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रणवीर की भाषा से मुझे आ रही घिन, SC में बोले वकील चंद्रचूड़; पढ़ें कोर्ट की 10 बड़ी बातें
सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया (BeerBiceps) की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, जो इंडियाज गॉट लेटेंट शो में अश्लील और आपत्तिजनक टिप्पणियों के मामले में फंसे थे. अदालत ने उन्हें जांच में सहयोग करने और फिलहाल कोई नया शो न करने का निर्देश दिया. विवाद में कॉमेडियन समय रैना, आशीष चंचलानी और अन्य शामिल थे.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया (बीयरबाइसेप्स) की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. उनके खिलाफ महाराष्ट्र, असम और राजस्थान में शो इंडियाज गॉट लेटेंट के हालिया एपिसोड के दौरान की गई अश्लील और असभ्य टिप्पणियों को लेकर FIR दर्ज की गई थी.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने यह आदेश तब दिया जब अल्लाहबादिया ने सभी FIR को जोड़ने और अंतरिम संरक्षण की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की. अदालत ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देते हुए जांच में पूरा सहयोग करने और फिलहाल कोई नया शो न करने का निर्देश दिया है. वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि मैं रणवीर के इस्तेमाल की गई भाषा से निराश हूं. आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट ने क्या क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की 10 बड़ी बातें
- सुप्रीम कोर्ट आदेश दिया कि मुंबई और गुवाहाटी में दर्ज एफआईआर के तहत अल्लाहबादिया की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी, बशर्ते कि वह पुलिस जांच में शामिल हों. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी से मिली अंतरिम राहत इस शर्त पर दी गई है कि पुलिस थाने में किसी वकील के बिना वे पूरी तरह सहयोग करेंगे.
- अदालत ने यह भी आदेश दिया कि इस विवादास्पद एपिसोड और की गई टिप्पणियों के आधार पर उनके खिलाफ कोई नई FIR दर्ज नहीं की जानी चाहिए. बेंच ने शो में अल्लाहबादिया और उनके सहयोगियों के शब्दों और आचरण की कड़ी आलोचना की और कहा कि उनके द्वारा उपयोग की गई भाषा पूरे समाज के लिए शर्मनाक है.
- वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने कहा कि यूट्यूबर को 10 सेकंड के वीडियो क्लिप के लिए जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. उसकी जीभ काटने पर 5 लाख का इनाम है. इसपर कोर्ट ने न केवल इस पर सहानुभूति जताई, बल्कि अल्लाहबादिया की भाषा और आचरण के चयन पर भी सवाल उठाए.
- जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि क्या आप कही गई बातों का बचाव कर रहे हैं? इसपर चंद्रचूड़ ने जवाब दिया कि कोर्ट के अधिकारी के रूप में मैं इस्तेमाल की गई भाषा से घृणा करता हूं.
- कोर्ट ने कहा कि अश्लीलता और असभ्यता के मापदंड क्या हैं. समाज में कुछ स्व-विकसित मूल्य हैं और जब हम उन मापदंडों के भीतर व्यवहार करते हैं तो हम जानना चाहते हैं कि याचिकाकर्ता के अनुसार भारतीय समाज के मापदंड क्या हैं.
- पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस्तेमाल की गई भाषा अश्लीलता के समान है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर यह अश्लील नहीं है, तो क्या है? आप कभी भी अपनी अश्लीलता और भ्रष्टता दिखा सकते हैं.
- कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि इस मामले से संबंधित केवल दो एफआईआर हैं और यूट्यूबर दोनों में अलग-अलग अपना बचाव कर सकता है.
- कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति अपनी लोकप्रियता का लाभ उठाकर समाज को हल्के में नहीं ले सकता.
- जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि इस तरह के व्यवहार की निंदा की जानी चाहिए. सिर्फ इसलिए कि आप लोकप्रिय हैं, आप समाज को हल्के में नहीं ले सकते. क्या धरती पर कोई ऐसा है जो इस तरह की भाषा को पसंद करेगा. उसके दिमाग में कुछ बहुत गंदगी है जो उगल रही है. हमें उसकी रक्षा क्यों करनी चाहिए?"
- कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक से अधिक एफआईआर नहीं हैं, बल्कि केवल दो एफआईआर हैं और इलाहाबादिया दोनों मामलों में अलग-अलग अपना बचाव कर सकता है. कोर्ट ने राहत देने के लिए मौत की धमकियों को आधार मानने से भी इनकार कर दिया है.