'ऑपरेशन सिंदूर' पर फिल्म बनाने की रेस शुरू, टाइटल बुकिंग के लिए प्रोड्यूसर्स में मची होड़, IFTPC को मिली दर्जनों एप्लीकेशन
'ऑपरेशन सिंदूर' जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है फिर चाहे वह आम इंसान हो या बड़ा से बड़ा सेलेब्रिटी, जिसने 26 निर्दोष मृतकों की मौत का ऐसा करारा जवाब दिया है कि आधी रात को हिन्दुस्तान ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी. अब वहीं कई फिल्म प्रोड्यूसर्स इस मिशन पर फिल्म बनाने की होड़ में लग गए हैं.

पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा हाल ही में शुरू किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पूरे देश में देशभक्ति की भावना और राष्ट्रीय गर्व की लहर दौड़ पड़ी है. इस भावना को सिनेमाई रूप देने के लिए अब भारतीय फिल्म इंडस्ट्री भी पूरी तरह से एक्टिव हो गई है. बड़ी संख्या में फिल्म प्रोड्यूसर इस मिशन और उससे जुड़ी घटनाओं पर बेस्ड फिल्में और वेब सीरीज़ बनाने की योजना बना रहे हैं. 'ऑपरेशन सिंदूर' जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है फिर चाहे वह आम इंसान हो या बड़ा से बड़ा सेलेब्रिटी, जिसने 26 निर्दोष मृतकों की मौत का ऐसा करारा जवाब दिया है कि आधी रात को हिन्दुस्तान ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी.
टाइटल रजिस्ट्रेशन की बाढ़
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IMPPA) और भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन प्रोड्यूसर्स काउंसिल (IFTPC) को बीते दो दिनों में 40 से ज़्यादा टाइटल रजिस्ट्रेशन के एप्लीकेशन मिले हैं, जिनमें ज़्यादातर टाइटल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘पहलगाम आतंकी हमले’ से संबंधित हैं.
10–12 एप्लीकेशन
IFTPC के सचिव सुरेश अमीन ने बताया कि बुधवार दोपहर 3 बजे से ही हमें प्रोड्यूसर्स कंपनियों से टाइटल रजिस्ट्रेशन के एप्लीकेशन मिलने लगे. अब तक हमें लगभग 10–12 ऐसे एप्लीकेशन मिले हैं जो सीधे तौर पर 'ऑपरेशन सिंदूर' या पहलगाम हमले से जुड़े हैं. ये एप्लीकेशन बॉलीवुड के कुछ बड़े प्रोडक्शन हाउस की ओर से भेजे गए हैं और इनमें फिल्मों के साथ-साथ वेब सीरीज के टाइटल भी शामिल हैं.' उन्होंने आगे बताया कि अधिकारियों ने मुंह जुबानी कुछ प्रोड्यूसर्स से अपील की है कि वे फिलहाल इस विषय पर आवेदन भेजने से परहेज़ करें, ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके.
IMPPA में भी दर्जनों टाइटल रजिस्टर
IMPPA के पदाधिकारी हरेश पटेल ने जानकारी दी कि हमने दो दिनों में लगभग 25 एप्लीकेशन मिले हैं. इनमें से दो रीजनल लैंग्वेजेज के लिए हैं और बाकी सभी हिंदी में हैं. टाइटल उसी प्रोड्यूसर को मिलेगा, जिसने सबसे पहले एप्लीकेशन किया है. हमारा नियम है कि हम किसी को भी एप्लीकेशन से मना नहीं कर सकते. सोर्स के अनुसार, इस टाइटल रेस में बॉलीवुड के कई दिग्गज नाम सामने आए हैं, जैसे - जॉन अब्राहम का प्रोडक्शन हाउस, आदित्य धर (उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक फेम),महावीर जैन, मधुर भंडारकर, अशोक पंडित स्टूडियो जैसे ज़ी स्टूडियो, रिलायंस, जेपी फिल्म्स, बॉम्बे शो स्टूडियो, और ऑलमाइटी मोशन पिक्चर भी शामिल हैं.
क्या होगा फिल्म और सीरीज का टाइटल?
बता दें कि इन एप्लीकेशन में कई फिल्म और सीरीज़ टाइटल्स शामिल हैं, जैसे- ऑपरेशन सिंदूर, ऑपरेशन सिंदूर मैग्नम, पहलगाम: द हॉरिफिक टेरर, द पहलगाम टेरर, सिंदूर ऑपरेशन. इतना ही नहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए ट्रेडमार्क एप्लीकेशन भी रजिस्टर्ड कर दिया है, जो कि क्लास 41 के तहत आता है. इसमें एंटरटेनमेंट, मीडिया और कल्चरल सर्विसेज शामिल होती हैं.
क्या कहते हैं इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स?
फिल्म ट्रेड एनालिस्ट अतुल मोहन का कहना है कि पिछले कुछ सालों में यह एक चलन बन गया है कि जैसे ही कोई राष्ट्रीय महत्व की घटना होती है, प्रोड्यूसर्स उससे जुड़े नामों को फौरन रजिस्टर कराने की होड़ में लग जाते हैं. हमने पहले भी देखा है कि 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' और 'आर्टिकल 370' जैसी फिल्मों के समय टाइटल रजिस्ट्रेशन को लेकर कितनी तेज़ी आई थी. अब प्रोड्यूसर्स अपने प्रभाव और कॉन्टेक्ट्स के ज़रिए कोशिश करते हैं कि उन्हें ही वो टाइटल मिल जाए जो सबसे ज़्यादा चर्चा में है. इससे उनकी फिल्म को दर्शकों से पहले से जुड़ाव मिल जाता है. हालांकि अतुल मोहन यह भी मानते हैं कि अंत में कंटेंट ही सबसे बड़ा हथियार होता है क्योंकि टाइटल अट्रैक्ट कर सकता है, लेकिन फिल्म तभी चलेगी जब उसमें दमदार कहानी और ईमानदारी हो.'