H1b Visa पर विपक्ष के निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी! राहुल गांधी ने बताया 'Weak PM', खरगे-अखिलेश ने भी बोला हमला
अमेरिका ने H1-B वीज़ा फीस $100,000 (83 लाख रुपये) प्रति आवेदन तक बढ़ा दी है, जिससे हजारों भारतीय IT पेशेवरों पर असर पड़ेगा. राहुल गांधी और कांग्रेस ने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए उन्हें 'कमजोर प्रधानमंत्री' बताया और विदेश नीति में विफलता का आरोप लगाया. मल्लिकार्जुन खरगे और गौरव गोगोई ने मोदी की विदेश नीति को राष्ट्रीय हित के लिए खतरा बताया. वहीं, अखिलेश यादव ने केंद्र पर आर्थिक और तकनीकी निर्भरता बढ़ाने का आरोप लगाया.

H1B Visa Fees Hike: अमेरिकी सरकार ने H1-B वीजा फीस में $100,000 (83 लाख रुपये) प्रति आवेदन की बढ़ोतरी का ऐलान किया है, जो भारतीय तकनीकी पेशेवरों और अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले हजारों भारतीयों को सीधे प्रभावित करेगा. इस फैसले के बाद कांग्रेस और विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार को पीएम मोदी पर तीखा हमला किया. उन्होंने अपने पुराने 2017 के X (Twitter) पोस्ट को फिर से साझा करते हुए लिखा, “मैं दोहराता हूं, भारत का प्रधानमंत्री कमजोर है (I repeat, India has a weak PM). ”
राहुल गांधी ने अमेरिकी फैसले की खबर के स्क्रीनशॉट के साथ इसे शेयर किया और आरोप लगाया कि मोदी सरकार भारतीय हितों की रक्षा करने में विफल रही है. उनका तंज था कि PM मोदी की विदेश नीति केवल 'लाउड ऑप्टिक्स और स्ट्रैटेजिक साइलेंस' तक सीमित रह गई है.
यह ‘Abki Baar, Trump Sarkar’ की सरकार का उपहार है: खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खjगे ने भी पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “भारतीयों को आपके जन्मदिन के बाद मिली वापसी की तोहफ़ों से चोट पहुंची है. यह ‘Abki Baar, Trump Sarkar’ की सरकार का उपहार है.” खरगे ने अमेरिकी फैसले को मोदी की विदेश नीति में कमजोरी का प्रतीक बताया और भारत-पाकिस्तान संबंधों में ट्रंप के दावे और ऑपरेशन सिंदूर को भी याद दिलाया.
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने X पर लिखा, “H1-B फैसले ने भारत के सबसे प्रतिभाशाली युवा पेशेवरों के भविष्य को प्रभावित किया है. मुझे याद है कैसे पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने अमेरिकी धरती पर एक IFS महिला कूटनीतिज्ञ के अपमान पर साहस दिखाया था. अब मोदी की रणनीतिक चुप्पी भारतीय नागरिकों और राष्ट्रीय हित के लिए Liability बन गई है.”
अखिलेश यादव ने कहा- हमारी विदेश नीति कमजोर है
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “यह पहली घटना नहीं है जब अमेरिका भारत के साथ ऐसे व्यवहार कर रहा है. हमारी विदेश नीति कमजोर है. अगर कल अन्य देश भी ऐसा करते हैं, तो हमारी तैयारी क्या है? हम उर्वरक और तेल जैसी आवश्यकताओं में अन्य देशों पर निर्भर होते जा रहे हैं.” अखिलेश ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह आर्थिक और तकनीकी स्वतंत्रता के बजाय अन्य देशों पर निर्भरता बढ़ा रही है.
H1-B फैसले का प्रभाव
अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों के लिए $100,000 प्रति H1-B वीज़ा आवेदन देने होंगे. भारतीय IT पेशेवर और स्टार्टअप्स सीधे प्रभावित होंगे. यह कदम भारत की तकनीकी प्रतिभा के भविष्य पर बड़ा असर डाल सकता है.
कुल मिलाकर, अमेरिकी H1-B फीस में बढ़ोतरी ने भारतीय विपक्ष को मोदी सरकार की विदेश नीति और नागरिक हितों के प्रति जवाबदेही पर हमला करने का मौका दे दिया है. राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य विपक्षी नेता इसे 'कमजोर नेतृत्व' और राष्ट्रीय हित के लिए खतरा मान रहे हैं.
क्या है H1B Visa?
H1B वीज़ा एक अमेरिका का वर्क वीज़ा है, जो विशेष रूप से विदेशी पेशेवरों को अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है. इसे आमतौर पर आईटी, इंजीनियरिंग, विज्ञान, हेल्थकेयर और अन्य उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के लिए जारी किया जाता है.
H1B वीजा के मुख्य बिंदु:
कौन आवेदन कर सकता है?
- किसी अमेरिकी कंपनी द्वारा नौकरी का ऑफर प्राप्त विदेशी पेशेवर.
- आम तौर पर उम्मीदवार के पास स्नातक (Bachelor’s) या उससे ऊपर की डिग्री होनी चाहिए.
कितनी अवधि के लिए मिलता है?
शुरू में 3 साल के लिए, जिसे 6 साल तक बढ़ाया जा सकता है,
क्या यह स्थायी निवास देता है?
सीधे ग्रीन कार्ड नहीं, लेकिन H1B वीज़ा होने से अमेरिका में नौकरी के माध्यम से ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन संभव है.
कंपनी का रोल:
- अमेरिकी कंपनी को वीज़ा के लिए सपॉन्सर होना पड़ता है.
- कंपनी H1B आवेदन फीस और जरूरी दस्तावेज़ संभालती है.
हाल की फीस बढ़ोतरी
हाल ही में अमेरिकी सरकार ने H1B वीज़ा की फीस $100,000 तक बढ़ा दी है, जिससे भारतीय IT पेशेवरों और कंपनियों पर बड़ा असर पड़ेगा.