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सबरीमाला मंदिर से कहां गया 4.54 किलो सोना? केरल हाई कोर्ट को देना पड़ा जांच का आदेश

केरल का सबरीमाला मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है, लेकिन अचानक से यह पवित्र स्थान विवादों में घिर गया है, क्योंकि मंदिर से 4.54 किलो सोना गायब हो गया है, जिसके बारे में सभी अनजान है. अब इस मामले में केरल हाई कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं.

सबरीमाला मंदिर से कहां गया 4.54 किलो सोना? केरल हाई कोर्ट को देना पड़ा जांच का आदेश
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 15 Oct 2025 6:30 PM IST

केरल के सबरीमाला मंदिर से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. मंदिर के द्वारपालक (Guardian deity) की मूर्तियों से जुड़ी ताम्रपत्र पर चढ़े सोने का वजन अचानक कम पाया गया. यह अंतर कोई मामूली नहीं बल्कि 4.5 किलो से भी ज्यादा है. अब केरल हाई कोर्ट ने इस गंभीर विसंगति पर सख्ती दिखाई है.

अदालत ने साफ कहा कि 4.5 किलो सोने का गायब होना किसी भी तरह से सामान्य घटना नहीं मानी जा सकती. कोर्ट ने त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड को निर्देश दिया है कि पूरा मामला सतर्कता जांच (Vigilance Inquiry) के दायरे में लाया जाए और तीन हफ्तों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए

शुरुआत कहां से हुई?

यह विवाद 2019 में शुरू हुआ था. दरअसल, त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (TDB) ने बिना कोर्ट या विशेष आयुक्त को बताए, द्वारपालक मूर्तियों पर लगे सोने जड़े ताम्रपत्रों को मरम्मत और दोबारा गोल्ड-प्लेटिंग के लिए हटवा दिया था. जब इन ताम्रपत्रों को उतारा गया, उस समय उनका वजन 42.8 किलो था. लेकिन जब इन्हें एक महीने बाद चेन्नई की कंपनी ‘स्मार्ट क्रिएशंस’ के पास ले जाया गया, तो वजन घटकर 38.25 किलो रह गया. यानि करीब 4.54 किलो सोना रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया.

कोर्ट की सख्ती

जस्टिस राजा विजयराघवन वी और केवी जयकुमार की बेंच ने इसे बेहद गंभीर मामला बताया. अदालत ने टिप्पणी की कि यह कोई साधारण कमी नहीं है बल्कि 4.541 किलो का साफ तौर पर और चौंकाने वाला अंतर है, जो गहन जांच की मांग करता है. अदालत ने कहा कि 1999 में स्थापित इन मूर्तियों को 40 साल की वारंटी के साथ स्वीकृति दी गई थी, लेकिन सिर्फ छह साल बाद ही उनमें खराबी आ गई. यही वजह थी कि 2019 में फिर से सोने की परत चढ़ाने का काम शुरू हुआ था.

सोने का वजन क्यों घटा?

कंपनी को भेजे जाने से पहले ताम्रपत्रों का वजन घट जाना सवालों के घेरे में है. भक्त-प्रायोजक उन्नीकृष्णन पोट्टी ने इन्हें चेन्नई तक पहुंचाया था. लेकिन रास्ते में और संभालने के दौरान आखिर क्या हुआ, यह किसी को पता नहीं. बाद में जब कंपनी ने इन्हें दोबारा गोल्ड-प्लेटिंग कर वापस भेजा, तो वजन थोड़ा बढ़कर 38.65 किलो हुआ, लेकिन यह भी मूल वजन से काफी कम था.

जांच के आदेश

केरल हाईकोर्ट ने इस मामले को हल्के में न लेते हुए सतर्कता जांच का आदेश दिया है. अदालत ने टीडीबी के चीफ विजिलेंस एंड सिक्योरिटी ऑफिसर, जो पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी हैं, को तीन हफ्तों के भीतर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है. साथ ही सभी रजिस्टर और रिकॉर्ड उन्हें सौंपने का निर्देश दिया गया है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि देवस्वम बोर्ड पूरी तरह जांच में सहयोग करे.

सवालों के घेरे में आस्था और प्रशासन

सबरीमाला मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. यहां भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए हर साल करोड़ों लोग आते हैं. ऐसे में सोने की रहस्यमयी कमी ने न सिर्फ मंदिर प्रशासन बल्कि श्रद्धालुओं के बीच भी चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है. आस्था से जुड़ी मूर्तियों पर लगे सोने का अचानक कम होना किसी साधारण गलती से ज्यादा एक बड़े रहस्य की ओर इशारा करता है.

नतीजा

सोने की इस कमी ने सबरीमाला मंदिर प्रबंधन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हाईकोर्ट ने अब जिम्मेदारी से काम करते हुए सख्त जांच की नींव रख दी है. आने वाले समय में यह जांच ही बताएगी कि आखिर 4.5 किलो सोना कहां और कैसे गायब हुआ. लेकिन फिलहाल, यह मामला एक धार्मिक स्थल की गरिमा और व्यवस्था दोनों के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है.

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