Begin typing your search...

Tihar Jail Break Insider: Bikini Killer Charles Sobhraj ने जेल से साथ भागे कैदियों को भी ‘ठग’ लिया

तिहाड़ जेल ब्रेक में शामिल अजय कुमार सिंह ने 39 साल बाद उस दिन की सच्चाई बताई. उन्होंने बताया कि कैसे चार्ल्स शोभराज ने उन्हें धोखा दिया और बाकी कैदियों से अलग किया. इस सनसनीखेज कांड में जेल तोड़कर भागने के बाद उनकी कहानी ने सबको हैरान कर दिया. अजय ने उस दिन की अंदर की बातें स्टेट मिरर हिंदी के पॉडकास्ट में खुलकर साझा की.

Tihar Jail Break Insider: Bikini Killer Charles Sobhraj ने जेल से साथ भागे कैदियों को भी ‘ठग’ लिया
X
संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 29 April 2025 4:00 PM IST

“चोर चोरी से जाए हेरा-फेरी से न जाए” बिकिनी किलर-लेडी किलर (Bikini Killer) के नाम से दुनिया में बदनाम मास्टरमाइंड ठग चार्ल्स शोभराज (Charles Sobhraj), इस कहावत पर खूब अमल करता था. उसकी आदत थी कि जिस सीढ़ी पर पांव रखकर छत तक पहुंचे, सबसे पहले उसी सीढ़ी को लात मारकर गिरा देता था. ताकि कोई और पीछे से छत पर न चढ़ सके. ऐसा ही कुछ इस महाधूर्त मास्टरमाइंड ने उन खूंखार अपराधियों के साथ भी किया था, जिन्होंने उसे (चार्ल्स शोभराज) को तिहाड़ जेल ब्रेक (Tihar Jail Break) करके भगाने का इंतजाम किया था. अब से 39 साल पहले यानी 16 मार्च 1986 को.

यह तमाम सनसनीखेज खुलासे किए हैं तिहाड़ जेल ब्रेक के दौरान विचाराधीन कैदी रह चुके अजय कुमार सिंह ने. अजय कुमार सिंह इस वक्त 71-72 साल के हो चुके हैं. अजय कुमार सिंह (Jail Break Ajay Kumar Singh) उन पांच कैदियों में से एक खुद भी थे, जो तिहाड़ जेल तोड़कर भागे थे. अजय कुमार सिंह ने यह तमाम अंदर की बातें बेबाकी से बयान कीं है, स्टेट मिरर हिंदी के पॉडकास्ट के होस्ट और एडिटर क्राइम संजीव चौहान (Sanjeev Chauhan)के साथ. अजय कुमार सिंह दुनिया के वो पहले शख्स हैं जो उस तिहाड़ जेल ब्रेक के ‘इनसाइडर’ हैं. तो जाहिर सी बात है कि जब वे खुद ही उस दिन तिहाड़ जेल से भागे थे, तब ऐसे में उस जेल ब्रेक कांड की अंदर की जानकारी भी इनसे ज्यादा किसे होगी और क्यों-कैसे होगी?

जेल ब्रेक करने के बाद 39 साल खामोश रहा...

एक सवाल के जवाब में अजय कुमार सिंह कहते हैं कि, दरअसल मैं जब 39 साल से खामोश था. तो आइंदा भी तिहाड़ जेल ब्रेक को लेकर मैं कभी नहीं बोलता. मुझे तो तब बाहर आकर बोलना पड़ा जब, नेटफिलिक्स ने अपनी दुकान चलाने के लिए ‘ब्लैक वारंट’ सीरीज ही उस जेल ब्रेक कांड पर बना ली. और उसमें न मालूम कहां कहां से बे-सिरपैर की ऊट-पटांग बातें-झूठ-सच सब भरकर जनमानस के बीच लाकर परोस दिया है. मसलन, तिहाड़ जेल ब्रेक वाले दिन जेल के भीतर चार्ल्स शोभराज और उसके साथ भागने वाले हम पांचो ने (खुद अजय कुमार सिंह, लक्ष्मी नारायण सिंह, बजरंग लाल, बृजमोहन शर्मा), चार्ल्स शोभराज का बर्थडे मनाया. केक काटी. सच्चाई तो यह है कि उस दिन हम पांच में से किसी का न तो जेल के भीतर बर्थडे ही मना और न ही केक काटा गया.

