पीड़िता की गवाही ही ठोस सबूत... इलाज के नाम पर नाबालिग से यौन शोषण करने वाले 'पीर बाबा' दोषी करार
कश्मीर के सोपोर में खुद को 'पीर बाबा' बताने वाले एजाज अहमद शेख को कोर्ट ने नाबालिगों के यौन शोषण के आरोप में दोषी ठहराया. उसने आध्यात्मिक उपचार की आड़ में मासूमों का शोषण किया. कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने पीड़ितों की मासूमियत का फायदा उठाया और उन्हें डराकर चुप रहने पर मजबूर किया. अब उसे सजा सुनाई जानी बाकी है.

यह मामला सच में चौंकाने वाला है... कश्मीर के सोपोर में 'पीर बाबा' के नाम से मशहूर एजाज अहमद शेख को कोर्ट ने यौन शोषण के मामले में दोषी करार दिया है. खुद को इलाज करने वाले इस शख्स ने आस्था की आड़ में नाबालिगों के साथ घिनौनी हरकतें कीं. कोर्ट ने रणबीर दंड संहिता (RPC) की धारा 377 के तहत उसे दोषी ठहराया, जो अप्राकृतिक अपराधों से जुड़ी धारा है. कोर्ट में कई लोगों के बयान के आधार पर दोषी ठहराया गया है.
पूरा मामला 2016 में सामने आया, जब एक नाबालिग ने अपने पिता को बताया कि कैसे 'पीर बाबा' ने उसका यौन शोषण किया था. इसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा और FIR दर्ज हुई. जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. यह बाबा 2012 से 2016 तक लगातार मासूम बच्चों को अपनी हवस का शिकार बना रहा था. वह उन्हें झूठे आशीर्वाद और दैवीय शक्ति का डर दिखाकर बहकाता था और विरोध करने पर भयंकर परिणाम भुगतने की धमकी देता था.
कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मीर वजाहत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष ने ठोस सबूतों के साथ साबित कर दिया कि आरोपी दोषी है. कोर्ट के अनुसार, "आरोपी ने पीड़ितों की मासूमियत का फायदा उठाकर उन्हें अपने जाल में फंसाया, उनके दिमाग के साथ खेला और उन्हें वर्षों तक मानसिक और शारीरिक पीड़ा दी." कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसे मामलों में मेडिकल सबूत जरूरी नहीं होते, जब पीड़ितों की गवाही पूरी तरह ठोस और विश्वसनीय हो.
पीड़ितों की गवाही बनी सबसे मजबूत कड़ी
ट्रायल के दौरान कई और पीड़ित सामने आए, जिन्होंने आरोपी के भयानक अपराधों की पुष्टि की. दो लोगों की गवाही को कोर्ट ने बेहद महत्वपूर्ण माना, क्योंकि ये बिल्कुल सुसंगत और अडिग थीं. अन्य पांच पीड़ितों ने भी साहस के साथ अपनी पीड़ा बताई. बचाव पक्ष ने आरोपों को पैसों को लेकर लिए जा रहा बदला बताया, लेकिन कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. अब इस फैसले के बाद आरोपी को सजा सुनाया जाना बाकी है.