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बैंक में डाली मोटी रकम, तो बुरे फंस सकते हैं आप? आ सकता है टैक्स नोटिस, एक्सपर्ट ने बताया नियम

अगर आपने हाल ही में अपने बैंक अकाउंट में लाखों रुपये की रकम जमा की है, तो सावधान हो जाइए. बड़ी नकद जमा पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर हमेशा रहती है. कई लोग यह सोचकर निश्चिंत रहते हैं कि सेविंग अकाउंट में पैसा डालना कोई अपराध नहीं, लेकिन इससे मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

बैंक में डाली मोटी रकम, तो बुरे फंस सकते हैं आप? आ सकता है टैक्स नोटिस, एक्सपर्ट ने बताया नियम
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( Image Source:  AI GROK )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 6 Nov 2025 1:26 PM IST

अगर आपने हाल ही में अपने सेविंग्स अकाउंट में बड़ी रकम, जैसे 15 लाख रुपये, जमा किए हैं तो मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि कहीं इनकम टैक्स विभाग का नोटिस तो नहीं आ जाएगा?

बहुत से लोग इस डर से परेशान रहते हैं कि बैंक में ज्यादा कैश डालने से सरकार की नजर उन पर न पड़ जाए. लेकिन क्या सच में हर बड़ा डिपॉजिट टैक्स नोटिस की वजह बनता है? आइए इसे एक आसान कहानी की तरह समझते हैं.

कैसे शुरू होती है ‘कैश डिपॉजिट’ की कहानी

मान लीजिए आपने अपनी जमीन बेची, पुराना बिजनेस बंद किया या किसी रिश्तेदार से गिफ्ट के तौर पर कुछ पैसे मिले. आपने यह रकम अपने सेविंग्स अकाउंट में डाल दी. अब बैंक के रिकॉर्ड में यह लेन-देन दर्ज हो गया और अगर राशि बड़ी है, तो वह सीधे इनकम टैक्स विभाग की नजर में आ सकती है.

अपस्टॉक्स डॉट कॉम के मुताबिक, अगर आप बैंक में बड़ी या संदिग्ध नकद राशि जमा करते हैं और उसका कोई ठोस सबूत नहीं दे पाते, तो विभाग सेक्शन 68 के तहत नोटिस भेज सकता है. ऐसे में आपको यह साबित करना होगा कि पैसा कहां से आया. चाहे वह बिजनेस की बिक्री से हो, किसी गिफ्ट से या किसी अन्य खाते से निकाली गई रकम से.

कब रिपोर्ट करता है बैंक आपकी डिपॉजिट?

इनकम टैक्स ऐक्ट की सेक्शन 285BA के तहत बैंकों को यह जानकारी देनी होती है अगर किसी व्यक्ति ने एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा नकद जमा किया है. यह सीमा एक बार में या पूरे साल में कुल जमा राशि के आधार पर देखी जाती है. इसके अलावा, अगर आप एक ही दिन में 50,000 रुपये से ज्यादा नकद जमा करते हैं, तो आपको PAN नंबर देना जरूरी है. वहीं सेक्शन 269ST कहता है कि किसी एक व्यक्ति से 2 लाख रुपये से अधिक नकद लेना कुछ कंडीशन में बैन है.

कैसे नजर रखता है इनकम टैक्स विभाग?

टैक्स विभाग बड़ी लेन-देन पर नजर रखने के लिए कई सिस्टम्स का इस्तेमाल करता है, जैसे एनुअल इंफॉर्मेशन रिटर्न (AIR), स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन्स (SFT), टीडीएस, टीसीएस और आईटीआर फाइलिंग्स. इन रिपोर्ट्स से अधिकारियों को पता चल जाता है कि किस खाते में कितनी बड़ी रकम जमा हुई है और क्या वह डिक्लेयर इनकम की गई है या नहीं. अगर विभाग को किसी रकम का सोर्स संदिग्ध लगता है, तो सेक्शन 133(6) या सेक्शन 148 के तहत जांच शुरू की जा सकती है.

अगर नहीं बता पाए इनकम सोर्स तो क्या होगा?

अगर आप यह साबित नहीं कर पाए कि पैसा कहां से आया, तो यह आपकी ‘अनएक्सप्लेंड इनकम’ मानी जाएगी. ऐसे मामलों में इनकम टैक्स विभाग सेक्शन 68 या 69A के तहत कार्रवाई करता है और आय पर 60% टैक्स, 25% सरचार्ज और 6% पेनल्टी लगाता है. कुल मिलाकर टैक्स दर 84% तक पहुंच सकती है. इतना ही नहीं, इस रकम पर आपको कोई टैक्स छूट या बेसिक एक्सेम्प्शन लिमिट भी नहीं मिलेगी. पूरा टैक्स उसी पर देना होगा.

नोटिस से कैसे बच सकते हैं?

  • अगर आपके पास हर लेन-देन का सही रिकॉर्ड है, तो डरने की जरूरत नहीं है. हमेशा ध्यान रखें कि –
  • बैंक में जमा हर बड़ी राशि की रसीद या दस्तावेज संभालकर रखें.
  • अगर पैसा किसी संपत्ति की बिक्री, गिफ्ट या सेविंग्स से आया है, तो उसका प्रमाण रखें.
  • समय पर इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करें और पारदर्शिता बनाए रखें.
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