Inside Story: गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया की मां हरजीत कौर का कत्ल कहीं शूटर्स के 'धोखे' या 'मजबूरी' का रिजल्ट तो नहीं?
पंजाब के बटाला में गैंगवार ने एक नई और खतरनाक परिपाटी शुरू कर दी है, जहां दविंदर बंबीहा गैंग ने गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया की मां हरजीत कौर और उसके रिश्तेदार करणवीर सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी. अब तक गैंगस्टर्स एक-दूसरे को निशाना बनाते थे, लेकिन अब परिवारों को भी टारगेट किया जा रहा है. इस दोहरे हत्याकांड की जिम्मेदारी 'गोपी घनश्यामपुरिया' ने सोशल मीडिया पर ली है.

Batala Harjeet Kaur murder case: सब समय-समय की बात होती है. कभी नाव पानी में और कभी नाव में पानी... मतलब यह है कि समय के साथ कब किसके मजबूत हालात भी पलक झपकते ‘बर्बादी और बदतरी’ में तब्दील हो जाएं, कहा नहीं जा सकता है. जिक्र कर रहा हूं भारत में गुंडा-गैंगस्टर, अपराध-अपराधी, बदमाश और बदमाशी, कोर्ट कचहरी और कानून, पुलिस की. अब तक खाकी वर्दी और आमजन ही गुंडा-मवालियों, गोल्डी बराड़ और लॉरेंस बिश्नोई जैसे खूंखार गैंगस्टर्स से खौफजदा रहते थे, जिन्हें खाकी और कानून का तो भय बिलकुल होता ही नहीं है. मतलब जब अपराधियों की नाव ‘अपराधों’ के पानी के ऊपर चलती है, तब तक हर अपराधी या गैंगस्टर की मौज रहती है.
कानून से जरा भी खौफजदा न रहने वाले बदमाश-गैंगस्टर्स जब तक खाकी वर्दी (पुलिस) को अपने खौफ में रखते हैं, तब तक वे सीना चौड़ा करके ताबड़तोड़ अपराधों को अंजाम देने में नहीं घबराते हैं. फिर चाहे वे जेल के भीतर कैद हों या जेल के बाहर. कहीं भी उनके जिंदा रहते किसी भी खतरनाक अपराध को अंजाम दिलवा डालना, अपराधियों की जिंदगी का ‘शगल’ होता है. अब तक हमने-आपने यही सब जो देखा सुना, अचानक 26 जून 2025 को वह सब बदल गया. जब पंजाब में घटी खूनी गैंगवार की एक घटना ने, अपराधियों की नाव अपराध के पानी के ऊपर से उतारकर उनके अपराधों की नाव में ही पानी भर डालने की खूनी-परिपाटी शुरू कर दी.
खूनी और जरायम की दुनिया का ‘काला-सच’
जी हां यही सच है जरायम की दुनिया के बदले खूनी-रीति-रिवाजों का. गुरुवार यानी 26 जून 2025 को बीते तीन दशक से ज्यादा वक्त में (1990 से 2025 तक यानी करीब 35 साल में), जो काम अब तक गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई (Gangster Lawrence Bishnoi) और गैंगस्टर गोल्डी बराड़ (Gangster Goldi Brar) जैसे कुख्यात अंतरराष्ट्रीय अपराधी नहीं कर सके. वह काम पंजाब के बदनाम बदमाश-गैंगस्टर दविंदर बंबीहा गैंग ने कर दिखाया. इस गैंग ने गैंगवार के अंदर भी अब जो खूनी परिपाटी शुरू की है, उसे अपने पूरे अपराधी जीवन काल में गोल्डी बराड़ और लॉरेंस बिश्नोई जैसे नामी गुंडे भी करने में पिछड़ गए लगते हैं, अगर यह कहूं तो अनुचित नहीं होगा. अब तक खूनी गैंगवार की घटनाओं में सिर्फ और सिर्फ गैंगस्टर्स-गैंग एक-दूसरे के शिकार और एक दूसरे के अपराधियों को गोलियों से भूना करते थे, मगर अब इनमें से एक गैंग ने (दविंदर बंबीहा गैंग) तो दूसरे गैंगस्टर्स के परिवार वालों के बदन में ही गोलियां ठोंकना शुरू कर दिया है. यह खूनी और खतरनाक परिपाटी अब से पहले कभी गैंगस्टर्स में नहीं देखी गई थी.
