धनतेरस पर सोने की चमक: किस देश के पास है सबसे ज्यादा सोना, भारत की क्या है स्थिति? पड़ोसी के पास है करीब तीन गुना ज्यादा
धनतेरस के अवसर पर सोना न केवल वैभव का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्रीय आर्थिक सुरक्षा और वैश्विक शक्ति का आधार भी है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका सबसे अधिक सोने का भंडार (8,133.46 टन) रखता है, जबकि भारत के पास 880 टन है. चीन, भारत का पड़ोसी, लगभग तीन गुना अधिक सोना रखता है. अमेरिका, जर्मनी, इटली, फ्रांस, रूस, चीन, स्विट्ज़रलैंड और भारत विश्व के आठ सबसे बड़े सोने धारक देश हैं, जो आर्थिक स्थिरता और सामरिक शक्ति में अहम भूमिका निभाते हैं.

धनतेरस का त्योहार हर साल संपन्नता, वैभव और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन सोना, चांदी और बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि इसे माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की कृपा का संकेत माना जाता है. आधुनिक युग में, जहां क्रिप्टो और डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़ रहे हैं, वहां भी सोना अपनी अमर चमक, स्थायित्व और सुरक्षा के कारण अनमोल है. यह न केवल व्यक्तिगत वैभव का प्रतीक है बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक मजबूत आधार है.
जैसे व्यक्ति अपने घर में सोना जमा कर भविष्य के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करता है, वैसे ही देश भी अपनी अधिकारिक सोने की भंडार के जरिए आर्थिक स्थिरता और वैश्विक शक्ति का प्रदर्शन करते हैं. विश्व सोने परिषद (World Gold Council) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के आठ ऐसे देश हैं जिनके पास सबसे अधिक सोने का भंडार है. इनमें अमेरिका, जर्मनी, इटली, फ्रांस, रूस, चीन, स्विट्ज़रलैंड और भारत शामिल हैं. ये देश न केवल सोने में संपन्न हैं, बल्कि इसे अपनी वैश्विक आर्थिक ताकत, वित्तीय सुरक्षा और भू-राजनीतिक प्रभाव के लिए भी इस्तेमाल करते हैं.
इस धनतेरस, जब हम सोने की पूजा और खरीदारी करते हैं, तो आइए जानते हैं कि विश्व स्तर पर कौन से देश सोने में सबसे आगे हैं और उनका आर्थिक महत्व क्या है.
अमेरिका: सोने की दुनिया का किंग
अमेरिका की सोने की भंडार क्षमता Q2 2025 में 8,133.46 टन पर स्थिर रही, जो Q1 की तुलना में अपरिवर्तित है. 2000 से 2025 तक अमेरिका के सोने का औसत 8,134.78 टन रहा है. इस अवधि में उच्चतम स्तर 8,149.05 टन (Q3 2001) और न्यूनतम स्तर 8,133.46 टन (Q3 2005) रहा. अमेरिकी भंडार दुनिया में सबसे आगे हैं, जो इसकी वैश्विक आर्थिक और वित्तीय शक्ति का मजबूत संकेत देता है. अमेरिका का सोना केवल वैभव का प्रतीक नहीं, बल्कि वित्तीय सुरक्षा, मुद्रास्फीति से बचाव और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में मजबूती का आधार भी है. अमेरिकी डॉलर की वैश्विक आरक्षित मुद्रा की स्थिति में सोने की भूमिका अहम रहती है.
जर्मनी: स्थिरता और वित्तीय अनुशासन का प्रतीक
जर्मनी के पास Q2 2025 में 3,350.25 टन सोने का भंडार है, जो Q1 की तुलना में थोड़ी गिरावट दर्शाता है. 2000 से 2025 के बीच जर्मनी का औसत भंडार 3,398.28 टन रहा है. उच्चतम स्तर 3,468.60 टन (Q2 2000) और न्यूनतम 3,350.25 टन (Q2 2025) दर्ज किया गया. जर्मनी की सोने की रणनीति इसे विश्व स्तर पर वित्तीय स्थिरता और विश्वसनीयता देती है. यूरोपियन यूनियन के आर्थिक ढांचे में जर्मनी की स्थिरता और उसकी मुद्रा नीति में सोने की भूमिका महत्वपूर्ण है.
