करूर भगदड़ पर हाईकोर्ट सख्त, SIT जांच का निर्देश, कहा - 'अदालत अपनी आंखें बंद नहीं...'
Karur Stampede Case: करूर भगदड़ विवाद मामले में एक रिट याचिका पर सुनवाई करने के बाद जस्टिस एन सेंथिलकुमार ने कहा कि एक बड़ी मानव निर्मित आपदा के कारण निर्दोष लोगों की जान गई. उन्होंने भगदड़ को गंभीर मानते हुए कहा कि अदालत आंखें बंद नहीं कर सकती. कोर्ट ने SIT बनाकर मामले की गहन जांच का आदेश दिया है.

Karur Stampede Controversy: करूर में हाल ही में हुए भगदड़ हादसे ने कई लोगों की जान ले ली और दर्जनों घायल हो गए. इस घटना पर मद्रास हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए साफ कहा कि अदालत आंखें मूंदकर नहीं बैठ सकती. कोर्ट ने SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) गठित कर मामले की निष्पक्ष जांच कराने का निर्देश दिया.
मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (3 अक्टूबर) को करूर भगदड़ की जांच के लिए आईपीएस अधिकारी असरा गर्ग की अध्यक्षता में एक एसआईटी गठित करने का आदेश दिया. इस भगदड़ में कम से कम 41 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए.
करूर की घटना मानव निर्मित हादसा
इस त्रासदी से जुड़ी प्राथमिकी में अभिनेता से नेता बने विजय का नाम क्यों नहीं शामिल किया गया, इस पर सवाल उठाने वाली एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस एन सेंथिलकुमार ने कहा कि एक बड़ी मानव निर्मित आपदा के कारण निर्दोष लोगों की जान गई. कोर्ट ने SIT को जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने के आदेश भी हैं.
क्या है पूरा मामला?
करूर में धार्मिक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ मच गई थी. इस घटना में कुचले जाने से कई श्रद्धालुओं की मौत हुई थी और दर्जनों घायल हुए थे. घटना के बाद प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठने लगे. बीजेपी से सीबीआई जांच की मांग की थी. कार्यक्रम के आयोजकों की ओर से इस मामले की निष्पक्ष जांच के आदेश दिए गए थे.
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प्रशासनिक लापरवाही से नहीं किया इनकार
याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारी का मामला भी है. अदालत ने कहा कि "हम आंखें बंद करके नहीं बैठ सकते, सच सामने आना चाहिए." कोर्ट ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन को भी कठघरे में खड़ा किया. साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों.
पीड़ित परिवारों को राहत
अदालत ने सरकार को मृतकों के परिजनों और घायलों को उचित मुआवजा और सहायता देने के निर्देश भी दिए हैं.