Pahalgam Terrorist Attack: इन्हें ‘Sleeper Cell’ मत कहो, यह तो भारत के गद्दार पाकिस्तान में ट्रेंड आतंकवादी हैं
कश्मीर घाटी के पहलगाम में मंगलवार को दिन-दहाड़े हुए ‘अमंगल’ में भारतीय एजेंसियों ने ‘ऑपरेशन क्लीन अप’ शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में सबसे पहले उन दो गद्दार भारतीयों यानी ‘स्लीपर-सेल’ (Sleeper Cell) की पहचान की गई जो इस नरसंहार के जिम्मेदार हैं. इस ‘ऑपरेश क्लीन अप’ में भारतीय एजेंसियों ने साझा अभियान में सबसे पहले, दोनों अपने ही गद्दार स्लीपर-सेल की पहचान करके, उनके घरों को बर्बाद कर डाला.

दुनिया यह समझ रही है कि पहलगाम में मंगलवार को तबाही मचवाने वाले भारत के गद्दारों ने तो सिर्फ ‘स्लीपर सेल’ के बतौर काम किया है. असल में निर्दोष-निहत्थे पर्यटकों का खून-खराबा, उनके ऊपर गोलीबारी करने वाले आतंकवादी तो पाकिस्तानी थे. नहीं यह गलतफहमी दूर करिए. इन खबरों से बाहर निकल कर देखिए तो पता चलेगा कि, पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ, वे भी आतंकवादी के ही रूप में मौजूद रहे जिन्हें हम अब तक ‘स्लीपर-सेल’ समझ रहे थे.
कश्मीरी आतंकवादी का पाकिस्तान से सीधा संबंध...
ज्यों-ज्यों पहलगाम नरसंहार (Pahalgam Terrorist Attack) की जांच आगे बढ़ रही है. त्यों-त्यों अंदर दबी पड़ी पुख्ता चौंकाने वाली खबरें भी बाहर निकल कर आ रही हैं. इस लोमहर्षक सामूहिक हत्याकांड को लेकर देश की खुफिया, जांच एवं सुरक्षा एजेंसियों से बात करने पर पता चलता है कि, त्राल और बिजबेहरा (कश्मीर घाटी) में रहने वाले आदिल हुसैन थोकर व आसिफ हुसैन शेख मूसा और अली भाई केवल ‘स्लीपर-सेल’ तक की सीमित नहीं थे. कश्मीर घाटी के त्राल इलाके का मूल निवासी आदिल हुसैन थोकर तो पाकिस्तान की यात्रा भी कर चुका था. वह साल 2018 में अटारी वाघा सीमा-द्वार से बाकायदा वैध तरीके से पाकिस्तान पहुंचा था.
कानूनन पाकिस्तान जाकर आतंकवाद सीखा
भारतीय खुफिया एजेंसियों की मानें तो आदिल हुसैन थोकर जब कानूनी रूप से पाकिस्तान पहुंच गया. तो वहां उसने आतंकवादी शिविरों में ‘टेरर ट्रेनिंग’ ली. बीते साल वह पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर घाटी में वापिस लौट आया. उसके बाद वो कश्मीर घाटी में बेफिक्री के आलम में रहकर “स्लीपर सेल और ट्रेंड आतंकवादी” दोनों ही बनकर रहने लगा. क्योंकि उसे दृढ़ विश्वास था कि जब वो गैर-कानूनी तरीके से पाकिस्तान गया ही नहीं. तो फिर भारतीय एजेंसियों को उसके ऊपर, पाकिस्तान के टेररिस्ट कैंपों में आतंकवाद की ट्रेनिंग लेकर, कश्मीर घाटी में लौट आने का शक भी भला क्यों होगा?
चूक गई हैं हमारी एजेंसियां...
इस बात को आगे बढ़ाते हुए भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व अधिकारी कहते हैं, ‘दरअसल जब कोई कश्मीरी युवा इतने लंबे समय तक पाकिस्तान में रहा. भले ही वो जायज वीजा पर ही क्यों न भारत से पाकिस्तान गया हो. उसकी कश्मीर वापसी पर हमारी एजेंसियों, लोकल पुलिस को तो उसे बुलाकर उससे पूछताछ करनी चाहिए थी कि, आखिर वो पाकिस्तान में इतने दिनों तक रहने क्यों गया? वहां कहां रहा? पाकिस्तान में उसने क्या किया? आदि-आदि सवाल तो करने ही चाहिए थे. नहीं पूछताछ की तो उसी लापरवाही का तो नतीजा सामने है पहलगाम नरसंहार के रूप में.’