न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में भारत को सुपर पावर बनाना चाहते हैं पुतिन, SMR तकनीक बनेगी मील का पत्थर
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान न्यूक्लियर एनर्जी नई रणनीतिक धुरी के रूप में उभरी है. रूस भारत में SMR (Small Modular Reactors) और नए हाई-कैपेसिटी VVER-1200 न्यूक्लियर रिएक्टरों की श्रृंखलाबद्ध तैनाती चाहता है, साथ ही भारत को SMR सीरियल प्रोडक्शन हब बनाने की योजना है. कुडनकुलम प्रोजेक्ट के सफल मॉडल के बाद फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर और औद्योगिक बिजली आपूर्ति पर भी फोकस है. अगर समझौता होता है तो भारत की परमाणु क्षमता तीन गुना बढ़ सकती है और वह वैश्विक SMR हब बन सकता है.
भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी का सबसे मजबूत स्तंभ रक्षा माना जाता है, लेकिन राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा ने साफ संकेत दिया है कि आने वाले दशक की नई धुरी न्यूक्लियर एनर्जी होगी. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस बार सिर्फ कूटनीति और भू-राजनीति नहीं, बल्कि परमाणु ऊर्जा को भारत में बड़े पैमाने पर विस्तार देने के मिशन के साथ नई दिल्ली में मौजूद हैं. उनका सबसे बड़ा एजेंडा - रूस की SMR (Small Modular Reactors) तकनीक और नए उच्च-क्षमता वाले परमाणु रिएक्टरों की श्रृंखलाबद्ध तैनाती भारत में.
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द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी न्यूक्लियर निगम रोसएटम स्टेट कॉर्पोरेशन (Rosatom) पुतिन की यात्रा के दौरान भारत को SMR और बड़े न्यू-जनरेशन VVER रिएक्टर आधारित परियोजनाओं के लिए मनाने की विस्तृत योजना के साथ आया है. संकेत साफ हैं - रूस चाहता है कि भारत न सिर्फ रूसी न्यूक्लियर तकनीक खरीदे, बल्कि उसकी सीरियल प्रोडक्शन (mass manufacturing) का हब भी बने.
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SMR क्या है और रूस इसे भारत में क्यों लाना चाहता है?
SMR यानी Small Modular Reactor, अगली पीढ़ी के परमाणु रिएक्टर हैं जिनकी उत्पादन क्षमता पारंपरिक रिएक्टरों से लगभग एक-तिहाई होती है, लेकिन बिजली उतनी ही स्थिर और कम-कार्बन वाली. दुनिया में अभी सिर्फ दो SMR परियोजनाएं संचालन में हैं पहला रूस का Akademik Lomonosov फ्लोटिंग SMR और दूसरा चीन का HTR-PM. रूस SMR तकनीक में सबसे आगे माना जाता है, और फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर के क्षेत्र में दुनिया में अकेला अग्रणी है. Lomonosov नामक रिएक्टर बर्फीले बंदरगाह पेवेक में डॉक है और वहीं से बिजली और हीटिंग दोनों सप्लाई करता है - यानी न्यूक्लियर एनर्जी का पोर्टेबल पावर स्टेशन मॉडल.
रूस यही टेक्नोलॉजी भारत में लाना चाहता है, ताकि दूरदराज़ इलाकों में स्थिर ऊर्जा, बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट्स के लिए समर्पित बिजली और डेटा सेंटर्स व रेलवे जैसे उच्च-ऊर्जा उपभोक्ताओं के लिए लगातार बेसलोड सप्लाई उपलब्ध कराई जा सके. असल में यह प्रस्ताव सिर्फ बिजली आपूर्ति नहीं, बल्कि भारत में रूस की सामरिक तकनीकी उपस्थिति के स्थायी विस्तार जैसा है.
कुडनकुलम - भारत–रूस परमाणु साझेदारी का आधार
कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट (KKNPP), तमिलनाडु, भारत–रूस परमाणु साझेदारी की रीढ़ रहा है. नवंबर 2024 में हुई बैठक में DAE प्रमुख अजीत कुमार मोहंती और Rosatom प्रमुख अलेक्सी लिकाचेव ने इसकी प्रगति का मूल्यांकन किया. KKNPP की कुल 6 यूनिट्स में पहली दो यूनिटें 2013 और 2016 से संचालन में हैं, तीसरी यूनिट प्री-कमिशनिंग चरण में है, चौथी यूनिट में इंस्टॉलेशन व डिलीवरी जारी है, जबकि पांचवीं और छठी यूनिट निर्माणाधीन हैं. 6,000 MWe कुल क्षमता के साथ यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी न्यूक्लियर परियोजना है. अब रूस भारत से VVER-1200 न्यू-जनरेशन हाई-कैपेसिटी रिएक्टरों की श्रृंखलाबद्ध तैनाती के लिए औपचारिक स्वीकृति चाहता है - यानी सिर्फ एक नहीं, बल्कि भविष्य में कई बड़े न्यूक्लियर प्लांट.
