरफ्तार; कौन है शफात अहमद शांगलू?

1989 में पूरे देश को हिला देने वाले रूबैया सईद किडनैपिंग केस में बड़ा मोड़ आया है. CBI ने 35 साल से फरार चल रहे मास्टरमाइंड शफात अहमद शांगलू को गिरफ्तार कर लिया. पूर्व गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया के अपहरण की साजिश में शफात पर 10 लाख का इनाम था और वह यासीन मलिक के नेतृत्व वाले JKLF का अहम सदस्य बताया जाता है. उसकी गिरफ्तारी ने एक बार फिर कश्मीर के सबसे हाई-प्रोफाइल आतंकी केस को सुर्खियों में ला दिया है.

रूबैया किडनैपिंग केस: महबूबा मुफ्ती की बहन हुई थी किडनैप, 35 साल बाद मास्टरमाइंड गिरफ्तार; कौन है शफात अहमद शांगलू?
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 2 Dec 2025 12:27 PM

देश की सुरक्षा एजेंसियों के इतिहास में सबसे लंबी तलाश आखिरकार पूरी हो गई है. 1989 में पूरे भारत को हिला देने वाले रूबैया सईद किडनैपिंग केस में मास्टरमाइंड बताया जाने वाला शख्स शफात अहमद शांगलू 35 साल बाद पुलिस के हाथ लग चुका है. यह वही केस था, जिसने जम्मू-कश्मीर की राजनीति, सुरक्षा ढांचे और आतंकी संगठनों की रणनीतियों को हमेशा के लिए बदल दिया था. अब जब इतने वर्षों बाद इस केस में बड़ी गिरफ्तारी हुई है, तो फिर से वही पुराने सवाल, वही पुरानी बहसें और वही दर्द ताज़ा हो गया है.

इस गिरफ्तारी ने न केवल कश्मीर के इतिहास के एक भूले अध्याय को जगा दिया है, बल्कि जेकेएलएफ, यासीन मलिक और आतंकवाद की शुरुआती रणनीतियों पर एक बार फिर रोशनी डाल दी है. जिस केस में कश्मीर में उग्रवाद के सबसे बड़े मोड़ दर्ज हुए थे, वह आज फिर राष्ट्रीय सुर्खियों में है और इस बार वजह है वह नाम, जो तीन दशक से सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ से बाहर था.

कौन है शफात अहमद शांगलू?

शफात अहमद शांगलू श्रीनगर के इश्बर निशात क्वार्टर का रहने वाला है और जेकेएलएफ का एक महत्वपूर्ण सदस्य रहा है. उसे वित्तीय व्यवस्थाओं, साजिशों और गुप्त गतिविधियों का जिम्मा दिया जाता था. CBI ने उसे 1989 में ही आरोपी बना दिया था, लेकिन शफात तब से लगातार फरार रहा. उसकी गिरफ्तारी पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था. 2017 में वह एक आतंकी फंडिंग केस में पकड़ा गया था, लेकिन रूबैया किडनैपिंग केस में पकड़ अब जाकर संभव हो सकी.

कौन थीं रूबैया सईद?

शफात जिस केस में आरोपी है, वह कश्मीर के इतिहास का सबसे हाई-प्रोफाइल अपहरण था. पूर्व गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की 23 वर्षीय बेटी रूबैया सईद, जो मेडिकल इंटर्न थीं, 8 दिसंबर 1989 को लाल देद अस्पताल से घर लौटते समय किडनैप कर ली गई थीं. यह घटना उनके घर से महज़ 500 मीटर की दूरी पर हुई. पूरे देश में हड़कंप मच गया था, क्योंकि यह भारतीय गृह मंत्री की बेटी थी.

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यासीन मलिक ने रची थी साजिश

जांच में सामने आया कि साजिश की धुरी थे यासीन मलिक और उनके साथी, जो उस समय जेकेएलएफ के साथ सक्रिय थे. CBI के अनुसार, अपहरण का पूरा ऑपरेशन कई दिनों की प्लानिंग के बाद तैयार किया गया था. नीली कार की व्यवस्था, हॉस्पिटल गेट पर किडनैपर्स की तैनाती और घटना के बाद रूट तय करने तक हर कदम में शफात अहमद शामिल था. उसकी भूमिका एक ऐसे प्लानर की थी, जो पीछे बैठकर पूरी रणनीति तैयार करता था.

कैसे हुई थी किडनैपिंग?

CBI के दस्तावेज बताते हैं कि आरोपी पहले हॉस्पिटल गेट पर इकट्ठा हुए. जैसे ही रूबैया घर जाने के लिए बस से उतरीं, यासीन मलिक ने इशारा कर उनकी पहचान बताई. इसके बाद उनकी वैन रोकी गई और उन्हें दूसरी कार में बैठाकर ले जाया गया. पांच दिनों तक उन्हें बंधक बनाकर रखा गया. यह वह समय था जब कश्मीर में आतंकी संगठनों का साहस अपने चरम पर था.

रिहा हुए थे पांच आतंकी

अपहरण के बदले जेकेएलएफ ने अपनी पांच जेल में बंद आतंकियों की रिहाई की मांग रखी. तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने इसका विरोध किया, लेकिन केंद्र सरकार दबाव में आ गई. छह दिनों बाद आतंकियों की रिहाई हुई और उसी रात रूबैया को छोड़ दिया गया. यह घटना आतंकियों की पहली बड़ी जीत थी और कश्मीर में उग्रवाद को अभूतपूर्व बढ़ावा मिला.

आज कहां है रूबैया?

आज रूबैया तमिलनाडु में रहती हैं. अदालत में वह सरकारी गवाह की तरह पेश हुईं. उन्होंने न केवल यासीन मलिक की पहचान की बल्कि चार अन्य आरोपियों को भी कोर्ट में पहचाना. उनके बयान इस केस की रीढ़ माने जाते हैं. जिस दिन उन्होंने अदालत में मलिक की ओर इशारा किया, कश्मीर की राजनीति में एक नया भूचाल आ गया.

शफात की गिरफ्तारी का बड़ा असर

शफात अहमद की गिरफ्तारी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह अपहरण की साजिश का ‘तार जोड़ने वाला’ व्यक्ति माना जाता है. उसके पकड़ में आने का मतलब है कि CBI अब इस केस की आखिरी परतों तक जा सकती है, जो तीन दशकों से बंद थीं. यासीन मलिक पहले ही उम्रकैद की सज़ा पा चुके हैं, और यह गिरफ्तारी उनके खिलाफ और अधिक ठोस सबूत जोड़ सकती है.

JKLF का काला अध्याय फिर खुला

यह गिरफ्तारी सिर्फ एक पुराने केस का हिस्सा नहीं, बल्कि कश्मीर में आतंकवाद की जड़ों तक पहुंचने का अवसर भी है. रूबैया किडनैपिंग वह घटना थी, जिसने आतंकियों को यह विश्वास दिलाया कि दबाव डालकर सरकारों को झुकाया जा सकता है. और उसी विचारधारा ने बाद के वर्षों में घाटी को हिंसा से भर दिया.

बाकी था अपहरण का हिसाब

समय के इतने लंबे अंतराल के बाद शफात की गिरफ्तारी यह संकेत देती है कि भारत अभी भी इस केस को न्याय की अंतिम सीमा तक ले जाने के लिए दृढ़ है. चाहे समय कितना भी बीते, देश के सबसे हाई-प्रोफाइल अपहरण का हिसाब अभी बाकी था और अब उस पर कार्रवाई तेज हो सकती है.

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