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टीवी की 'शांति' से लेकर क्रिकेट प्रेजेंटर तक, बेहद दिलचस्प रही है Mandira Bedi की जर्नी

2003 में, मंदिरा आईसीसी (ICC) क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान भारत की पहली महिला क्रिकेट प्रेसेंटेर्स में से एक के रूप में बनीं. क्रिकेट के प्रति उनका जुनून तब स्पष्ट हुआ जब वे 2002 चैंपियंस ट्रॉफी देखने के लिए श्रीलंका गईं.

टीवी की शांति से लेकर क्रिकेट प्रेजेंटर तक, बेहद दिलचस्प रही है Mandira Bedi की जर्नी
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 15 April 2025 9:06 AM IST

मंदिरा बेदी (Mandira Bedi) की सफलता के पीछे वेर्सटिलिटी,शानदार एक्टिंग खेल कमेंटरी और फैशन में बाधाओं को तोड़ने की एक अनकही कहानी है. 15 अप्रैल, 1972 को कोलकाता, भारत में जन्मी, वह पंजाब के फाजिल्का में रहने वाले परिवार में पली-बढ़ी और मुंबई में सोफिया पॉलिटेक्निक कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. मंदिरा को दूरदर्शन के पॉपुलर शो 1994 के 'शांति' में अपने लीड रोल से पॉपुलैरिटी मिली, जिसने उन्हें भारत के पहले डेली सोप स्टार्स में से एक के रूप में घर-घर में जाना जाने वाला नाम बना दिया.

शो की पहुंच बहुत बड़ी थी, कथित तौर पर इसे अपने पीक पर 20 करोड़ से अधिक लोगों ने देखा था. उन्होंने शाहरुख खान और काजोल के साथ 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' (1995) में प्रीति सिंह की सपोर्टिव भूमिका के साथ बॉलीवुड में शुरुआत की. इन सालों में, वह 'औरत', 'दुश्मन', और 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' जैसे टीवी शो में दिखाई दीं, जहां उन्होंने अपनी रेंज का परफॉर्म करते हुए निगेटिव भूमिकाएं निभाईं. उनकी फिल्म क्रेडिट में 'साहो' (2019), 'द ताशकंद फाइल्स' (2019), और 'स्मोक', 'रोमिल एंड जुगल', और 'क़ुबूल है' 2.0 जैसी वेब सीरीज़ शामिल हैं.

आसान नहीं था क्रिकेट प्रजेंटर बनना

2003 में, मंदिरा आईसीसी (ICC) क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान भारत की पहली महिला क्रिकेट प्रेसेंटेर्स में से एक के रूप में बनीं. क्रिकेट के प्रति उनका जुनून तब स्पष्ट हुआ जब वे 2002 चैंपियंस ट्रॉफी देखने के लिए श्रीलंका गईं. हालांकि पुरुष-प्रधान क्रिकेट की दुनिया में उनका एंटर होना आसान नहीं था. मंदिरा को क्रिकेटरों और पैनलिस्टों से जेंडर भेदभाव का सामना करना पड़ा था. इस बात खुलासा एक्ट्रेस ने अपने एक इंटरव्यू में किया था. करीना कपूर के शो 'वूमेंस व्हाट' में मंदिर ने क्रिकेट प्रेजेंटर जर्नी में उन्हें शुरूआती दौर में कई बार अपमानित होना पड़ा. लोग आपके पीठ पीछे कहते हैं वह क्या कर रही है? वह क्रिकेट पर चर्चा क्यों कर रही हैं? और मैं वहां सर झुकाकर रोने लगती थी.' करीना के साथ इस इंटरव्यू मंदिर ने कहा था कि एकमात्र दिग्गज जो उनका सम्मान करते थे, वह थे पूर्व भारतीय कप्तान और करीना कपूर के ससुर मंसूर अली खान पटौदी थे.

मंदिरा और राज कौशल की लव स्टोरी

1996 में मुकुल आनंद के ऑफिस में मंदिर और राज कौशल की मुलाकात हुई जिन्हें 'प्यार में कभी कभी' और 'शादी के लड्डू' जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है. यह एक ऐसा अहम पल जिसने उनके रिश्ते को और मज़बूत किया. मंदिरा उस समय एक उभरती हुई एक्ट्रेस थीं और 'शांति' के लिए जानी जाती थी. राज को मंदिर पहली मुलाकात से ही पसंद आ गई थी, पर उनकी एक्ट्रेस नंबर तक मांगने की हिम्मत नहीं थी. फिर उन्होंने एक विज्ञापन में काम करने के लिए उनका नंबर मांगा मंदिरा ने झिझकते हुए उन्हें अपना लैंडलाइन नंबर दे दिया और इस तरह से उनके सफर की शुरुआत हुई. दोनों एक दूसरे को सालों डेट किया और फिर 1999 में करीबी दोस्तों और परिवार के बीच शादी रचाई. इस कपल साल 2011 में बेटे वीर का स्वागत किया. इसके बाद उन्होंने एक बेटी को अडॉप्ट किया. हालांकि मंदिर की हंसती खेलती जिंदगी में तूफ़ान तब आया जब साल 2021 में राज का हार्ट अटैक से निधन जो गया. मंदिरा से पूरी तरह से टूट गई.

बतौर डिजाइनर शुरुआत

मंदिरा ने फैशन में कदम रखा, 2013 में अपना सिग्नेचर साड़ी स्टोर लॉन्च किया और लक्मे फैशन वीक 2014 में एक साड़ी कलेक्शन के साथ एक डिजाइनर के रूप में शुरुआत की. एनिमल्स राइट्स के लिए वोकल सपोर्टर, उन्होंने पेटा के लिए नकली लेदर का प्रमोशन किया. उनकी फिटनेस जर्नी ने भी कई लोगों को इंस्पायर्ड किया, जिसमें उनके वर्कआउट वीडियो शामिल हैं, जिन्हें मौनी रॉय जैसे साथियों से तारीफें मिली.

साड़ी पर विवाद

मंदिरा बेदी को 2007 में क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल के दौरान एक विवाद का सामना करना पड़ा, जिसे उन्होंने चारू शर्मा के साथ सेट मैक्स पर होस्ट किया था. उन्होंने सत्य पॉल द्वारा डिज़ाइन की गई साड़ी पहनी थी, जिसमें सभी भाग लेने वाले क्रिकेट देशों के नेशनल फ्लैग बने थे. भारतीय तिरंगे को उनकी कमर के नीचे रखने से नाराजगी फैल गई, क्योंकि यह राष्ट्रीय सम्मान का प्रति प्रिवेंशन ऑफ़ इंसल्ट्स एक्ट, 1971 का उल्लंघन था. जो यह कहता है कि भारतीय तिरंगे को कपड़ों पर केवल कमर के ऊपर ही प्रदर्शित किया जाए. रिपोर्टों में उल्लेख किया गया है कि साड़ी का डिज़ाइन, जबकि क्रिकेट की एकता का प्रतीक था, इसे एक गलत कदम के रूप में देखा गया. जिसके बाद भारी आलोचना के चलते मंदिर को माफ़ी मांगनी पड़ी थी.

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