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मंदिर में दीप जलाने से दरगाह को आपत्ति, जज ने लगाई लताड़! बोले- मुस्लिमों पर कोई असर नहीं...

मद्रास हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा तिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी के निचले हिस्से में स्थित दीपस्थंभ पर कार्तिगई दीपम जलाने से पास की दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर किसी भी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा. कोर्ट ने यह फैसला हिंदू भक्तों द्वारा दायर अपील पर सुनाया.

मंदिर में दीप जलाने से दरगाह को आपत्ति, जज ने लगाई लताड़! बोले- मुस्लिमों पर कोई असर नहीं...
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( Image Source:  X/@prashant10gaur )
विशाल पुंडीर
Edited By: विशाल पुंडीर

Published on: 3 Dec 2025 9:00 AM

मद्रास हाईकोर्ट ने एक अहम और लंबे समय से चल रहे विवाद पर अपना फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि तिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी के निचले हिस्से में स्थित दीपस्थंभ पर कार्तिगई दीपम जलाने से पास की दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर किसी भी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा. कोर्ट ने यह फैसला हिंदू भक्तों द्वारा दायर अपील पर सुनाया और कहा कि परंपरागत धार्मिक अनुष्ठान को रोकने का कोई वैध आधार प्रस्तुत नहीं किया गया.

न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन की बेंच ने अरुलमिगु सुब्रमनिया स्वामी मंदिर प्रबंधन को निर्देश दिया कि वे सामान्य स्थानों के अलावा इस वर्ष से दीपस्थंभ पर भी प्रमुख त्योहार कार्तिगई दीपम जलाना सुनिश्चित करें. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कहा कि प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी इस आदेश के पालन की पूरी जिम्मेदारी निभाएं.

कार्तिगई दीपम क्या है?

कार्तिगई दीपम दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश का एक प्राचीन रोशनी का पर्व है. यह तमिल महीने कार्तिकै (नवंबर–दिसंबर) की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन घरों, गलियों और मंदिरों में मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं. यह पर्व मुख्य रूप से भगवान शिव और उनके पुत्र कार्तिकेय (मुरुगन) को समर्पित है.

कोर्ट ने प्रिवी काउंसिल के पुराने फैसले का दिया हवाला

फैसले में अदालत ने 1920 के दशक में आए प्रिवी काउंसिल के निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि दीपस्थंभ जिस भूभाग पर स्थित है, वह दरगाह प्रबंधन का हिस्सा नहीं बल्कि मंदिर की संपत्ति है.न्यायाधीश ने कहा “दीपस्थंभ निचले शिखर पर है जबकि मस्जिद उच्चतम शिखर पर है. हिंदू भगवान सुब्रमनिया निचले शिखर के आधार पर हैं. दीपस्थंभ मुस्लिमों के कब्जे वाला हिस्सा नहीं है.”

“दीप जलाने से किसी भी समुदाय के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे”

दरगाह प्रबंधन की आपत्तियों को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने स्पष्ट टिप्पणी की कि दीपस्थंभ पर दीया जलाने से किसी पक्ष को कोई नुकसान नहीं होगा.उन्होंने कहा “दीपस्थंभ पर दीपक जलाने से दरगाह या मुसलमानों के अधिकार किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होंगे.” कोर्ट ने यह भी कहा कि दरगाह पक्ष यह दिखाने में विफल रहा कि दीप जलाने से उन्हें कैसे नुकसान पहुंच सकता है, जबकि इसके विपरीत यदि दीप न जलाया गया तो मंदिर के अधिकारों के प्रभावित होने की आशंका बनी रहेगी.

न्यायाधीश ने स्थल का किया व्यक्तिगत निरीक्षण

निर्णय से पहले न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने खुद तिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी का दौरा किया और पाया कि दरगाह की ओर जाने वाला रास्ता और दीपस्थंभ की ओर जाने वाला मार्ग दोनों स्पष्ट रूप से अलग हैं.यह भौगोलिक स्थिति यह प्रमाणित करती है कि दीपस्थंभ मंदिर की भूमि पर है और दरगाह के अधीन मान्यता प्राप्त क्षेत्र में नहीं आता. पहाड़ी के सर्वोच्च शिखर पर सिकंदर बादशाह दरगाह स्थित है, जबकि अरुलमिगु सुब्रमनिया स्वामी मंदिर निचले हिस्से में है.

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