Pahalgam Attack: क्यों NSA डोभाल को मिला सेना के पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन चीफ एके सिंह का साथ, ये है Inside Story
भारत का गुस्सा देखकर दुश्मन देश पाकिस्तान और वहां छिपे बैठे आतकंवादी गुटों के आका खुद को संयमित कर पाते, तब तक भारत ने एक और बज्रपात पाकिस्तान पर गिरा दिया है. हिंदुस्तानी हुकूमत ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (NSA Ajit Dobal) की टीम में, भारतीय फौज के एक बेहद अनुभवी और काबिल पूर्व वरिष्ठ अफसर को शामिल कर दिया है.

पहलगाम की बैसरन घाटी में (Pahalgam Terrorist Attack) 22 अप्रैल 2025 को पाकिस्तानी आतकंवादियों द्वारा निहत्थे-निर्दोष भारतीयों के खून से खेली गई खूनी होली ने, भारत को ही नहीं दुनिया को बेहाल कर रखा है. भारत-पाकिस्तान के बीच आने वाले 36 घंटे इस सबको लेकर बेहद कठिन माने जा रहे है. तब से जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की तीनों सेनाध्यक्षों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और सीडीएस के साथ अहम की है.
भारत का गुस्सा देखकर दुश्मन देश पाकिस्तान और वहां छिपे बैठे आतकंवादी गुटों के आका खुद को संयमित कर पाते, तब तक भारत ने एक और बज्रपात पाकिस्तान पर गिरा दिया है. हिंदुस्तानी हुकूमत ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (NSA Ajit Dobal) की टीम में, भारतीय फौज के एक बेहद अनुभवी और काबिल पूर्व वरिष्ठ अफसर को शामिल कर दिया है. इनका नाम है एके सिंह मतलब अजय कुमार सिंह. एके सिंह हिंदुस्तानी फौज की दक्षिणी कमान के पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन चीफ हैं. आइए जानते हैं इनसाइड स्टोरी में कि, एके सिंह का भारतीय फौज का बैकग्राउंड और उनकी उन काबिलियतों के बारे में, जिनकी वजह से उन्हें आज भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही खतरनाक खींचतान के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में शामिल किया गया है.
कौन हैं सुरक्षा परिषद में पहुंचने वाले एके सिंह
एके सिंह के पिता ठाकुर अमर सिंह उत्तराखंड के मशहूर वकील वकील हैं. इनका परिवार मूल रूप से गांव ठसका (मंगलौर) उत्तराखंड का निवासी है. इस वक्त परिवार हरिद्वार के रुड़की शहर में रह रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक एके सिंह ने भारतीय फौज में 38 से 40 वर्ष की नौकरी की है. इस दौरान शायद ही भारत का वह हिस्सा इनसे बाकी बचा रह सका होगा, जहां भारतीय फौज के लिए यह तैनात न रह चुके हों. भारतीय फौज में हर विषम परिस्थिति में, हर कठिन जगह पर काम के अनुभव के चलते ही, एके सिंह को हिंदुस्तानी हुकूमत ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में शामिल भी किया है.
2022 में जनरल ऑफिस कमांडिंग-इन चीफ बने
भारतीय सुरक्षा परिषद में शामिल किए जाते ही भारतीय सेना के अनुभवी पूर्व अधिकारी एके सिंह ने दो दिन पहले, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (Governor of Uttarakhand Lt General Gurmit Singh) से राजभवन पुहंचकर शिष्टाचार भेंट की. यह वही लेफ्टिनेंट जरनल अजय कुमार सिंह हैं, जिन्हें साल 2022 के अंतिम महीनों में (नवंबर 2022) भारतीय सेना की दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिस कमांडिंग-इन चीफ का पद सौंपा गया था. अजय कुमार सिंह को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे, और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र अजय कुमार सिंह (Lieutenant General) को दिसंबर 1984 में 7/11 गोरखा राइफल्स में कमीशन मिला था. 15 दिसंबर 1984 को भारतीय फौज में सेवा शुरु करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल के पद से एके सिंह 30 जून 2024 को यानी पिछले साल ही रिटायर (General Officer Commanding-in-Chief Southern Command of the Indian Army) हुए हैं.
ले. जनरल अजय कुमार सिंह की खूबियां
जाहिर सी बात है कि एके सिंह को भारतीय फौज में उनके बेहतरीन सेवा-प्रदर्शन और अनुभव के आधार पर ही हिंदुस्तानी हुकूमत ने उन्हें देश की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में लिया है. जानना जरूरी है कि आखिर इनकी पेशेवार काबिलियतें क्या-क्या रहीं? भारतीय फौज में पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह ‘इंफ्रेंट्री’ के ‘मास्टर’ माने जाते रहे हैं. हिंदुस्तानी फौज की गोरखा रेजीमेंट को उसके साथ तमाम उम्र काम करने के चलते उसे बेहतरीन तरीके से जानते-पहचानते हैं. भारतीय फौज की पूर्वी कमांड, 33 कोर कमांड में काम करने का भी बहुत अनुभव है. जम्मू-कश्मीर का चप्पा चप्पा इनका द्वारा फौज की नौकरी के दौरान ही छाना जा चुका है.
भारतीय फौज के अध्यक्ष बनते-बनते रह गए!
कहते तो यह भी हैं कि आज भारतीय सेना के रिटायर्ड ले. जनरल अजय कुमार सिंह, बीते कल में भारतीय थलसेनाध्यक्ष बनते-बनते रह गए थे. क्योंकि भारत की फौज के नियमों के हिसाब से एके सिंह, भारत के मौजूदा थलसेनाध्यक्ष (Chief of Army Staff of the Indian Army General Upendra Dwivedi) जनरल उपेंद्र द्विवेदी से छह महीने वरिष्ठता क्रम (IC NUMBER) में पीछे रह गए. इसी कमीशन नंबर के अनुसार जनरल द्विवेदी 6 महीने वरिष्ठ होने के चलते, भारतीय फौज के सेनाध्यक्ष बनाए गए थे.