असल दुश्मन के साथ दुश्मन की मां भी कत्ल
इसका ताजा तरीन नमूना 26 जून को तब सामने आया, जब दविंदर बंबीहा गैंग के शूटर्स ने दूसरे दुश्मन गैंगस्टर जगदीप सिंह उर्फ जग्गू भगवानपुरिया (Jaggu Bhagwanpuria) की मां हरजीत कौर और उसके एक करीबी रिश्तेदार करणवीर सिंह को ही गोलियों से भून डाला. यह दुस्साहसिक डबल मर्डर की घटना अंजाम दी गई पंजाब के बटाला में, जहां सड़क किनारे खड़ी स्कॉर्पियो कार में हरजीत कौर (गैंगस्टर जग्मू भगवानपुरिया की मां) और करणवीर सिंह (जग्गू का रिश्तेदार) बैठकर बातें कर रहे थे. उसी समय कार को बाइक सवार तीन बदमाशों ने घेरकर अंधाधुंध गोलियां बरसाकर, उन दोनों का कत्ल कर डाला. इस नई व खूनी परिपाटी को शुरू करने की जिम्मेदारी भी एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए, पंजाब के कुख्यात गैंगस्टर दविंदर बंबीहा गैंग के गुर्गे 'गोपी घनश्यामपुरिया' (Criminal Gopi Ghanshyampuria) ने ली है. इस घटना ने गोल्डी बराड़ और लॉरेंस बिश्नोई के भी कान खड़े कर दिए होंगे.
गैंगस्टर आपस में मरते रहें तो बेहतर, लेकिन.....
इस बारे में 27 जून को स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इन्वेस्टिगेशन ने 1974 बैच के पूर्व आईपीएस (IPS) और उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह (Retired DG UP Dr Vikram Singh) से बात की. वह बोले, “देखिए गैंगवार में गोलियां चलना और बदमाशों द्वारा एक दूसरे को ठिकाने लगाना कोई नई बात नहीं है. मैं गैंगवार को कतई गलत नहीं मानता हूं. अगर यह आपस में ही लड़कर मर जाएं तो कानून और पुलिस की सिरदर्दी तो कम होगी न. जब तक यह जिंदा रहते हैं, तब तक कानून, पुलिस और आमजन को दुखी ही करते हैं.”
विक्रम सिंह बोले- गैंगवार में यह नई खूनी-परिपाटी है!
अपनी बात जारी रखते हुए विक्रम सिंह आगे कहते हैं, “जहां तक पंजाब के बटाला में हुए डबल मर्डर में एक गैंगस्टर के रिश्तेदार और उसकी मां को ही दूसरे गैंगस्टर के शूटरों द्वारा कत्ल कर दिए जाने की बात है, तो यह नई खूनी परिपाटी है. मैं किसी बेगुनाह के कत्ल का हिमायती कतई नहीं हूं. मगर अपराधी ही अगर अपराधी को कत्ल करता है तो यह पुलिस कानून और समाज तीनों के लिए बेहद हितकारी है. मुझे नहीं लगता है कि जिस गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया की मां हरजीत कौर को, उसके रिश्तेदार के साथ कत्ल कर डाला गया, वह जान-बूझकर की गई हत्या होगी. मुझे 36-37 साल आईपीएस सेवा के अनुभव से इसमें कुछ संदेह लग रहा है.”
इस संभावना से इनकार नहीं कर सकते
उन्होंने कहा, "संभावना इस बात की ज्यादा है कि हमलावर- शूटर्स को, ठिकाने तो महिला हरजीत कौर के साथ कार में मौजूद उसके रिश्तेदार करणवीर सिंह को लगाना होगा. चूंकि हरजीत कौर और करणवीर सिंह एक ही कार में बेहद करीब बैठे थे जिसमें, करणवीर सिंह के ऊपर अंधाधुंध गोली चलाने के दौरान, महिला को सुरक्षित बचा पाना हमलावरों के लिए प्रैक्टिकली कतई संभव नहीं रहा होगा, जिसका नतीजा यह रहा कि गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया की मां हरजीत कौर भी, जाने-अनजाने मार डाली गई.”
