US से टकराव, पड़ोसियों से तनाव... क्या कम हो रही मोदी सरकार की विदेश नीति की धार?
भारत की विदेश नीति को लंबे समय से 'स्ट्रॉन्ग डिप्लोमेसी' और 'ग्लोबल लीडरशिप' के रूप में पेश किया जाता रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कई अहम मंचों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई, चाहे वह G20 की अध्यक्षता हो, क्वाड में भागीदारी हो या BRICS और SCO में सक्रियता... लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वाकई भारत की विदेश नीति की धार कमज़ोर हो रही है?

भारत के लिए यह हफ्ता कूटनीतिक दृष्टि से बेहद अहम साबित होने वाला है. एक ओर अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाकर शुल्क 50% तक पहुंचा दिया है, तो दूसरी ओर पीएम मोदी जापान और चीन के बड़े समिट्स में भाग लेने जा रहे हैं. साथ ही, फिजी के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा और बांग्लादेश के साथ सीमा सुरक्षा वार्ता भी भारत की क्षेत्रीय रणनीति को नया आयाम दे रही है. इस सप्ताह भारत को वैश्विक शक्ति संतुलन, आर्थिक हितों और क्षेत्रीय सुरक्षा, तीनों को साधते हुए कूटनीति की तनी हुई रस्सी पर चलना होगा.
भारत की विदेश नीति को लंबे समय से 'स्ट्रॉन्ग डिप्लोमेसी' और 'ग्लोबल लीडरशिप' के रूप में पेश किया जाता रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कई अहम मंचों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई, चाहे वह G20 की अध्यक्षता हो, क्वाड में भागीदारी हो या BRICS और SCO में सक्रियता... लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वाकई भारत की विदेश नीति की धार कमज़ोर हो रही है?
अमेरिका-भारत व्यापार तनाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है. इससे कुल टैरिफ 50% हो गया है. यह फैसला भारत द्वारा रूस से डिस्काउंट पर कच्चा तेल खरीदने की वजह से लिया गया. साथ ही, अमेरिका ने 25–29 अगस्त के बीच प्रस्तावित व्यापार वार्ता अचानक रद्द कर दी. हालांकि, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा है कि भारत किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों पर कोई समझौता नहीं करेगा और 'राष्ट्रीय हित' में फैसले लेता रहेगा. कुल मिलाकर, बात यह है कि अमेरिका-भारत संबंधों में अब पहले जैसी सहजता नहीं दिख रही है.
भारत में नया अमेरिकी दूत
इसी तनावपूर्ण माहौल में ट्रंप प्रशासन ने भारत के लिए नए अमेरिकी राजदूत की घोषणा कर दी है. ट्रंप के भरोसेमंद सहयोगी सर्जियो गोर को इस अहम पद पर नियुक्त किया गया है. गोर को दक्षिण और मध्य एशिया मामलों का विशेष दूत भी बनाया गया है.
पड़ोस में तनाव – चीन और पाकिस्तान की चुनौती
भारत के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द उसका पड़ोस है. चीन के साथ लद्दाख सीमा विवाद अब भी पूरी तरह सुलझा नहीं है. हाल ही में चीन ने नई 'मानचित्र नीति' और बुनियादी ढांचे के विस्तार से तनाव और बढ़ाया है. वहीं, आतंकवाद और राजनीतिक अस्थिरता के बीच पाकिस्तान भारत के लिए 'लो-इंटेंसिटी कॉन्फ्लिक्ट' बनाए रखना चाहता है. साथ ही, पाकिस्तान-चीन की नज़दीकी CPEC और ग्वादर पोर्ट के जरिए भारत पर रणनीतिक दबाव बढ़ा रही है, जबकि नेपाल और श्रीलंका में चीन की बढ़ती मौजूदगी भारत के 'नेबरहुड फर्स्ट' पॉलिसी के लिए चुनौती बन रही है.
क्या भारत की डिप्लोमेसी बैलेंस खो रही है?
विदेश नीति हमेशा 'बैलेंसिंग एक्ट' पर टिकी होती है. भारत एक तरफ अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ सामरिक साझेदारी चाहता है, वहीं दूसरी तरफ रूस और चीन जैसे पुराने पार्टनर्स को भी खोना नहीं चाहता, लेकिन मौजूदा हालात में अमेरिका से टकराव, चीन के साथ तनाव और पड़ोस में दूरी, यह दिखाता है कि बैलेंस बनाए रखना पहले जितना आसान नहीं रहा.
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अब स्पष्ट प्राथमिकताएं तय करनी होंगी, 'मल्टी-अलाइन्मेंट' की रणनीति तभी सफल होगी जब हर पार्टनर को भरोसा हो कि भारत उसके लिए अहम है, और सबसे ज़रूरी है कि पड़ोस में भारत का प्रभाव मज़बूत रहे, वरना चीन उस खाली जगह को भर देगा.
अमेरिका की नाराज़गी और पड़ोसियों की दूरी निश्चित तौर पर भारत की विदेश नीति के लिए चेतावनी संकेत हैं. अब सवाल यह है कि मोदी सरकार इस चुनौती को नई रणनीति और मज़बूत डिप्लोमेसी से अवसर में बदल पाएगी या नहीं.
पीएम मोदी की जापान यात्रा
29–30 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी जापान में 15वीं वार्षिक भारत-जापान शिखर वार्ता में शामिल होंगे. जापानी पीएम शिगेरू इशिबा के साथ मोदी आर्थिक, तकनीकी और रक्षा सहयोग पर बातचीत करेंगे. यह मोदी का प्रधानमंत्री बनने के बाद जापान का 8वां दौरा होगा.
7 साल बाद चीन यात्रा
31 अगस्त को पीएम मोदी चीन के तियानजिन शहर में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. यहां उनकी मुलाकात राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी होगी. 2020 के गलवान संघर्ष के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव था, लेकिन हाल ही में सीमा पर शांति, व्यापार बहाली और हवाई सेवाओं को लेकर सहमति बनी है.
फिजी और बांग्लादेश के साथ बातचीत
फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी रबुका की पहली भारत यात्रा इंडो-पैसिफिक और ग्लोबल साउथ के साथ भारत की बढ़ती भागीदारी का संकेत है. वहीं ढाका में भारत-बांग्लादेश सीमा वार्ता हो रही है, जिसमें तस्करी, अवैध प्रवास और सीमा सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की जा रही है.