VIDEO: भाजपा ने कहां पहुंचाया? बंदूक के दम पर लोगों को कहते हैं कि देशभक्ति करो, मैंने खुद....; महबूबा मुफ्ती
जम्मू-कश्मीर में एक फुटबॉल टूर्नामेंट के दौरान गाए गए राष्ट्रगान ने बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है. आरोप है कि श्रीनगर के टीआरसी ग्राउंड में राष्ट्रगान के वक्त करीब 15 युवा खड़े नहीं हुए, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. इस घटना ने राजनीति से लेकर आम जनता तक बहस छेड़ दी है. पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इसे लोकतंत्र और स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए करारा जवाब दिया है.

जम्मू-कश्मीर में एक फुटबॉल टूर्नामेंट के दौरान गाए गए राष्ट्रगान ने बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है. आरोप है कि श्रीनगर के टीआरसी ग्राउंड में राष्ट्रगान के वक्त करीब 15 युवा खड़े नहीं हुए, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. इस घटना ने राजनीति से लेकर आम जनता तक बहस छेड़ दी है. पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इसे लोकतंत्र और स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए करारा जवाब दिया है.
महबूबा ने साफ कहा कि, 'बंदूक की नोक पर देशभक्ति नहीं सिखाई जा सकती.'उनका कहना है कि सरकार की यह कार्रवाई न सिर्फ असफलता की निशानी है, बल्कि जनता के मन में जबरन भय पैदा करने की कोशिश भी है. उन्होंने युवाओं की तत्काल रिहाई की मांग की है.
राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होने पर मचा बवाल
सोमवार शाम को श्रीनगर में आयोजित मुष्ताक मेमोरियल कप फुटबॉल टूर्नामेंट के फाइनल मैच के दौरान राष्ट्रगान बजाया गया. इस मौके पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद थे. आयोजकों के मुताबिक, कुछ दर्शक राष्ट्रगान के दौरान खड़े नहीं हुए, जिसे 'अनादर' माना गया और तुरंत पुलिस कार्रवाई की गई.
महबूबा मुफ्ती का गुस्सा फूटा
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 'आजकल लोगों को बंदूक की नोक पर राष्ट्रगान के लिए खड़ा किया जाता है. लेकिन जब मैं स्कूल में थी, तब हम बच्चे खुद ही सम्मान में खड़े हो जाते थे. किसी ने हमें बंदूक के दम पर मजबूर नहीं किया था. आज बंदूक की नोक पर खड़ा किया जा रहा है... यह सरकार की नाकामी है.' उन्होंने इस घटना को लोकतंत्र और स्वतंत्रता की भावना के खिलाफ करार दिया और हिरासत में लिए गए युवाओं की तुरंत रिहाई की मांग की.
परिवारों का दावा- 'पता ही नहीं चला राष्ट्रगान शुरू हो गया'
हिरासत में लिए गए युवकों के परिवारों का कहना है कि यह घटना जानबूझकर नहीं हुई. उनका कहना है कि राष्ट्रगान के दौरान बैंड की आवाज काफी धीमी और अस्पष्ट थी, जिसकी वजह से युवकों को समझ ही नहीं आया कि राष्ट्रगान शुरू हो गया है. यह मामला सोशल मीडिया पर भी छा गया है. कई लोग इसे "देशभक्ति पर जबरदस्ती थोपने" की कोशिश बता रहे हैं, जबकि कुछ इसे "अनुशासन की कमी" मान रहे हैं. लेकिन इतना तय है कि इस घटना ने केंद्र और स्थानीय प्रशासन दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.