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ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकियों का काल बना Operation Keller, क्‍या है कश्‍मीर के घने जंगलों में सेना का यह अभियान?

ऑपरेशन सिंदूर की सख्त कार्रवाई के बाद अब भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के घने जंगलों में 'ऑपरेशन केलर' शुरू किया है. यह अभियान विशेष रूप से आतंकियों की जंगलों में छिपकर गतिविधि बढ़ाने की रणनीति के जवाब में चलाया जा रहा है. कुलगाम से शोपियां तक फैले जंगलों में सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन तेज़ कर दिया है.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकियों का काल बना Operation Keller, क्‍या है कश्‍मीर के घने जंगलों में सेना का यह अभियान?
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 13 May 2025 3:46 PM

भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक नीति का दूसरा चरण शुरू हो चुका है. 13 मई की सुबह, दक्षिण कश्मीर के शोपियां ज़िले के केलर इलाके में भारतीय सेना ने एक और सटीक और सफल आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया, जिसे नाम दिया गया ‘ऑपरेशन केलर’. इस मिशन के दौरान सेना ने तीन खूंखार लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादियों को ढेर कर दिया, जो कई हमलों और कट्टरपंथी नेटवर्क से जुड़े थे.

घने जंगल, खुफिया इनपुट और एक खतरनाक घुसपैठ

सेना की राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट को केलर क्षेत्र के शोइकल जंगल में आतंकियों की मौजूदगी की पुख्ता खुफिया जानकारी मिली थी. इसके तुरंत बाद, सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने संयुक्त रूप से इलाके को घेर लिया. यह इलाका न केवल घना और दुर्गम है, बल्कि लंबे समय से आतंकियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बना हुआ था. लेकिन इस बार सुरक्षा बलों ने उन्हें चौंकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

गोलियों की गूंज और आतंकियों का अंत

जैसे ही सुरक्षा बल आगे बढ़े, आतंकियों को घिरने का एहसास हुआ. उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद दोनों ओर से जबरदस्त मुठभेड़ हुई. इस भीषण एनकाउंटर में तीन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी ढेर कर दिए गए. मारे गए आतंकियों की पहचान और उनकी नेटवर्किंग को लेकर जांच जारी है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, ये तीनों आतंकी शोपियां, पुलवामा और कुलगाम जैसे संवेदनशील जिलों में सक्रिय रहे थे और नागरिकों व सुरक्षाबलों पर हमलों में शामिल थे.

ऑपरेशन सिंदूर की गूंज के बीच ‘ऑपरेशन केलर’

ये ऑपरेशन ऐसे वक्त पर हुआ है जब पूरा कश्मीर घाटी पहले से ही तनाव के दौर से गुजर रही है. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी लॉन्च पैड्स को निशाना बनाया था. उस हमले के जवाब में पाकिस्तान की ओर से सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलाबारी की गई थी, जिससे सीमा पर हालात और ज्यादा संवेदनशील हो गए थे. ऐसे में शोपियां में आतंकी मूवमेंट की जानकारी ने सुरक्षा एजेंसियों को तेजी से कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया.

जमीन पर सेना की मौजूदगी और जनता को अलर्ट

मुठभेड़ के बाद सेना ने पूरे क्षेत्र को सैनिटाइज करना शुरू कर दिया. जंगलों की तलाशी ली जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं और आतंकी या हथियार न छिपे हों. सेना ने स्थानीय नागरिकों से अपील की है कि वे सतर्क और सहयोगी रहें. साथ ही यह भी बताया गया है कि इलाके में अगली कुछ रातों तक सघन तलाशी अभियान जारी रहेगा.

आतंकवाद का पुराना अड्डा, अब सर्जिकल जवाब का गवाह

शोपियां, खासतौर पर केलर का इलाका, पिछले एक दशक से आतंकियों का गढ़ रहा है. यहां का दुर्गम भौगोलिक क्षेत्र, घने जंगल और सीमावर्ती रास्तों से नजदीकी, इसे आतंकी मूवमेंट के लिए उपयुक्त बनाते हैं. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. भारतीय सेना की नई रणनीति (प्रोएक्टिव इंटेलिजेंस + क्विक ऑपरेशन + हाई प्रिसिजन फोर्स) ने आतंकियों के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं छोड़ी है.

हर आतंकी मूवमेंट पर सीधा एक्शन

‘ऑपरेशन केलर’ सिर्फ एक एनकाउंटर नहीं था, बल्कि यह संकेत है कि भारत की सुरक्षा नीति अब केवल "प्रतिक्रिया" नहीं, बल्कि "तत्काल और निर्णायक कार्रवाई" पर आधारित है. अब हर आतंकी मूवमेंट का जवाब फॉर्मल या फुल-स्केल ऑपरेशन के जरिए दिया जा रहा है, चाहे वो सीमा पार हो या शोपियां के जंगलों में.

भारत ने यह साफ कर दिया है कि अब वह आतंक के खिलाफ कोई ढील नहीं देगा, न सीमा पार, न भीतर. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान में आतंकी ढांचे को हिलाकर रख दिया और ‘ऑपरेशन केलर’ ने साबित कर दिया कि भारत के अंदर भी अब आतंकियों के लिए कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं बचा है. शोपियां की इन वादियों में अब एक नया संदेश गूंज रहा है: “जहां भी छिपोगे, भारत वहां पहुंच जाएगा.”

ऑपरेशन सिंदूर
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