अभी कहना अनुचित और जल्दबाजी होगा
इस बारे में इन दिनों अमेरिका प्रवास पर मौजूद दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड डीसीपी और दिल्ली हाईकोर्ट व भारत के सर्वोच्च न्यायालय में फौजदारी मामलों के वरिष्ठ एडवोकेट एल एन राव स्टेट मिरर हिंदी से खास बातचीत में बोले, “दरअसल अभी यह कहना कि गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया की मां को टारगेट करके ही दूसरे गैंग (दविंदर बंबीहा गैंग) द्वारा, गोलियों से भूनकर कत्ल कर डाला गया है, ऐसा पुष्ट रूप से मान लेना या कह देना फिलहाल अनुचित और जल्दबाजी होगा. संभव है कि हमलावरों के टारगेटिड निशाने पर सिर्फ जग्गू भगवानपुरिया का रिश्तेदार करणवीर सिंह ही असली टारगेट रहा हो. जब अंधाधुंध गोलियां चलाई गईं तो वह महिला साथ ही चपेट में आकर मारी गई हो.”
लोमहर्षक कांड में यह बिंदु भी नजर में रखें
एल एन राव आगे कहते हैं, “चूंकि जग्गू भगवानपुरिया की मां हरजीत कौर (Jaggu Bhagwanpuria Mother Harjeet Kaur Killed) अपने रिश्तेदार करणवीर सिंह (Batala Karanveer Singh Shot Dead) के एकदम साथ ही स्कॉर्पियो कार के भीतर बैठी थीं. कार में जगह कम होती ही है. चूंकि दुश्मन गैंग के शूटरों को हर हाल में कार में मौजूद करणवीर सिंह को कत्ल करना था. लिहाजा वे अपने पहले से तय शिकार को तो जिंदा छोड़कर खाली हाथ नहीं लौट सकते थे न, सिर्फ इसलिए कि उनकी गोलियों की चपेट में आकर जग्गू भगवानपुरिया की मां भी कत्ल हो जाएगी. अगर जग्गू भगवानपुरिया की मां हरजीत कौर भी पहले से तय टारगेट पर थीं, यह बात पंजाब पुलिस की जांच मे ही पुष्ट हो सकेगी. यह भारत के गैंगस्टर्स के बीच यह बेहद हैरान करने वाली खतरनाक-खूनी परिपाटी की शुरूआत है.”
समाज के नासूर गैंगस्टर निपटें, चाहे जैसे भी
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल (Delhi Police Special Cell) की नौकरी के दौरान लॉरेंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़, जग्गू भगवानपुरिया, बृजमोहन त्यागी, महेंद्र फौजी, सतवीर गूजर जैसे लाखों के इनामी, कानून और पुलिस के लिए सिरदर्द और समाज के लिए नासूर समझे जाने वाले ऐसे तमाम गैंगस्टरों से अक्सर मुकाबला करके उन्हें निपटाते रहने वाले रिटायर्ड डीसीपी एल एन राव (Retired DCP L N Rao) कहते हैं, “देखिए अगर गैंगवार में गैंगस्टर-बदमाश आपस में मरें तो कानून पुलिस और समाज के लिए, इससे अच्छा तो कुछ हो ही नहीं सकता है, लेकिन यह आपस में एक दूसरे को बेहद कठिन परिस्थितियों में ही टारगेट करते हैं... क्योंकि हर गैंग को अपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर बस अपने खाने-कमाने से ज्यादा मतलब होता है. जहां तक पंजाब की इस घटना में गैंगस्टर की मां के कत्ल की बात है, अगर यह टारगेट किलिंग है तो बेशक गैंगस्टर्स के परिवारों-रिश्तेदारों पर भी अब अकाल मौत का खतरा मंडराने लगा है.”