हमास के आंकड़े झूठे, गाजा में कोई नरसंहार नहीं हुआ... इजराइल के राजदूत ने प्रियंका गांधी की बोलती बंद कर दी, जानें और क्या कहा
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इज़रायल पर फ़िलिस्तीन में नरसंहार का आरोप लगाया, यह दावा करते हुए कि अब तक 60,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है, जिनमें 18,430 बच्चे शामिल हैं. उन्होंने केंद्र सरकार की चुप्पी की भी आलोचना की. भारत में इज़रायल के राजदूत रूवेन अजार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि 25,000 हमास आतंकियों को मारा गया है और नरसंहार का कोई मामला नहीं है. इस बीच, गाज़ा में पांच अल जज़ीरा पत्रकारों की मौत पर प्रियंका ने इसे 'सच दबाने की साज़िश' बताते हुए निंदा की.

Reuven Azar response on Priyanka Gandhi Allegations: कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के आरोपों पर इज़राइल के भारत में राजदूत रूवेन अजार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. प्रियंका गांधी ने X पर पोस्ट करते हुए कहा था, “इज़राइल फिलिस्तीन में नरसंहार कर रहा है. अब तक 60,000 से ज्यादा लोगों की हत्या की जा चुकी है, जिनमें 18,430 बच्चे शामिल हैं. सैकड़ों लोगों को भूख से मार दिया गया है और लाखों को भुखमरी की धमकी दी जा रही है.” उन्होंने केंद्र सरकार पर भी चुप्पी साधने और इज़राइल की कार्रवाइयों पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया.
इजराइल के राजदूत अजार ने प्रियंका को जवाब देते हुए लिखा, “शर्मनाक आपकी भ्रामक बातें हैं. इज़राइल ने 25 हजार हमास आतंकियों को मारा है. मानव जीवन का यह भीषण नुकसान हमास की घृणित रणनीति का नतीजा है. वे नागरिकों को ढाल बनाते हैं, सहायता लेने या निकलने की कोशिश कर रहे लोगों पर गोली चलाते हैं और रॉकेट दागते हैं.”
'हमास ने गाजा में फैलाई भुखमरी'
अजार ने यह भी कहा कि इज़राइल ने गाज़ा में 20 लाख टन खाद्य सामग्री भेजी, लेकिन हमास ने उसे कब्जे में लेकर भुखमरी फैलाई. उन्होंने दावा किया कि पिछले 50 वर्षों में गाज़ा की आबादी 450% बढ़ी है, इसलिए वहां कोई नरसंहार नहीं हो रहा. साथ ही उन्होंने कहा, “हमास के आंकड़ों पर भरोसा मत करें.”
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प्रियंका गांधी ने की अल जज़ीरा पत्रकारों की हत्या की निंदा
इस बीच, प्रियंका गांधी ने गाज़ा में पांच अल जज़ीरा पत्रकारों की हत्या की निंदा करते हुए इसे 'निर्दय हत्या' और 'सच को दबाने की कोशिश' बताया. अल जज़ीरा के मुताबिक, गाज़ा सिटी में पत्रकारों के टेंट पर इज़राइली हमले में अनस अल-शरीफ और उनके चार सहयोगियों की मौत हुई. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने इस हमले को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन बताया.