लोकसभा में क्यों खाली है डिप्टी स्पीकर का पद? मल्लिकार्जुन खरगे ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी, क्या कहते हैं नियम?
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पहली से 16वीं लोकसभा तक प्रत्येक सदन में एक उपाध्यक्ष रहा है. मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों में से उपाध्यक्ष की नियुक्ति स्थापित परंपरा रही है. हालांकि, स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार यह पद लगातार दो लोकसभा कार्यकालों के लिए रिक्त रहा है.

Mallikarjun Kharge Letter To PM Modi: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहने पर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा है कि यह पत्र आपको लोक सभा उपाध्यक्ष का पद खाली रहने से जैसे मामले को आपके ध्यान में लाने के लिए लिख रहा हूं. उन्होंने पीएम को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 का हवाला देते हुए कहा है कि यह व्यवस्था लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों के चुनाव को अनिवार्य बनाता है.
संवैधानिक रूप से डिप्टी स्पीकर, स्पीकर (अध्यक्ष) के बाद सदन का दूसरा सबसे बड़ा पीठासीन अधिकारी होता है. डिप्टी स्पीकर का पद लगातार दूसरे लोक सभा के कार्यकाल में खाली रहना संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है.
संविधान के अनुच्छेद 93 में क्या है?
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 93 में यह प्रावधान है कि लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद को यथाशीघ्र अपने दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुने गए और जब भी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद रिक्त होगा तो तो सदन किसी अन्य सदस्य को अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के रूप में चुनेगा."
उन्होंने आगे कहा कि परंपरागत रूप से उपाध्यक्ष का चुनाव नवगठित लोक सभा के दूसरे या तीसरे सत्र में होता है. इस चुनाव की प्रक्रिया अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया के समान ही है. अंतर केवल यह है कि उपाध्यक्ष के चुनाव की तिथि लोक सभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के नियम 8(1) के अनुसार अध्यक्ष द्वारा तय की जाती है.
लगातार 2 लोक सभा सत्र से डिप्टी स्पीकर का पद खाली
पहली से सोलहवीं लोक सभा तक प्रत्येक सदन में एक उपाध्यक्ष रहा है. मोटे तौर पर मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों में से उपाध्यक्ष की नियुक्ति एक सुस्थापित परंपरा रही है. स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार यह पद लगातार दो लोकसभा कार्यकालों के लिए रिक्त रहा है.
खरगे ने पीएम से की ये अपील
सत्रहवीं लोकसभा के दौरान कोई उपाध्यक्ष नहीं चुना गया था. यह चिंताजनक मिसाल मौजूदा अठारहवीं लोकसभा में भी जारी है. यह भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अच्छा नहीं है और संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है. सदन की सम्मानित परंपराओं और हमारी संसद के लोकतांत्रिक लोकाचार को ध्यान में रखते हुए मैं आपसे बिना किसी और देरी के लोकसभा के उपाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध करता हूं.
इसके अलावा, उन्होंने ये भी कहा कि यह स्थिति भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए शुभ संकेत नहीं है. भारतीय संविधान की भावनाओं की भी उपेक्षा है.