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बैसरन घाटी ‘राम-भरोसे’ क्यों, दुश्मन जागता रहा और हमारी एजेंसियां… कैसे करें सिस्टम पर भरोसा? Exclusive

पहलगाम हमले को लेकर 1986 बैच के पूर्व आईपीएस और जम्मू कश्मीर राज्य के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक ने कई बड़े खुलासे किए हैं. उन्होंने कहा कि मतलब साफ है कि ओवर कॉन्फीडेंस के चक्कर में फंसी हमारी एजेंसियों ने बैसारन घाटी को भगवान भरोसे छोड़ दिया या फिर ‘लावारिस’ समझ लिया. उन्होंने इस हमले को लेकर एजेंसियों को खुब सुनाया.

बैसरन घाटी ‘राम-भरोसे’ क्यों, दुश्मन जागता रहा और हमारी एजेंसियां… कैसे करें सिस्टम पर भरोसा? Exclusive
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Pahalgam Terror Attack
संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 26 April 2025 8:26 AM IST

'जम्मू कश्मीर के पहलगाम (Pahalgam Terror Attack) स्थित ‘बैसरन-घाटी’ (Baisaran Valley ) में बीते मंगलवार यानी, 22 अप्रैल 2025 को हुए ‘अमंगल’ वाले दिन मौके पर एक भी सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था. मतलब साफ है कि अति-आत्म-विश्वास (ओवर कॉन्फीडेंस) के फेर में फंसी हमारी एजेंसियों ने, बैसारन घाटी को भगवान भरोसे समझिए या फिर ‘लावारिस’ (Target Killing) छोड़ दिया था. इसी का नतीजा है उस खूबसूरत जगह को मनहूस बना देने वाले, 28 निहत्थे-निर्दोष लोगों की रूह कंपा देने वाली मौत. वह तो खैर मनाइए भगवान का शुक्रिया अदा कीजिए कि, हिंदुस्तानियों के खून से रंग डाली गई बैसारन घाटी (Pahalgam Terrorist Attack) के एकदम मुहाने पर ही मौजूद है अमरनाथ यात्रा का बेस-कैंप.अब उसे ही सुरक्षित रख लीजिए तब भी शायद हमारी थोड़ी-बहुत इज्जत बची रह सके.'

यह दो टूक खरी-खरी कहने वाले हैं 1986 बैच जम्मू कश्मीर कैडर के पूर्व आईपीएस और, वहीं के (जम्मू कश्मीर) रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक एस पी वैद्य (आईपीएस शेष पाल वैद्य). एस पी वैद्य कहते हैं कि बेशक गलती काम करने वालों से ही होती है. पहलगाम में मगर जो गलती हुई वो तो बिना कोई मजबूत सुरक्षा-इंतजाम न किए जाने के चलते हुए है. मतलब वहां तो सुरक्षा इंतजाम के नाम पर कोई काम किया ही नहीं गया था. बैसरन (बैसारन घाटी) को लावारिस समझ कर छोड़ दिया गया.

पाकिस्तान कश्मीर का दुश्मन है, जानते हुए भी...

यह अक्षम्य अपराध है. किसी भी बहाने से इस अपराध के जिम्मेदारों को नहीं बख्शा जाना चाहिए. जब हमारी एजेंसियों को पता है कि जम्मू कश्मीर, हमेशा पाकिस्तान (Pakistani Terrorist) के निशाने पर रहता है. जब पाकिस्तान और उसके आतंकवादियों (Jammu Kashmir Terror Attack) को मौका मिलता है तब वे, भारत के कब्जे वाले कश्मीर को ‘इंसान के खून’ से रंगने से बाज नहीं आते हैं. जब हमारा जग-जाहिर पाकिस्तान सा दुश्मन जागते रहकर, मौका मिलते ही कश्मीर पर घात लगाकर हमला बोल सकता है. तो फिर जम्मू-कश्मीर घाटी में हमारी सुरक्षा-खुफिया एजेंसियां सोने की हिमाकत कैसे कर सकती हैं?

बैसरन घाटी को ‘राम-भरोसे’ छोड़ा कैसे?

ऐसे में सवाल पैदा होता है कि यह सब जानते हुए भी आखिर पहलगाम स्थित बैसारन घाटी जैसे रमणीय पर्यटन स्थल को, हमारी एजेंसी ने ‘रामभरोसे’ कैसे और क्यों छोड़ दिया था? यह सवाल मेरा हिंदुस्तान के किसी व्यक्ति या एजेंसी विशेष से नहीं. यह सवाल तो मेरा ‘सरकारी सिस्टम’ में शामिल हर उस एजेंसी और हर हुक्मरान से है, जिसके कंधों पर देश की सुरक्षा-संप्रुभता की जिम्मेदारी है. जिन पर विश्वास करके हम अपने घरों में खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं.”

पहलगाम कांड का दर्द सीने में दफन है

जम्मू में मौजूद यह तमाम दो टूक खरी-खरी बातें जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक एस पी वैद्य (Ex IPS Retired DGP Jammu Kashmir SP Vaid) ने, 24 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में मौजूद ‘स्टेट मिरर हिंदी’ के एडिटर (क्राइम) से विशेष बातचीत में कहीं. पूर्व दबंग ब्यूरोक्रेट और खुद जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक रह चुके एस पी वैद्य, फोन पर इंटरव्यू में पहलगाम कांड को लेकर अपने सीने में दफन दर्द को बयान कर रहे थे. राज्य के सेवा-निवृत्त महानिदेशक एस पी वैद्य (IPS SP Vaid) कहते हैं, “ मैं मानता हूं कि चूक इंसान से कभी भी, किसी से भी कहीं भी हो सकती है.

सभी हिंदुस्तानी एजेंसियां कैसे चूक गईं?

पहलगाम में तो मगर हमारी सभी एजेंसियां चूक गईं. यह तो मुझे ही क्या दुनिया को हैरान करने वाली बात है. फिर चाहे वो रॉ, आईबी, जम्मू कश्मीर पुलिस, भारतीय मिलिट्री इंटेलीजेंस या एनआईए (RAW, IB, Jammu Kashmir Police, Military Intelligence, NIA)हो. इतनी भारतीय एजेंसियों की इस कदर की भरी पड़ी भीड़ में से किसी की भी नजर, पाकिस्तानी आतंकवादियों और राज्य में छिपे, उनके ‘स्लीपर सेल’ पर नहीं पड़ी.

यह चूक नहीं ‘ब्लंडर’, अक्षम्य अपराध है

यह चूक नहीं ‘ब्लंडर’ है ब्लंडर. इस शर्मनाक घटना के लिए जिम्मेदारों को कतई नहीं बख्शा जाना चाहिए. पहले घटना को अंजाम देने वाले आतंकवादियों को ठिकाने लगाइए. उसके बाद इस घटना के लिए जिम्मेदार अपनी एजेंसियों और उनके टॉप टू बॉटम अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ वो सख्त कदम उठाइए, जो इन एजेंसियों की आने वाली पीढ़ियों के लिए नजीर बन जाए.”

आतंकी हमला
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