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'जवान नहीं दिखूंगी तो मिलेगा मां और दादी का किरदार...एक्टर्स को देता है तनाव', शेफाली की अचानक मौत के बाद क्या कुछ बोले छाबड़ा?

शेफाली जारीवाल की मौत के बाद मुकेश छाबड़ा ने बताया कि कैसे आजकल की युवा अभिनेत्रियां इस डर से जूझती हैं कि अगर उम्र का असर दिखने लगा तो उन्हें रोल मिलना बंद हो जाएगा या फिर केवल मां, बहन जैसे किरदार ही मिलेंगे. एक्टर्स की उम्र नहीं होती, लेकिन उन्हें यकीन दिलाना मुश्किल है'. मुकेश छाबड़ा ने आगे कहा कि, सबसे ज़्यादा जो मानसिक दबाव होता है वो ये कि काम सीमित है और एक्टर्स बहुत हैं.

जवान नहीं दिखूंगी तो मिलेगा मां और दादी का किरदार...एक्टर्स को देता है तनाव,  शेफाली की अचानक मौत के बाद क्या कुछ बोले छाबड़ा?
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Published on: 30 Jun 2025 7:57 PM

अभिनेत्री और मॉडल शेफाली जरीवाला की असमय और रहस्यमयी मौत ने फिल्म और टेलीविज़न इंडस्ट्री को गहरे सदमे में डाल दिया है. उनके निधन ने एक बार फिर उन मानसिक और शारीरिक दबावों को उजागर कर दिया है जिनसे कलाकार, खासकर युवा महिला कलाकार, दो-चार होते हैं- विशेषकर उम्र बढ़ने और लुक्स को लेकर.

शेफाली जारीवाल की मौत के बाद मुकेश छाबड़ा ने NDTV से बात करते हुए कहा कि, उन्होंने बताया कि कैसे आजकल की युवा अभिनेत्रियां इस डर से जूझती हैं कि अगर उम्र का असर दिखने लगा तो उन्हें रोल मिलना बंद हो जाएगा या फिर केवल मां, बहन जैसे किरदार ही मिलेंगे. एक्टर्स की उम्र नहीं होती, लेकिन उन्हें यकीन दिलाना मुश्किल है'. मुकेश छाबड़ा ने आगे कहा कि, सबसे ज़्यादा जो मानसिक दबाव होता है वो ये कि काम सीमित है और एक्टर्स बहुत हैं.

खासकर युवा लड़कियों को ये दबाव होता है कि वो बूढ़ी न दिखें. हम उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं कि एक्टर्स की कोई उम्र नहीं होती. उन्होंने कहा कि यह डर, कि अगर अब रोल नहीं मिला तो आने वाले कुछ सालों में चेहरे पर उम्र दिखने लगेगी, उन्हें अंदर से खा जाता है. इसके चलते बहुत सी अभिनेत्रियां एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट्स और सेल्फ-मेडिकेशन तक का सहारा लेती हैं.

छाबड़ा ने बताया कि आजकल के कलाकारों में 'self-created doubt' बढ़ता जा रहा है. हर कोई इस दबाव में है कि हम उम्र खो रहे हैं," उन्होंने कहा, उन्होंने ये भी जोड़ा कि उम्र से डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अब OTT प्लेटफॉर्म्स और अलग-अलग फिल्मों में हर आयु वर्ग के कलाकारों के लिए मौके हैं. एज से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि यहां हर एक्टर के लिए काम है.

कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा का मानना है कि उम्र बढ़ने के साथ जब कलाकार मुख्य भूमिकाओं से हटकर सहायक या कैरेक्टर रोल की ओर बढ़ते हैं, तो उन्हें उस "ट्रांजिशन फेज" को बिना झिझक अपनाना चाहिए, जिन स्थापित कलाकारों ने सालों तक मुख्य किरदार निभाए हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि उम्र के साथ किरदार बदलते हैं. उस बदलाव को सम्मानपूर्वक स्वीकार करना ज़रूरी है," छाबड़ा ने कहा. उन्होंने आगे कहा कि उम्र का बदलाव करियर का अंत नहीं होता, बल्कि नए प्रकार के किरदारों की शुरुआत हो सकती है.

“काम की तलाश में टूट जाते हैं युवा कलाकार”

मुकेश छाबड़ा ने आज के संघर्षशील कलाकारों की स्थिति पर भी चिंता जताई, उन्होंने बताया कि जो युवा अभिनेता और अभिनेत्रियां उनके पास काम की तलाश में आते हैं, वे अक्सर मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक और समय के दबाव से जूझ रहे होते हैं. जो युवा कलाकार मेरे पास आते हैं, उनके पास तरह-तरह के तनाव होते हैं. फाइनेंशियल, सोशल, फैमिली और समय का प्रेशर कि इतने साल हो गए, कुछ नहीं हुआ. कई लोग डिप्रेशन में आकर वापस लौट जाते हैं. उन्होंने भावुक होते हुए कहा.

शेफाली जरीवाला की मौत: वजह अब भी रहस्य

अभिनेत्री शेफाली जरीवाला की अचानक हुई मौत की वजह अभी तक साफ़ नहीं हो पाई है. हालांकि शुरुआती रिपोर्टों में हार्ट अटैक, लो ब्लड प्रेशर, और गैस्ट्रिक कॉम्प्लिकेशंस जैसे कारणों का ज़िक्र किया गया है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, सेल्फ-मेडिकेशन और एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट्स के असर को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जांच एजेंसियां सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए मामले की जांच कर रही हैं.

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