यूएस फेडरल रिजर्व ने लगातार तीसरी बार रेट किया कम, क्या भारत के शेयर मार्केट पर होगा असर?
अमेरिकी फेडरल रिज़र्व ने 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करते हुए ब्याज दरों को 3.50%-3.75% की रेंज में ला दिया है, जो लगभग तीन साल का न्यूनतम स्तर है. यह लगातार तीसरी कटौती है, लेकिन फेड चेयर जेरोम पावेल ने संकेत दिया कि आगे कटौती पर विराम लगाया जा सकता है. भारतीय बाजारों पर इसका मिश्रित असर देखने को मिल सकता है. एक तरफ ग्लोबल लिक्विडिटी बढ़ने और US बॉन्ड यील्ड घटने से FII फ्लो भारत की ओर बढ़ सकता है, वहीं दूसरी तरफ FII की मौजूदा बिकवाली, रुपये में कमजोरी और भारी IPO सप्लाई बाजार को दबाव में रखती रहेगी.
Federal Reserve Interest Rate Cuts: अमेरिकी फेडरल रिज़र्व (US Fed) ने अपनी ताज़ा मौद्रिक नीति समीक्षा में बेंचमार्क ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है. यह लगातार तीसरी दर कटौती है, जिसके बाद फेड रेट अब 3.50%–3.75% के दायरे में पहुंच गया है, जो लगभग तीन वर्षों का सबसे निचला स्तर माना जा रहा है. हालांकि, कमेटी में मतभेद साफ दिखाई दिए और फेड ने यह संकेत भी दिया कि आगे की कटौतियों पर कुछ समय का ब्रेक लग सकता है.
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TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, फेड चेयरमैन जेरोम पावेल ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था जिस चरण में है, उसे देखते हुए अब केंद्रीय बैंक 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में है. फेड ने अपने बयान में 2024 के अंत के भाषण जैसा ही भाषा प्रयोग किया है, जो यह दर्शाता है कि दर कटौती की प्रक्रिया फिलहाल धीमी या स्थगित हो सकती है. पावेल ने ये भी स्पष्ट किया कि आगे दरों में कितनी और कब कटौती होगी, यह पूरी तरह आने वाले आर्थिक डेटा, रोजगार संकेतों और जोखिम संतुलन पर निर्भर करेगा.
भारतीय बाजारों पर असर: क्या होगा सेंसेक्स–निफ्टी का मूड?
अमेरिका का यह निर्णय वैश्विक बाज़ारों को सीधे प्रभावित करता है और भारत भी इससे अछूता नहीं. भारतीय निवेशक पहले से ही दबाव में हैं क्योंकि पिछले कुछ दिनों में सेंसेक्स 2.05% और निफ्टी 2.16% नीचे आ चुके हैं. विदेशी निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली, रुपये की कमजोरी, भारत–अमेरिका ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता और दर्जनों नए IPO की वजह से लिक्विडिटी का बंटवारा... इन सब ने मिलकर शेयर बाजार में गिरावट की स्थिति पैदा कर रखी है.
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
1. फेड रेट कट - भारत के लिए सकारात्मक संकेत
विजय सिंह गोर (Mirae Asset Sharekhan) के अनुसार, अमेरिका में ब्याज दरों में कमी से ग्लोबल लिक्विडिटी बढ़ती है, और इससे उभरते बाजारों, जैसे भारत, की ओर FIIs का रुझान बढ़ता है. कम अमेरिकी बॉन्ड यील्ड डॉलर एसेट्स को कम आकर्षक बनाती है, जिससे भारतीय बाज़ार में पूंजी का प्रवाह तेज़ हो सकता है और रुपये को भी मजबूती मिलती है. उन्होंने यह भी कहा कि फेड चेयरमैन 2026 में अर्थव्यवस्था के बेहतर होने का संकेत दे रहे हैं, जो निवेशकों के लिए सकारात्मक है.
2. भारतीय मार्केट को थोड़ी राहत मिल सकती है
सुजन हाजरा (Anand Rathi Group) के अनुसार, “फेड की 25 bps कटौती से रुपये पर दबाव कम होगा और FII बिकवाली में कमी आ सकती है. यह भारतीय बाज़ारों के लिए एक राहत संकेत है.” उन्होंने यह भी कहा कि इससे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भी दर कटौती के लिए अधिक स्पेस मिल सकता है, क्योंकि मौजूदा समय में भारतीय महंगाई काफी हद तक नियंत्रण में है.
3. असर सीमित रहेगा, असली गेमचेंजर है अर्निंग्स
डॉ. वी.के. विजयकुमार (Geojit Investments) का कहना है कि फेड का कदम उम्मीद के मुताबिक़ था और उससे बाज़ार को बढ़ावा जरूर मिलेगा, लेकिन इसका नेट-इम्पैक्ट सीमित रहेगा, क्योंकि, FII की लगातार भारी बिकवाली, लगातार आ रहे बड़े IPO और पिछले छह तिमाहियों में कमजोर कॉर्पोरेट नतीजे भारतीय बाज़ार को नीचे दबा रहे हैं. विजयकुमार के अनुसार, बाज़ार में असली उछाल तब आएगा जब 2026 में IPO की रफ्तार धीमी होगी और कमाई (Earnings) में स्पष्ट सुधार दिखेगा. अभी की गिरावट निवेशकों के लिए गुणवत्ता वाले स्टॉक्स में खरीदारी का मौका है- खासकर लार्जकैप और चुनिंदा मिडकैप शेयरों में...
कुल मिलाकर, फेड की कटौती का भारत पर सकारात्मक, लेकिन सीमित असर होगा. इससे FII फ्लो में सुधार की उम्मीद है, रुपया मज़बूत हो सकता है और RBI पर भी रेट कट का दबाव कम होगा... लेकिन बाज़ार की असली रिकवरी अर्निंग्स और IPO सप्लाई पर निर्भर करेगी.