इटली भी नहीं पीछे
इटली के पास Q2 2025 में 2,451.84 टन सोने का भंडार है, जो पिछले कई वर्षों से लगभग स्थिर है. 2000 से 2025 तक इटली का औसत भंडार भी 2,451.84 टन ही रहा है. इटली का यह स्थिर भंडार राष्ट्रीय वित्तीय सुरक्षा और विदेशी निवेशकों के विश्वास का संकेत देता है. भले ही इटली कला, भोजन और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध हो, लेकिन सोने में इसकी प्राथमिकता स्थायित्व और निरंतरता है.
फ्रांस: स्थिर और भरोसेमंद
फ्रांस के पास Q2 2025 में 2,437 टन सोना है, जो पिछली तिमाही से अपरिवर्तित है. 2002 में भंडार 3,000 टन से अधिक था, लेकिन 2012 तक यह घटकर 2,435.38 टन हो गया. अब फ्रांस का सोना स्थिरता का प्रतीक बन गया है. फ्रांस का यह भंडार उसे विश्व आर्थिक मंच पर मजबूत और भरोसेमंद खिलाड़ी बनाता है.
रूस तेजी से बढ़ा रहा गोल्ड रिजर्व
रूस के पास Q2 2025 में 2,329.63 टन सोना है, जो पिछली तिमाही से स्थिर है. 2000 से 2025 तक रूस का औसत भंडार 1,181.88 टन रहा. उच्चतम स्तर Q2 2024 में 2,335.85 टन और न्यूनतम Q2 2000 में 343.41 टन रहा. रूस का तेजी से बढ़ता सोने का भंडार इसे वैश्विक वित्तीय और भू-राजनीतिक ताकत बनाता है. इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं और व्यापार में स्वतंत्रता और शक्ति बनाए रखना है.
चीन है भारत से कहीं आगे
चीन के पास लगभग 2,279.6 टन सोने का भंडार है. यह देश अपने विशाल विदेशी भंडार का केवल एक हिस्सा सोने में रखता है, लेकिन लगातार वृद्धि इस बात का संकेत है कि चीन अर्थव्यवस्था और वैश्विक शक्ति दोनों में स्थिरता चाहता है. पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना समय-समय पर सोने के भंडार की वृद्धि की घोषणा करता है, जो उसकी दीर्घकालिक आर्थिक रणनीति का हिस्सा है.
स्विट्ज़रलैंड: छोटा पॉके बड़ा धमाका
स्विट्ज़रलैंड के पास लगभग 1,040 टन सोने का भंडार है. यह देश अपने वैश्विक वित्तीय केंद्र और सत्ता में तटस्थता की परंपरा के कारण इतना बड़ा भंडार रखता है. स्विस नेशनल बैंक सोने का प्रबंधन करता है, और यह राष्ट्रीय वित्तीय पहचान का अहम हिस्सा है.
भारत: तेजी से चमकता हुआ भंडार
भारत के पास Q2 2025 में 880 टन सोने का भंडार है, जो Q1 की तुलना में मामूली वृद्धि दर्शाता है. 2000 से 2025 तक औसत भंडार 531 टन रहा. न्यूनतम स्तर 357.75 टन (Q2 2001) और वर्तमान रिकॉर्ड स्तर 880 टन है. कहा जाता है कि भारतीय महिलाओं के पास जितना सोना है उतना पूरी दुनिया में कहीं नहीं है. लेकिन इसके आधार पर यह तय नहीं होता कि किस देश के पास कितना सोना है. भारत की सोने की कहानी वृद्धि, स्थायित्व और वैश्विक महत्व को दर्शाती है. यह भंडार न केवल आर्थिक सुरक्षा देता है, बल्कि भारत की वैश्विक वित्तीय पहचान और रणनीतिक ताकत को भी उजागर करता है.
सोना न केवल धनतेरस पर वैभव का प्रतीक है, बल्कि यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और वैश्विक शक्ति का भी आधार है. दुनिया के आठ शीर्ष देशों अमेरिका, जर्मनी, इटली, फ्रांस, रूस, चीन, स्विट्ज़रलैंड और भारत के सोने के भंडार उन्हें वैश्विक वित्तीय स्थिरता, सुरक्षा और सामरिक शक्ति प्रदान करते हैं.
व्यक्तिगत निवेश से लेकर राष्ट्रीय रणनीति तक, सोना हमेशा धन, शक्ति और स्थायित्व का प्रतीक रहेगा. धनतेरस के शुभ अवसर पर जब हम अपने घर और पूजा में सोने को महत्व देते हैं, यह याद रखना जरूरी है कि सोना केवल आभूषण नहीं, बल्कि एक वैश्विक आर्थिक सुरक्षा और सामरिक ताकत का प्रतीक भी है.