अमेरिका की मध्यस्थता, भारतीय सेना का मुंहतोड़ जवाब और IMF कर्ज... भारत-पाक के बीच सीजफायर की इनसाइड स्टोरी
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बीच अमेरिका की मध्यस्थता से एक महत्वपूर्ण सीजफायर समझौता हुआ है. दोनों देशों ने समुद्र, ज़मीन और हवा में सभी सैन्य गतिविधियां रोकने पर सहमति जताई है. इस संघर्षविराम से दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता की उम्मीद जगी है. आइए, जानते हैं भारत-पाक के बीच हुए सीजफायर की इनसाइड स्टोरी...

India Pakistan Ceasefire Inside Story: भारत और पाकिस्तान के बीच 7 मई से शुरू हुआ संघर्ष अब थम गया है. शनिवार (10 मई) को दोनों देशों के बीच अचानक हुए सीजफायर के एलान ने सभी को चौंका दिया. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे पहले भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर होने की जानकारी दी. इसके बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी इसकी पुष्टि की.
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद 7 मई से पाकिस्तान की ओर से लगातार जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के कई शहरों में ड्रोन और मिसाइल से हमला किया, जिसे नाकाम कर दिया गया. ऐसे में दोनों देशों के बीच सीजफायर ने एक गहरी रणनीतिक पृष्ठभूमि का संकेत देती है. आइए जानते हैं इस सीजफायर की इनसाइड स्टोरी...
भारत-पाकिस्तान सीजफायर की इनसाइड स्टोरी
2025 की शुरुआत से ही भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव तेज़ी से बढ़ रहा था. नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दोनों सेनाओं के बीच गोलाबारी की घटनाएं सामने आ रही थीं. पाकिस्तान की ओर से भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को लेकर झूठे दावे और दुष्प्रचार अभियान भी चलाया गया, जिससे स्थिति और बिगड़ती गई.
पाकिस्तान का दुष्प्रचार अभियान
पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यह झूठ फैलाने की कोशिश की कि भारतीय S-400 और ब्रह्मोस मिसाइल बेस को JF-17 से निशाना बनाया गया. सिरसा, जम्मू, पठानकोट, भटिंडा, नालिया और भुज के वायुसेना अड्डों को नुकसान पहुंचा. इसके साथ ही, चंडीगढ़ और व्यास के आयुध डिपो (ammunition depots) नष्ट हो गए. पाकिस्तान ने यह भी दावा किया कि भारतीय सेना ने धार्मिक स्थलों (मस्जिदों) को नुकसान पहुंचाया. हालांकि, इन सभी दावों को कर्नल सोफिया कुरैशी ने सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि ये पूरी तरह से गलत और भारत की छवि खराब करने की कोशिश है.
सैन्य संतुलन और भारत की स्पष्ट नीति
भारत ने यह साफ कर दिया था कि वह हर दुष्प्रचार का तथ्यपरक जवाब देगा, लेकिन बिना उकसावे की कार्रवाई नहीं करेगा. भारत की सेना हर मोर्चे पर तैयार थी, लेकिन सरकार और सैन्य नेतृत्व दोनों शांति के रास्ते को प्राथमिकता दे रहे थे.
कूटनीतिक हलचल और अमेरिका की मध्यस्थता
अमेरिका ने हालात की गंभीरता को देखते हुए हस्तक्षेप किया. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और उपराष्ट्रपति वेंस ने 48 घंटे के भीतर भारत और पाकिस्तान दोनों के शीर्ष नेताओं, सेनाध्यक्षों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों से सीधी बातचीत की: भारत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर, NSA अजीत डोभाल और पाकिस्तान से प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ, सेना प्रमुख असीम मुनीर, NSA आसिम मलिक. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सार्वजनिक घोषणा की- भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल संघर्षविराम पर सहमति दी है.
IMF कर्ज और पाकिस्तान पर दबाव
अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) की तरफ से पाकिस्तान को नया लोन तभी मंजूर किया गया जब उसने भारत के साथ हालात सामान्य करने की गारंटी दी. अमेरिका और यूरोपीय देश पहले ही पाकिस्तान से कह चुके थे कि वह Funding to Firing पॉलिसी छोड़े. भारत ने भी UN और IMF में यह मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया कि पाकिस्तान आतंकी संगठनों को पालकर अंतरराष्ट्रीय कर्ज का गलत इस्तेमाल कर रहा है.
सेना की थकावट और अंदरूनी संकट
पाकिस्तानी सेना आंतरिक विद्रोह, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हमलों और आर्थिक संकट से जूझ रही है. जनरल असीम मुनीर के लिए दो मोर्चों पर लड़ना मुश्किल होता जा रहा था. भारत की ओर से सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आक्रामक रणनीति अपनाई और यह स्पष्ट कर दिया कि आतंक का जवाब अब युद्ध होगा. इससे पाकिस्तान के पास पीछे हटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.
भारत की मजबूत तैयारी
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी तैयारियों को काफी मजबूत किया था. यही वजह है कि पाकिस्तान की तरफ से दागे गए हर ड्रोन और मिसाइल हमले को नाकाम कर दिया गया. यही नहीं, उसके 4 एयरबेस को भी नुकसान पहुंचाया. इससे पहले, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में घुसकर 9 आतंकी ठिकानों को बर्बाद कर दिया, जिसमें कई कुख्यात आतंकी मारे गए.
यही नहीं, 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई ऐसे कदम उठाए, जिसे पाक को बिल्कुल उम्मीद नहीं थी. इसमें सिंधु जल समझौते को सस्पेंड करना, पाकिस्तानियों को भारत छोड़ने का आदेश देना, आयात पर रोक लगाना और पाकिस्तानी जहाज को भारतीय बंदरगाह पर न आने का निर्देश देना आदि शामिल हैं. इसके अलावा, सरकार ने सभी राज्यों को मॉक ड्रिल कराने का भी निर्देश दिया.
सीजफायर समझौते के मुख्य बिंदु
- सीमा पर तत्काल प्रभाव से गोलीबारी बंद.
- समुद्र, हवा और ज़मीन पर सभी सैन्य गतिविधियां रोकी जाएंगी (कमोडोर रघु आर. नायर के अनुसार तीनों सेनाओं को इसके निर्देश दे दिए गए हैं)
- तटस्थ स्थान पर आगे की बातचीत होगी.
- फैक्ट-चेकिंग और झूठी सूचनाओं पर संयुक्त निगरानी.
सीजफायर का महत्व
- दोनों देशों के आम नागरिकों को राहत.
- व्यापार और मानवीय संपर्कों को सामान्य करने की उम्मीद.
- भविष्य के संवाद की नींव मजबूत.
क्या सीजफायर टिकेगा?
यह युद्धविराम एक कूटनीतिक जीत है, लेकिन टिकाऊ तभी होगा जब पाकिस्तान अपनी ज़मीन से आतंकियों को पूरी तरह खत्म करे. भारत के लिए यह सिर्फ एक रणनीतिक Cooling Period है, ताकि आगे की बड़ी रणनीति को अंजाम दिया जा सके.