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Panchayat Season 4 महा रिव्यू: परवान चढ़ी रिंकी और सचिव जी की लव स्टोरी, मगर मिसिंग है कॉमेडी का पंच

कुछ दर्शकों और क्रिटिक का मानना है कि इस सीजन में कॉमेडी का डोज पिछले सीजनों की तुलना में कम है. कहानी को खिंची हुई और कुछ एपिसोड्स को बोरिंग" बताया गया है. मंजू देवी और क्रांति देवी के बीच पंचायत चुनाव की जंग कहानी का मुख्य आकर्षण है.

Panchayat Season 4 महा रिव्यू: परवान चढ़ी रिंकी और सचिव जी की लव स्टोरी, मगर मिसिंग है कॉमेडी का पंच
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( Image Source:  X )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 24 Jun 2025 12:25 PM

'पंचायत' का चौथा सीजन 24 जून 2025 को अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज हो चुका है, और इसे लेकर दर्शकों और क्रिटिक की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. यह सीजन फुलेरा गांव में पंचायत चुनाव, रिंकी और सचिव जी (अभिषेक) की लव स्टोरी, और ग्रामीण राजनीति के इर्द-गिर्द घूमता है. आइए, इसके मिक्स रिव्यू पर नजर डालते हैं. आखिर क्या है जो पंचायत सीजन 4 को खास और देखने लायक बनाता है.

शुरुआत करते हैं सबसे कुछ पॉजिटिव रिव्यू से कई दर्शकों ने सीजन 4 की कहानी को इमोशनली रिच और आकर्षक बताया है. इसे सिनेमा का इंस्टिट्यूशन" करार देते हुए स्टोरीटेलिंग, स्क्रीनप्ले और इमोशंस को मास्टरक्लास बताया. किरदारों की एक्टिंग को शानदार माना गया है, जितेंद्र कुमार, नीना गुप्ता, रघुबीर यादव, और दुर्गेश कुमार जैसे कलाकारों ने अपने किरदारों में जान डाल दी है, जो दर्शकों को हंसाते, रुलाते और गुस्सा भी दिलाते हैं. वहीं जो इस बार सबसे ज्यादा हाईलाइटेड है वो है सचिव जी और प्रधान जी की एक लौटी बिटिया रिंकी की बढ़ती लव स्टोरी जो इस सीजन में अपने अंजाम तक पहुंच ही गई है.

हर बार दिल जीत लेता है फुलेरा

अब आगे बढ़ते हैं गांव फुलेरा की तरफ जो हर बार अपनी सादगी और कॉमिक अंदाज से दिल जीतने में कामयाब रहता है. खास तौर पर खाने से जुड़े सीन्स, जैसे लौकी और समोसे की चटनी वाली बहस, दर्शकों को खूब गुदगुदाती है. क्रांति देवी और मंजू देवी के बीच चुनावी जंग को मजेदार तरीके से दिखाया गया है, जो ग्रामीण राजनीति के रंग को उभारता है.

शुरुआत के छह एपिसोड बोरिंग

कुछ दर्शकों और क्रिटिक का मानना है कि इस सीजन में कॉमेडी का डोज पिछले सीजनों की तुलना में कम है. कहानी को खिंची हुई और कुछ एपिसोड्स को बोरिंग" बताया गया है, खासकर शुरुआती छह एपिसोड. एक एक्स पोस्ट में यूजर ने लिखा कि पहले दो एपिसोड बोरिंग हैं, और मास्टर साहब जैसे छोटे किरदार ही मुख्य किरदारों पर भारी पड़ते हैं. कई फैंस का मानना है कि यह सीजन पहले तीन सीजनों की तरह मजेदार नहीं है. कुछ दर्शकों को लगता है कि कहानी में नयापन की कमी है, और यह पिछले सीजनों की सफलता को दोहराने की कोशिश में चूक गया.

क्या है खास

मंजू देवी और क्रांति देवी के बीच पंचायत चुनाव की जंग कहानी का मुख्य आकर्षण है. बनराकस की चालबाजियां और गांव का बंटवारा ड्रामा जोड़ता है. सचिव जी और रिंकी का रिश्ता आगे बढ़ता है, और सचिव जी प्यार में चार महीने और गांव में रुकते हैं. मंजू देवी चुनाव हार जाती हैं, बनराकस जीतता है, और प्रहलाद को विधायकी का ऑफर मिलता है. कुल मिलकार वीकेंड में अपने परिवार के साथ इस सीरीज का आनंद लिया जा सकता है.

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