पूर्व छात्र नेता से लेकर फ्रेशर तक, कौन हैं कलकत्ता लॉ कॉलेज में गैंगरेप के तीनों आरोपी?
कोलकाता के प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज में फर्स्ट ईयर छात्रा से गैंगरेप का मामला सामने आया है. मुख्य आरोपी टीएमसीपी से जुड़ा पूर्व छात्र नेता मोनोजीत मिश्रा है, जबकि दो अन्य आरोपी वर्तमान छात्र हैं. कॉलेज परिसर में हुई इस घटना ने छात्र राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. तीनों आरोपी पुलिस रिमांड पर हैं.

कोलकाता के प्रतिष्ठित साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में एक फर्स्ट ईयर छात्रा के साथ गैंगरेप के आरोपों ने राज्य की छात्र राजनीति और शिक्षा व्यवस्था दोनों को झकझोर दिया है. 25 जून की रात कॉलेज परिसर के भीतर ही हुई इस घटना के बाद से राज्य की राजनीति में उबाल है. पीड़िता की शिकायत और प्रारंभिक जांच के आधार पर पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनमें एक पूर्व छात्र नेता है, जबकि दो वर्तमान छात्र. तीनों का संबंध सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस की छात्र इकाई टीएमसीपी (TMCP) से बताया जा रहा है.
तीनों आरोपी कॉलेज में “टीम MM” नाम से एक गुट भी चलाते थे, जो यूनियन पॉलिटिक्स में दबदबा रखता था. लेकिन अब कॉलेज के छात्र संगठन से जुड़ा यह गुट, यौन शोषण और धमकी जैसे संगीन आरोपों के केंद्र में है. आइए जानते हैं कि तीनों आरोपी क्या करते हैं और इनकी प्रोफाइल क्या है?
पूर्व अध्यक्ष रह चुका है मोनोजीत मिश्रा
31 वर्षीय मोनोजीत मिश्रा साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज यूनिट का पूर्व अध्यक्ष रह चुका है और टीएमसीपी की राजनीति में एक जाना-पहचाना चेहरा रहा है. मध्यमवर्गीय बंगाली परिवार से आने वाला मोनोजीत कॉलेज में करीब एक दशक से सक्रिय था. उसने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बावजूद कॉलेज कैंपस से खुद को कभी दूर नहीं किया. उसपर पहले भी दबाव और धमकी के आरोप लगे थे, लेकिन कोई आधिकारिक शिकायत नहीं हुई थी. सूत्रों के अनुसार, उसका राजनीतिक कनेक्शन उसे बार-बार अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचाता रहा. 25 जून की घटना के बाद पुलिस ने 26 जून की शाम 7 बजे उसे तालबगान क्रॉसिंग के पास से गिरफ्तार किया और उसका मोबाइल जब्त कर लिया.
जैब अहमद ने इसी साल लिया था एडमिशन
19 वर्षीय जैब अहमद टॉपसिया का रहने वाला है और इस वर्ष (2024-25) ही उसने लॉ कॉलेज में प्रवेश लिया था. यह छात्र कॉलेज यूनियन की गतिविधियों में धीरे-धीरे सक्रिय हुआ और मोनोजीत मिश्रा के करीबी बन गया. इस घटना से पहले तक उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड या अनुशासनिक चेतावनी नहीं थी. 26 जून की शाम 7:35 बजे उसे भी पुलिस ने उसी जगह से पकड़ा, जहां से मोनोजीत को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने उसका मोबाइल फोन भी जब्त किया है.
राजनीति से दूर लेकिन ‘टीम MM’ से जुड़ा था प्रमित मुखर्जी
20 वर्षीय प्रमित मुखर्जी उर्फ प्रमित मुखोपाध्याय कॉलेज का सेकंड ईयर का छात्र है और स्थानीय निवासी है. वह राजनीतिक रूप से ज्यादा सक्रिय नहीं रहा, लेकिन मनोजीत और जैब के साथ उसकी बढ़ती नजदीकी को लेकर छात्रों में चर्चा थी. कॉलेज में वह एक औसत और शांत छात्र के रूप में पहचाना जाता था, मगर पुलिस को शक है कि वह या तो दबाव में या जानबूझकर इस गंभीर अपराध में शामिल हुआ. उसे 27 जून की रात 12:30 बजे उसके घर से गिरफ्तार किया गया, और उसका मोबाइल फॉरेंसिक जांच के लिए जब्त किया गया.
पुलिस ने तीनों को भेजा रिमांड पर
तीनों आरोपियों को 27 जून को अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां पुलिस ने 14 दिन की रिमांड की मांग की. कोर्ट ने तीनों को अगले मंगलवार तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है. केस की जांच कसबा थाना कर रहा है और फॉरेंसिक टीम को कॉलेज परिसर में जांच के लिए बुलाया गया है, जिसे अब सील कर दिया गया है.
क्या हुआ था उस रात?
एफआईआर और पीड़िता के बयान के अनुसार, 25 जून की शाम 7:30 बजे से रात 10:50 बजे के बीच कॉलेज कैंपस में उसके साथ गैंगरेप किया गया. वह परीक्षा से जुड़ा फॉर्म भरने के लिए दोपहर में कॉलेज आई थी और यूनियन रूम में रुकी हुई थी. उसी दौरान मुख्य आरोपी मोनोजीत मिश्रा पहुंचा और कथित रूप से कॉलेज का गेट बंद करवाया. इसके बाद पीड़िता को गार्ड रूम में ले जाकर दुष्कर्म किया गया. आरोप है कि अन्य दो आरोपी जैब और प्रमित भी इस दौरान वहीं मौजूद थे.
धमकी, वीडियो और हिंसा
पीड़िता ने बताया कि मोनोजीत मिश्रा ने उसे शादी का प्रस्ताव दिया था, जिसे ठुकराने पर वह उग्र हो गया. उसने पीड़िता को कमरे में बंद कर दिया, जान से मारने और उसके परिवार को झूठे केस में फंसाने की धमकी दी. उसने दुष्कर्म का वीडियो भी बनाया और वायरल करने की धमकी दी. जब पीड़िता ने विरोध किया और भागने की कोशिश की, तो आरोपियों ने उसे हॉकी स्टिक से मारा, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं. पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में गैंगरेप की पुष्टि हुई है और फॉरेंसिक साक्ष्य आरोपों को मजबूत कर रहे हैं.
कॉलेज कैंपस बना जांच का केंद्र
घटना के बाद पुलिस ने कॉलेज परिसर को सील कर दिया है. यूनियन रूम, गार्ड रूम और सीसीटीवी फुटेज की जांच जारी है. कॉलेज प्रशासन से भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है. इस घटना ने न सिर्फ लॉ कॉलेज की साख पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि छात्र राजनीति के नाम पर चल रही सत्ता-गुटबाजी और अपराधीकरण पर भी गंभीर बहस छेड़ दी है. अब निगाहें इसपर हैं कि क्या इस केस में निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई हो पाएगी, या राजनीतिक दबाव एक बार फिर सच्चाई पर पर्दा डाल देगा.