तिहाड़ से फरारी के बाद, पुलिस से बचने का चैलेंज

उस दिन की कहानी को आगे बढ़ाते हुए अजय कुमार सिंह बताते हैं, “तिहाड़ जेल तोड़कर उसके मुख्य द्वार से बाहर आने के बाद. हम सबके सामने चुनौती थी सुरक्षित बिना पकड़े हुए ही दिल्ली की सीमा से बाहर निकलना. इसके लिए पहले से तय था कि दिल्ली से बाहर हरियाणा की हद में घुसने के लिए गुड़गांव (आज का गुरुग्राम) सबसे करीबी बार्डर है. जेल के बाहर पहले से मोटर साइकिल लिए तैयार खड़ा चार्ल्स शोभराज का ब्रिटिश मूल का दोस्त डेविड हेडली मिला. उसकी मोटर साइकिल पर चार्ल्स बैठ गया. जबकि बाकी हम पांचों को कार से भगा ले जाने के लिए देव कुमार त्यागी तैयार खड़ा था.”

गुड़गांव पहुंचते ही मोटर साइकिल पंक्चर हुई

जैसे ही हम गुरुग्राम की हद में पहुंचे डेविड हॉल की वो मोटर साइकिल पंक्चर हो गई जिस पर पीछे चार्ल्स शोभराज बैठा था. हमने पंक्चर हो चुकी मोटर साइकिल गुड़गांव में मौके पर ही छोड़ दी. अब हम सातो तिहाड़ जेल के भगोड़े एक ही कार में आ गये. देवकुमार त्यागी, अजय कुमार सिंह, चार्ल्स शोभराज, डेविड हॉल, बजरंग लाल, बृजमोहन शर्मा और लक्ष्मी नारायण सिंह. हमारी कार देव कुमार त्यागी चला रहा था. बाकी हम छह लोग मय चार्ल्स शोभराज के कार में ठूंस-ठूंस कर बैठे हुए थे. क्योंकि कार छोटी और हम 7 लोग थे. गुड़गांव से हम सब सोहना पहुंचे. वहां कार में पेट्रोल भरवाया.

पुलिस से बचने को बापी से मुंबई पहुंचे

हम जानते थे कि हम सबके द्वारा तिहाड़ जेल तोड़ कर भाग जाने की भनक लगते ही, दिल्ली पुलिस ने देश भर में ‘रेड-अलर्ट’ जारी करके, खुद भी हमारा पीछा करना शुरू कर दिया होगा. लिहाजा पुलिस से बचने के लिए हमने कार को अलवर (राजस्थान) में छोड़ दिया. वहां से देहरादून एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ कर हम लोग अगले दिन तड़के बड़ौदा पहुंचे. बड़ौदा हमें चूंकि बड़ा रेल जंकशन-शहर लगा. वहां पुलिस भी ज्यादा थी. सो हमने बड़ौदा स्टेशन (रेलवे जंकशन) न उतर कर अगले स्टेशन बापी पर जाकर उतरे. बापी से हमने दो टैक्सियां किराए पर लीं और मुंबई पहुंच गए.

मुंबई पहुंचते ही चार्ल्स शोभराज ने ‘ठग’ लिया

बकौल अजय कुमार सिंह, “हम सबके रहम-ओ-करम पर तिहाड़ जेल तोड़कर भागने के बाद मुंबई पहुंचते ही मास्टरमाइंड चार्ल्स शोभराज ने हमारे साथ दांव चलकर जबरदस्त ‘खेल’ कर दिया. जिसका पता हमें बहुत बाद में चला. जैसे ही हम मुंबई पहुंचे चार्ल्स ने मुझे और डेविड हॉल को अपने साथ ले लिया. जबकि जिन लक्ष्मी नारायण, बजरंग, देव कुमार त्यागी, बृजमोहन शर्मा के साथ मैं रहना-जाना चाहता था. उन सबको चार्ल्स ने षडयंत्र के तहत मुझसे अलग करने के लिए दूसरी टैक्सी में भेज दिया.

जेल से भागने बाद खुद को मजबूर महसूस किया

जैसी ही मुझे इसका अंदाजा हुआ तो मैंने चार्ल्स से पूछा. मगर वो टाल गया. मेरे सामने समस्या थी कि उस जमाने में आज की तरह मोबाइल फोन फैसिलिटी तो थी नहीं. अब मैं चार्ल्स द्वारा मुझसे दूर कर दिए गए साथियों से कैसे मिलूं-बात कर सकूं? इसका कोई रास्ता न देखकर, मैं चार्ल्स के साथ ही न चाहते हुए भी हो लिया.”

तिहाड़ जेल ब्रेक के इनसाइडर की हैसियत से अंदर का सच पहली बार जमाने के सामने लाने के लिए स्टेट मिरर हिंदी के पॉडकास्ट में अजय कुमार सिंह की यह हैरान करने वाली कहानी अभी जारी है...

crime
अगला लेख