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Pahalgam Attack की खुल रहीं परतें, 5 आतंकी 10 मिनट तक मासूम पर्यटकों पर बरसाते रहे 'मौत'

पहलगाम में आंतकियों ने सोच समझकर साजिश को अंजाम दिया. जहां बैसरन में मौत का खेल खेला गया, जिसके चलते 26 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. अब धीरे-धीरे इस हमले की परतें खुल रही हैं. जहां पता चला है कि आंतकियों ने 3 जगहों को अपना निशाना बनाया था.

Pahalgam Attack की खुल रहीं परतें, 5 आतंकी 10 मिनट तक मासूम पर्यटकों पर बरसाते रहे मौत
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हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Published on: 24 April 2025 12:37 PM

मंगलवार की दोपहर कश्मीर की वादियों में लिपटा बैसरन का हरा-भरा घास का मैदान अचानक इंसानी खूनी खेल का मैदान बन गया. यह कोई सामान्य आतंकी हमला नहीं था, बल्कि एक ठंडी सोच और नफरत से भरा धार्मिक पहचान पर आधारित नरसंहार था, जिसमें मासूम टूरिस्टों को चुन-चुनकर मौत के घाट उतारा गया.

करीब दोपहर 1:50 बजे जब बच्चे ट्रैम्पोलिन पर खेल रहे थे, लोग भेलपुरी खाते हुए घाटी की खूबसूरती में खोए थे, तभी देवदार के घने जंगलों से पांच हमलावर पूरी तैयारी के साथ निकले. उनके पास राइफलें थीं और कुछ के पास बॉडीकैम लगे होने की आशंका जताई गई. यानी यह खून-खराबा न केवल किया गया, बल्कि शायद इसे रिकॉर्ड भी किया गया.

इसके बाद आतंकियों ने तीन अलग-अलग पॉइंट्स को निशाना बनाया. तीनों जगहें टूरिस्टों से भरी थीं. यह कोई अंधाधुंध फायरिंग नहीं थी. ये हमलावर अपने शिकार को पहचानकर चुन रहे थे. गवाहों की आंखों में अभी भी वो खौफ जिंदा है. उन्होंने बताया कि हमलावर सीधे लोगों के पास आए. उनका धर्म पूछा और इस्लामी आयत सुनाने को कहा. जो नहीं सुना सका या गलती कर गया, उसे नजदीक से सिर में गोली मार दी गई.

सिर पर मारी गई गोलियां

सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि कई लोगों की हत्या बेहद नजदीक से सिर में गोली मारकर की गई. इसका मतलब साफ है कि आतंकियों का मकसद सिर्फ डर फैलाना नहीं था, बल्कि चुनिंदा हत्याएं करना था, जैसे कोई अपनी नफरत की लिस्ट लेकर आया हो.

30 मिनट बाद आई पुलिस

हमले के बाद आतंकी उसी जंगल में भाग गए, जहां से वे आए थे, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुलिस को इस खूनी वारदात की जानकारी पूरे 30 मिनट बाद क्यों मिली? जब तक खबर पहुंची हमलावर गायब हो चुके थे. पीछे रह गईं सिर्फ लाशें, खून से सनी घास, और ऐसी चीखें जो अब भी घाटी की फिजाओं में तैर रही होंगी.

बैसरन का वो शांत इलाका, जहां लोग सुकून की तलाश में आते हैं, अब एक क्राइम सीन बन चुका है. यह हमला सिर्फ लोगों की जान नहीं ले गया, बल्कि उस भरोसे को भी चीर गया जो हम सैलानी बनकर ऐसी जगहों में लेकर जाते हैं. यह अपराध है इंसानियत के खिलाफ. यह सवाल है हम सबके सिस्टम पर. और यह चेतावनी है कि नफरत जब बंदूक थाम ले, तो खूबसूरती भी कब्रगाह बन जाती है.

आतंकी हमलापाकिस्तान
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