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अगर आप 60 लाख से कम कमाते हैं तो आप गरीब... सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश करते हुए घोषणा की कि 12 लाख रुपये सालाना वेतन पाने वाले लोगों को अब टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी. उनकी इस घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया और कई मीम्स वायरल हो रहे हैं.

अगर आप 60 लाख से कम कमाते हैं तो आप गरीब... सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 4 Feb 2025 10:18 AM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश करते हुए घोषणा की कि 12 लाख रुपये सालाना वेतन पाने वाले लोगों को अब टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी. उनकी इस घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया और कई मीम्स वायरल हो रहे हैं. कुछ यूजर्स ने मजाकिया अंदाज में कहा कि अब 12 लाख रुपये से अधिक वेतन पाने वाले लोग अपनी सैलरी बढ़ने पर जश्न नहीं मना सकेंगे. इसी बीच, एक यूजर की पोस्ट भी तेजी से वायरल हो रही है, जो ऑनलाइन खूब चर्चा में बना हुआ है.

सोशल मीडिया यूजर ने पोस्ट पर स्लैब शेयर करते हुए लिखा 'आज की 12 लाख तक की टैक्स छूट का रोना केवल आईटी वाले ही रो रहे हैं. गैर-आईटी क्षेत्रों में कई लोगों के लिए, 7-10 वर्षों के अनुभव के बाद भी 12 लाख एक सपना वेतन है. 24 लाख से अधिक कमाने वाले इन आईटी लोगों को खुद को "निम्न मध्यम वर्ग" कहना बंद कर देना चाहिए. 12 लाख भूल जाइए भारत के औसत वेतन की जाँच करें और देखें कि आप कहाँ खड़े हैं. बेहतर सड़कों, स्वास्थ्य देखभाल, पानी और शिक्षा की मांग करना उचित है, चाहे आप 1 लाख, 12 लाख, 24 लाख या 1 करोड़ कमाते हों. लेकिन 24 लाख वेतन के साथ ऐसा व्यवहार करना जैसे कि आप गरीब हैं? कृपया बकवास बंद करें.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एक यूजर ने लिखा कि एक फिनटेक उत्साही ने दावा किया कि 60 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम आय वाले लोग "गरीब" माने जा सकते हैं. यूजर ने तर्क दिया कि आय का लगभग 70% हिस्सा जीएसटी और वैट जैसे करों में चला जाता है, जिससे 2 लाख रुपये प्रति माह कमाने वाला व्यक्ति भी मध्यम वर्ग में ही आता है। उन्होंने लिखा, "2 लाख रुपये प्रति माह से कम आय वाले लोग मध्यम वर्ग हैं. 60 लाख से 1 करोड़ रुपये सालाना कमाने वाले लोग भी मध्यम वर्ग में आते हैं, जबकि 1 करोड़ से अधिक की आय वाले लोग उच्च मध्यम वर्ग में गिने जाते हैं. यदि आपके पास पीढ़ी दर पीढ़ी संपत्ति नहीं है, तो आप वास्तव में अमीर नहीं हैं.'

सोशल मीडिया यूजर्स ले रहे मजे

एक यूजर ने तर्क दिया, 'यह सिर्फ वेतन का मामला नहीं है, बल्कि कुल संपत्ति भी मायने रखती है. उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय 24 लाख रुपये है और जिसका 5 करोड़ रुपये का निवेश पोर्टफोलियो 60/40 अनुपात में विभाजित है, साथ ही उसका एक प्राथमिक निवास भी है, वह 60 लाख रुपये कमाने वाले लेकिन 50 लाख रुपये की देनदारियों और बिना किसी अतिरिक्त संपत्ति वाले व्यक्ति से अधिक समृद्ध होगा.'

दूसरे उपयोगकर्ता ने आयकर स्लैब के आधार पर वर्गीकरण करते हुए लिखा, 'आयकर स्लैब लोगों को वर्गीकृत करने का एक अच्छा मापदंड है. 4 लाख रुपये सालाना से कम आय वाले लोग निम्न आय वर्ग में आते हैं, 4-8 लाख रुपये वाले निम्न मध्यम वर्ग, 8-12 लाख रुपये वाले मध्यम वर्ग, 12-15 लाख रुपये वाले उच्च मध्यम वर्ग और 15-20 लाख रुपये कमाने वाले उच्च वर्ग में आते हैं. यदि चार लोगों के परिवार में केवल एक व्यक्ति 12 लाख रुपये कमाता है, तो इसे 12/4 के अनुपात में देखना चाहिए.'

एक अन्य यूजर ने कटाक्ष करते हुए कहा, 'अगर 60 लाख-1 करोड़ रुपये की वार्षिक आय 'मध्यम वर्ग' है, तो 12 लाख रुपये क्या होगा? गरीबी रेखा से नीचे? यह अर्थशास्त्र नहीं है, बल्कि केवल ट्रोलिंग है. अगर ऐसे ही लक्ष्य बदलते रहे, तो जल्द ही 'अमीर' का मतलब होगा मुंबई में फ्लैट खरीदना और उसे नकद में चुकाना.

हालांकि, कुछ लोग फिनटेक विशेषज्ञ की राय से सहमत भी नजर आए. एक यूजर ने लिखा, "बहुत सही कहा, खासकर अंतिम बिंदु. अगर आपके पास पीढ़ी दर पीढ़ी संपत्ति नहीं है, तो आप अमीर नहीं हैं.' दूसरे ने मेट्रो शहरों की जीवनशैली पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'यह सच है, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में एक सभ्य जीवन जीने के लिए सालाना कम से कम 50 लाख रुपये की जरूरत होती है.'

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