साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया: PM मोदी के C3 दौरे के क्या हैं मायने? निकोसिया से तुर्की को प्रधानमंत्री ने कैसे दिया कड़ा संदेश?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 से 19 जून 2025 तक तीन देशों, साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया, के दौरे पर हैं, जिसे 'C3 विजिट' कहा जा रहा है. यह दौरा रणनीतिक साझेदारी, वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को बढ़ाने की दिशा में अहम है. साइप्रस में तुर्की के प्रभाव को संतुलित करना, G7 में भारत की भागीदारी और क्रोएशिया में पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री की मौजूदगी इस यात्रा को खास बनाती है.

PM Modi Cyprus Canada Croatia Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 दिनों के विदेश दौरे पर निकले हैं. इस दौरे में वो साइप्रस के अलावा कनाडा और क्रोएशिया जाएंगे. 15 से 19 जून तक चलने वाली इस यात्रा का मकसद तीन देशों से दोस्ती और व्यापार को मजबूत करना है, साथ ही कनाडा में हो रहे G7 सम्मेलन में दुनिया के बड़े नेताओं से मुलाकात भी होगी. यह दौरा तुर्की और पाकिस्तान के बढ़ते तालमेल को संतुलित करने की भारत की कोशिश भी माना जा रहा है.
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीएम मोदी की यह पहली विदेश यात्रा है. ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान और PoK में आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला किया था, जिसमें सैकड़ों आतंकी मारे गए थे.
1. पहला पड़ाव – साइप्रस: रणनीतिक दोस्ती की नई शुरुआत
मोदी ने दौरे की शुरुआत साइप्रस से की, जो किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 27 साल बाद पहली यात्रा है. वहां लारनाका एयरपोर्ट पर साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिड्स ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. साइप्रस की राजधानी निकोसिया और शहर लिमासोल में उन्होंने व्यापार, सुरक्षा और तकनीकी सहयोग को लेकर बातचीत की. मोदी ने वहां के बिजनेस नेताओं से भी मुलाकात की और भारत के साथ मिलकर काम करने के मौके बताए.
साइप्रस ने भारत का हमेशा साथ दिया है- खासकर अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की साइप्रस ने कड़ी निंदा की थी. साइप्रस ने यूरोपीय यूनियन में भारत के समर्थन में आवाज उठाई है, जो पाकिस्तान-तुर्की गठजोड़ को जवाब देने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
पीएम मोदी ने साइप्रस की यात्रा के जरिए तुर्की (तुर्किये) को भी संदेश देने की कोशिश की, दरअसल, प्रधानमंत्री ने राजधानी निकोसिया के पास साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइडेस के साथ दूर स्थित पहाड़ियों की ओर देखा, तो वहां सिर्फ एक प्राकृतिक दृश्य नहीं था, वो दरअसल इतिहास का एक जख्म था जो आज भी ताजा है. वहीं पहाड़ियों पर बड़े-बड़े अक्षरों में खुदा हुआ वह संदेश था, जो हर साइप्रसवासी को याद दिलाता है- हमारा देश अधूरा है, हमारी धरती पर आज भी कब्ज़ा है."
ये वही इलाके हैं, जो वर्ष 1974 से तुर्की के सैन्य कब्जे में हैं. इन पहाड़ियों पर लिखे गए तुर्की के सैन्य प्रतीक और नारों को साइप्रस की जनता एक ‘स्थायी घाव’ के तौर पर देखती है. प्रधानमंत्री मोदी ने जब इस दृश्य को देखा, तो यह न केवल एक भू-राजनीतिक संदेश था, बल्कि एक भावनात्मक संवाद भी- यह स्पष्ट करता है कि उपनिवेशवाद, सैन्य कब्जा और मानवाधिकारों के उल्लंघन के ज़ख्म किसी भी राष्ट्र की चेतना में कैसे जीवित रहते हैं.
2. दूसरा पड़ाव – कनाडा: G7 समिट में हिस्सा और रिश्तों में नई शुरुआत
इसके बाद मोदी कनाडा के अल्बर्टा पहुंचेंगे, जहां कनानास्किस में G7 शिखर सम्मेलन हो रहा है. ये उनकी छठी बार G7 में भागीदारी है. सम्मेलन की मेज़बानी इस बार कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी कर रहे हैं, जो जस्टिन ट्रूडो की जगह मार्च में सत्ता में आए थे. G7 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, जर्मनी, इटली, कनाडा और यूरोपीय संघ के नेता होंगे. भारत को खास मेहमान के तौर पर बुलाया गया है. इस मंच पर मोदी ग्लोबल मुद्दों जैसे आतंकवाद, ऊर्जा सुरक्षा, AI, क्वांटम टेक्नोलॉजी और ईरान-इजराइल तनाव पर भारत की बात रखेंगे.
2023 में खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या को लेकर भारत-कनाडा के बीच रिश्ते खराब हो गए थे. लेकिन अब दोनों देशों के बीच फिर से बातचीत की कोशिश हो रही है. हालांकि कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर लोगों की चिंता अभी भी बनी हुई है.
3. तीसरा पड़ाव – क्रोएशिया: पहली बार किसी भारतीय PM की यात्रा
18 जून को मोदी क्रोएशिया जाएंगे, जो अब तक किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी. यहां वो प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविक और राष्ट्रपति मिलानोविक से मुलाकात करेंगे. यह दौरा व्यापार, टेक्नोलॉजी और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित है. क्रोएशिया को भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का संभावित पार्टनर भी माना जा रहा है. मोदी ने कहा, “भारत और क्रोएशिया के सांस्कृतिक रिश्ते सदियों पुराने हैं, यह यात्रा नए रास्ते खोलेगी.”
इस यात्रा की अहमियत क्या है?
यह तीन देशों की यात्रा भारत की एक्टिव डिप्लोमेसी की मिसाल है.
- साइप्रस दौरा तुर्की के प्रभाव को बैलेंस करता है,
- G7 में भारत अपनी बात दुनिया के सामने रखता है,
- क्रोएशिया यात्रा से भारत बाल्कन देशों में अपनी मौजूदगी बढ़ाता है.
लोग इस यात्रा को 'C3' (Cyprus, Canada, Croatia) कह रहे हैं- यानी कूटनीति, व्यापार, आतंकवाद के खिलाफ साझेदारी और संस्कृति पर फोकस.
नतीजा ये है
मोदी की इस यात्रा से भारत अपने पुराने दोस्तों के साथ रिश्ते मजबूत कर रहा है और साथ ही नए मौके भी तलाश रहा है. यह भारत की दुनिया में बड़ी भूमिका निभाने की दिशा में एक और कदम है.