यह योजना भारत की “Make in India” रणनीति से भी मेल खाती है, क्योंकि मॉडल होगा - रूसी न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी + भारतीय उत्पादन अवसंरचना = कम लागत, बेहतर आत्मनिर्भरता और भारतीय उद्योगों को वैश्विक न्यूक्लियर सप्लाई चेन में प्रवेश.
फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर मॉडल - भारत में पहली बार?
अप्रैल 2024 में रूस ने भारत को फ़्लोटिंग SMR प्रोपोज़ल पर विस्तृत प्रस्तुति दी थी. संभावित उपयोग मामलों में समुद्री तटीय बंदरगाह, तेल और गैस उत्पादन क्षेत्रों, महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक कॉरिडोर और रक्षा प्रतिष्ठान शामिल बताए गए. भारत में एक दिलचस्प विकास यह भी है कि रेल विकास निगम (RVNL) अपने चार बड़े रेलवे प्रोजेक्ट्स - जिसमें ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल लाइन शामिल है - के लिए SMR आधारित बिजली सप्लाई मॉडल पर सक्रिय विचार कर रहा है.
भारत क्यों बढ़ा रहा है न्यूक्लियर ऊर्जा पर दांव?
भारत के न्यूक्लियर विस्तार के पीछे सबसे बड़ा ध्येय है 2047 तक 100 GWe क्षमता. अभी भारत में 24 ऑपरेशनल रिएक्टर हैं जिनकी संयुक्त क्षमता 7,943 MWe है, जबकि छह रिएक्टर 4,768 MWe क्षमता के साथ निर्माणाधीन हैं और 10+ रिएक्टर भविष्य के लिए प्रस्तावित हैं. SMR को इसलिए भविष्य में भारत की ऊर्जा रणनीति का केंद्रीय स्तंभ माना जा रहा है क्योंकि इनकी तैनाती तेज, लागत अपेक्षाकृत कम, भूमि की आवश्यकता सीमित और बेसलोड ऊर्जा उत्पादन स्थिर होता है. डेटा सेंटर्स, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और बड़े औद्योगिकीकरण के चलते भारत का बेसलोड संकट बढ़ रहा है, और न्यूक्लियर ही वह गैर-कार्बन समाधान है जो सौर और पवन ऊर्जा की अनिश्चितता के बावजूद स्थायी सप्लाई दे सकता है.
न्यूक्लियर सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों की एंट्री - 60 साल में पहली बार
भारत सरकार SMR तकनीक के लिए पहली बार न्यूक्लियर सेक्टर में निजी कंपनियों की आंशिक एंट्री की तैयारी कर रही है. इसी लक्ष्य से 2 बिलियन डॉलर की रिसर्च फंडिंग और Atomic Energy Bill 2025 पेश किया गया है, जिसके बाद निजी कंपनियां 49% इक्विटी तक न्यूक्लियर परियोजनाओं में भागीदारी कर सकेंगी और विदेशी साझेदार भी निवेश कर पाएंगे. यह कदम 60 साल बाद भारतीय न्यूक्लियर सेक्टर के बंद दरवाज़े खुलने जैसा है.
भारत–रूस साझेदारी कहां जाती दिख रही है?
भारत–रूस न्यूक्लियर सहयोग के अगले दशक के रोडमैप में तीन बिंदु स्पष्ट दिखते हैं - SMR की भारत में तैनाती और उत्पादन जिससे औद्योगिक डिकार्बोनाइजेशन संभव होगा; न्यू-जनरेशन VVER-1200 रिएक्टरों की श्रृंखलाबद्ध इंस्टॉलेशन जिससे 2047 न्यूक्लियर लक्ष्य हासिल किया जा सके; और Rosatom की फ्यूल कंपनी TVEL की नई फ्यूल टेक्नोलॉजी जो 18-महीने के फ्यूल चक्र के साथ लागत कम कर सकती है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि रूस भारत को SMR का ग्राहक नहीं, बल्कि साझेदार उत्पादन केंद्र बनाना चाहता है - जिससे एशिया में चीन के समानांतर तकनीकी प्रभुत्व स्थापित किया जा सके.
यदि भारत पुतिन की इस न्यूक्लियर रणनीति पर सहमति जताता है तो देश की न्यूक्लियर क्षमता अगले दशक में तीन गुना तक बढ़ सकती है, SMR आधारित औद्योगिक बिजली से ऊर्जा आयात में उल्लेखनीय कमी आएगी, कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य आसान होंगे और भारत पहली बार वैश्विक SMR उत्पादन हब के रूप में उभर सकता है. हालांकि, यह पूरा समीकरण अंततः इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत कितनी आक्रामक सौदेबाज़ी करता है, अमेरिकी रणनीतिक दबाव को कैसे संतुलित करता है और लागत–जोखिम प्रबंधन में कितना सतर्क रहता है. भारत के ऊर्जा भविष्य के लिए यह निश्चित रूप से एक निर्णायक मोड़ हो सकता है.





