हिमाचल की सुक्खू सरकार मंदिरों से क्यों धन मांग रही है? बीजेपी ने कांग्रेस पर बोला हमला
हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने मंदिरों से दान देने की अपील की है. इस पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि एक तरफ सुक्खू सरकार सनातन धर्म का विरोध करती है, वहीं दूसरी तरफ अपनी योजनाओं को जारी रखने के लिए मंदिरों से धन की मांग कर रही है. आखिर सुक्खू सरकार मंदिरों से धन क्यों मांग रही है, आइए जानते हैं...

Himachal Politics: हिमाचल प्रदेश की सरकार इस समय गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है. इसलिए उसने प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए मंदिरों से दान देने का अनुरोध किया है. हालांकि, मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने इसका विरोध किया है. उसका कहना है कि इससे धार्मिक संस्थानों पर वित्तीय बोझ पड़ेगा. उसने इस कदम को चौंकाने वाला और अस्वीकार्य बताया. हालांकि, सरकार का कहना है कि यह धन विकास कार्यों में इस्तेमाल किया जाएगा.
पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह अपने नियंत्रण वाले मंदिरों पर सरकारी कल्याणकारी पहल 'सुख आश्रय' योजना के लिए धन देने का दबाव बना रही है. उन्होंने दावा किया कि सरकार ने 36 मंदिरों से योजना के लिए वित्तीय सहायता की मांग की है.
'सुक्खू सरकार मंदिरों से पैसे मांग रही है'
जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि सुखविंद सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार एक तरफ सनातन धर्म का विरोध करती है और हिंदू विरोधी बयान देती है, जबकि दूसरी तरफ अब वह देवी-देवताओं के मंदिरों से ही पैसा लेकर फ्लैगशिप योजना चलाना चाह रही है. उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार मंदिरों से पैसे मांग रही है, जिसके लिए अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है कि जल्दी से जल्दी पैसा सरकार को भेजा जाए. बीजेपी इस फैसला का विरोध करती है.
'आम जनता को सरकार के इस कदम का विरोध करना चाहिए'
एक वीडियो संदेश में ठाकुर ने आगे आरोप लगाया कि जिला प्रशासन मंदिर ट्रस्टों को सरकारी खजाने में धन हस्तांतरित करने के लिए मजबूर कर रहे हैं. हिमाचल सरकार के एक सचिव ने डिप्टी कमिश्नरों को एक पत्र जारी किया है, जिसमें उन्हें मंदिर ट्रस्टों से धन इकट्टा करने और सरकारी योजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए उन्हें खजाने में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं. यह अस्वीकार्य है. इस फैसले का विरोध किया जाना चाहिए. मंदिर और ट्रस्ट के लोगों के साथ आम जनता को भी राज्य सरकार के इस कदम का विरोध करना चाहिए.
जयराम ठाकुर ने 10 फरवरी से शुरू होने वाले आगामी विधानसभा सत्र और उसके बाद के फैसले का कड़ा विरोध करने की कसम खाई. उन्होंने इस कदम के खिलाफ भाजपा के रुख को दोहराते हुए कहा कि हम विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह इससे लड़ेंगे.
बता दें कि सुख आश्रय योजना का उद्देश्य अनाथों, एकल और निराश्रित महिलाओं और बुजुर्गों को बेहतर अवसर प्रदान करना है. 29 जनवरी के एक पत्र में कला, भाषा और संस्कृति विभाग ने मंदिर ट्रस्टों से मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना/कोष और मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना/कोष में योगदान देने का अनुरोध किया था.
कांग्रेस ने किया फैसले का बचाव
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह ने सुख आश्रय योजना के वित्तपोषण के लिए मंदिरों से धन के राज्य सरकार के अनुरोध के संबंध में जयराम ठाकुर के आरोपों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य नेक है. हमारी सरकार एक अच्छे उद्देश्य के लिए सुख-आश्रय योजना चला रही है. यह योजना असहाय बच्चों की शिक्षा का समर्थन करने और उन्हें बेहतर जीवन देने के लिए शुरू की गई थी.
प्रतिभा सिंह ने कहा कि यह सिर्फ़ मंदिरों के बारे में नहीं है. हम सभी से आह्वान कर रहे हैं कि वे आकर बच्चों के कल्याण के लिए राशि दान करें. मंदिरों के अलावा अन्य संगठनों को भी आगे आकर अच्छे उद्देश्य में योगदान देना चाहिए.
हिमाचल सरकार मंदिरों से क्यों मांग रही धन?
हिमाचल के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने 29 जनवरी को एक अधिसूचना जारी की. इसमें मंदिर और ट्रस्ट्रों से मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना और मुख्य मंत्री सुख शिक्षा योजना के लिए दान करने को कहा गया है. सुख आश्रय योजना 2023, जबकि सुख शिक्षा योजना 2024 में शुरू की गई है. इन योजनाओं का उद्देश्य वंचित बच्चों को देखभाल और शिक्षा प्रदान करना है. सरकार ने कहा कि दान स्वैच्छिक होगा. इसमें कानून का भी पालन किया जाएगा.
वित्तीय संकट से जूझ रहा है हिमाचल
बता दें कि हिमाचल प्रदेश इस समय वित्तीय संकट से जूझ रहा है. पिछले दो वर्षों में विनाशकारी भूस्खलन और बाढ़ के कारण हालात और भी बदतर हो गए हैं. पिछले साल अगस्त में कुल्लू, मंडी और शिमला में बादल फटने से आई बाढ़ के चलते 30 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. वहीं, 27 जून से 9 अगस्त के बीच बारिश के चलते 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई. अकेले 2024 में 842 करोड़ रुपये, जबकि 2023 में 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है.
वित्तीय संकट के कारण पिछले साल मंत्रियों-विधायकों के वेतन और भत्ते रोक दिए गए थे. सीएम सुक्खू ने इस बात को स्वीकार किया था कि केंद्र सरकार और असम, बिहार और दिल्ली जैसे अन्य राज्यों से वित्तीय सहायता के बावजूद हिमाचल प्रदेश अपने खर्चों को पूरा नहीं कर पा रहा है. हिमाचल ने केंद्र सरकार पर 2500 से 3500 करोड़ रुपये के लंबित जीएसटी बकाये का भुगतान करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया. यही वजह है कि सरकार ने धार्मिक संस्थाओं की ओर रुख किया है.