Begin typing your search...

टूटे सपनों की सामूहिक कब्र बनी कार! पंचकूला में एक ही परिवार के 7 लोगों ने कर्ज से तंग आकर खाया जहर

हरियाणा के पंचकूला में एक ही परिवार के सात सदस्यों की कार में संदिग्ध मौत से सनसनी फैल गई. उत्तराखंड से आए इस परिवार ने कथित तौर पर कर्ज और आर्थिक तंगी से तंग आकर जहर खा लिया. मृतकों में दंपत्ति, उनके तीन बच्चे और दो बुजुर्ग शामिल हैं. पुलिस इस पूरे मामले की कई एंगल से जांच कर रही है.

टूटे सपनों की सामूहिक कब्र बनी कार! पंचकूला में एक ही परिवार के 7 लोगों ने कर्ज से तंग आकर खाया जहर
X
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 27 May 2025 6:42 AM IST

टूटे सपनों की सामूहिक कब्र बनी कार! पंचकूला में एक ही परिवार के 7 लोगों ने कर्ज से तंग आकर निगला जहरपंचकूला की एक सुनसान सड़क पर खड़ी कार से देर रात जो ख़बर निकली, उसने पूरे इलाके को दहला दिया. एक ही परिवार के सात लोगों की मौत ने उस भयावह मंजर की याद दिला दी, जो सालों पहले दिल्ली के बुराड़ी में देखा गया था. लेकिन यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं थी. यह एक परिवार की आर्थिक बदहाली, टूटते कारोबार और बिखरते सपनों की त्रासदी थी. देहरादून से हरियाणा पहुंचे इस परिवार ने उम्मीदों के साथ नया जीवन शुरू किया था, लेकिन कर्ज की चक्की में पिसते हुए उन्होंने ज़िंदगी से हार मान ली.

सेक्टर 27 के एक सुनसान प्लॉट के सामने खड़ी देहरादून नंबर की कार अब जांच का केंद्र बन गई है. इसी कार में प्रवीण मित्तल, उनकी पत्नी, तीन बच्चे और माता-पिता को संदिग्ध हालात में जहर खाया हुआ पाया गया. राहगीरों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और सभी को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने एक-एक कर सभी को मृत घोषित कर दिया.जिंदा बचे प्रवीण की हालत भी नाजुक थी और अंततः उन्होंने भी सरकारी अस्पताल में दम तोड़ दिया. कार से बच्चों के बैग, खाना, कपड़े और घरेलू सामान मिले, जो इस बात की गवाही देते हैं कि यह कोई क्षणिक निर्णय नहीं था, बल्कि एक सोच-समझकर उठाया गया अंतिम कदम था.

कर्ज ने छीनी जीने की वजह

पुलिस जांच में सामने आया है कि यह परिवार लंबे समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. देहरादून में शुरू किया गया टूर एंड ट्रैवल्स का कारोबार घाटे में चला गया, जिससे उबरने के लिए उन्होंने कर्ज पर कर्ज लिया. मगर नुकसान बढ़ता गया और उम्मीदें घटती गईं. पंचकूला में किराये के मकान में रह रहे इस परिवार की हालत ऐसी हो गई कि उन्हें कोई रास्ता नज़र नहीं आया. परिवार के करीबी लोग भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्रवीण मित्तल आर्थिक तनाव में थे और मानसिक रूप से बेहद टूट चुके थे.

सवालों से घिरी जांच, सुरागों की तलाश जारी

घटनास्थल पर डीसीपी हिमाद्रि कौशिक समेत क्राइम ब्रांच और फॉरेंसिक टीम पहुंची और साक्ष्य जुटाए. शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का माना जा रहा है, लेकिन पुलिस अभी इसे पूरी तरह अंतिम निष्कर्ष नहीं मान रही. परिवार के फोन, लेन-देन से जुड़े दस्तावेज़ और अन्य डिजिटल सबूतों की जांच की जा रही है. पुलिस यह भी जानने की कोशिश कर रही है कि क्या इस सामूहिक कदम के पीछे कोई मानसिक, सामाजिक या अन्य दबाव भी था, या फिर यह केवल आर्थिक संकट का परिणाम था.

समाज को झकझोरने वाला संदेश

यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के सामने एक आईना है. जब तक कर्ज और असफलता को शर्म या अपराध समझा जाएगा, तब तक ऐसी घटनाएं रुकेंगी नहीं. यह कहानी बताती है कि आर्थिक विफलता केवल आर्थिक नहीं होती. यह मानसिक, पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर भी तोड़ देती है. जरूरत है कि हम आर्थिक रूप से असफल हो चुके लोगों को सहारा दें, ना कि उन्हें अकेला छोड़ दें.

crime
अगला लेख