अगर आपको आपका BOSS डांटे तो क्या अपराध...? जानें इस पर SC ने क्या की टिप्पणी
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वर्कप्लेस पर बॉस की डांट कोई अपराध नहीं. कोर्ट ने कहा, केवल गाली-गलौज, अशिष्टता, असभ्यता या अशिष्टता भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 504 के तहत जानबूझकर किया गया अपमान नहीं है.यह धारा में शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करने से संबंधित है.

Supreme Court: वर्कप्लेस पर काम को लेकर अक्सर सीनियर अपने जूनियर्स को डांट देते हैं. कई बार काम में गड़बड़ी और समय पर प्रोजेक्ट सबमिट न करने पर बॉस अपने वर्कर्स की क्लास लगाते नजर आते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, वर्कप्लेस पर बॉस की डांट कोई अपराध नहीं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सीनियर की डांट को अपराध मानकर उस पर आपराधिक एक्शन नहीं लिया जा सकता. ऐसा करने से ऑफिस का डिसिप्लिन प्रभावित होगा और कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजय करोल और संदीप मेहता की बेंच ने की.
क्या था मामला?
कोर्ट ने 2022 के एक केस में दायर याचिका को खारिज कर दिया. जिसमें एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने कार्यवाहक डायरेक्टर पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया था. उसने आरोप लगाया कि डायरेक्टर ने उन्हें ऑफिस के दूसरे कर्मचारियों के सामने डांटा और अपमानित किया. उसने आगे कहा कि कोविड के दौरान संस्थान के डायरेक्टर ने पर्याप्त PPE कीट उपलब्ध नहीं कराई थी, जिससे कोविड-19 बीमारी फैसले का खतरा था.
बॉस की डांट पर कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने कहा, केवल गाली-गलौज, अशिष्टता, असभ्यता या अशिष्टता भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 504 के तहत जानबूझकर किया गया अपमान नहीं है.यह धारा में शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करने से संबंधित है. इसके तहत दोषी को दो वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि डायरेक्टर ने सीनियर को उनके खिलाफ शिकायत करने पर अन्य कर्मचारियों के सामने उन्हें डांटा और फटकारा था.
कोर्ट ने 10 फरवरी को दिए गए फैसले में कहा गया, "यह एक उचित अपेक्षा है कि सीनियर पोस्ट पर रहकर काम देखता है, उसके जूनियर कर्मचारी अपने काम को पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ करेंगे." इसमें कमी देखने पर वर्कर्स को डांटने को स्वाभाविक है. कोर्ट ने कहा कि यदि इस तरह के व्यवहार को वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा नहीं रोका जाता है, जिन्हें प्रशासन का कार्य सौंपा गया है, तो यह अन्य कर्मचारियों के लिए भी ऐसा करने का एक प्रीमियम बन सकता है."