Begin typing your search...

GST दरों में कटौती ने बैंकों की करा दी मौज, त्योहारी सीजन में दोगुना हुआ बैंक लोन; ऑटो-हाउसिंग सेक्टर में रिकॉर्ड मांग

त्योहारी सीजन, GST दरों में कटौती और बढ़ती उपभोक्ता भावना ने इस साल बैंक लोन में रिकॉर्ड उछाल लाया है. सितंबर-अक्टूबर 2025 में बैंकों का लोन वितरण ₹4.1 लाख करोड़ बढ़ा, जो पिछले साल की तुलना में दोगुना है. हाउसिंग, ऑटो और व्हाइट गुड्स सेक्टर में सबसे तेज़ मांग दर्ज हुई. घटती महंगाई, आयकर राहत और नई GST नीति से उपभोग व निवेश दोनों में तेजी आई है, जिससे GDP ग्रोथ को नया बल मिल रहा है.

GST दरों में कटौती ने बैंकों की करा दी मौज, त्योहारी सीजन में दोगुना हुआ बैंक लोन; ऑटो-हाउसिंग सेक्टर में रिकॉर्ड मांग
X
( Image Source:  sora ai )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 2 Nov 2025 12:11 PM

देश में इस साल सितंबर-अक्टूबर के दौरान बैंकों का लोन वितरण पिछले साल की तुलना में दोगुना हो गया है. इसका प्रमुख कारण है - गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) में भारी कटौती, त्योहारी सीजन की मांग और बढ़ती उपभोक्ता भावना. कार, इलेक्ट्रॉनिक्स और घर खरीदने जैसे क्षेत्रों में लोगों ने जमकर खर्च किया, जिससे बैंकों में रिटेल लोन की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताज़ा आंकड़ों में बताया गया है कि 5 सितंबर से 17 अक्टूबर 2025 के बीच बैंकों के कुल कर्ज में ₹4.1 लाख करोड़ की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इस अवधि में बैंक लोन ₹188 लाख करोड़ से बढ़कर ₹192.19 लाख करोड़ पर पहुंच गया. वहीं, पिछले साल इसी अवधि (सितंबर-अक्टूबर 2024) में यह वृद्धि मात्र ₹1.91 लाख करोड़ रही थी.

खरीदारी की लहर: वाहनों और व्हाइट गुड्स की मांग में रिकॉर्ड उछाल

त्योहारी सीजन और आसान क्रेडिट उपलब्धता ने उपभोक्ताओं को खुलकर खर्च करने के लिए प्रेरित किया. उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि यह रफ्तार नवंबर तक बनी रहेगी क्योंकि दीवाली ऑफर्स, कैशबैक स्कीम्स और ईयर-एंड डिस्काउंट्स से उपभोक्ताओं की खरीदारी जारी है. वार्षिक आधार पर देखें तो बैंक क्रेडिट में 11.45% की वृद्धि हुई है - जो पिछले नौ महीनों में सबसे अधिक है. केयरएज रेटिंग्स (CareEdge Ratings) के अनुसार, “बैंक क्रेडिट की यह वृद्धि मुख्यतः त्योहारी सीजन की मौसमी मांग और GST दरों में ऐतिहासिक कटौती के कारण हुई है, खासकर हाउसिंग, ऑटोमोबाइल और व्हाइट गुड्स सेक्टर में.”

सरकार की नई GST नीति बनी गेमचेंजर

सरकार ने 22 सितंबर 2025 से नई GST सुधार नीति लागू की, जिसमें टैक्स दरों को घटाकर सिर्फ दो स्लैब - 5% और 18% में समाहित किया गया. इस “नेक्स्ट-जनरेशन GST रिफॉर्म” ने घरेलू मांग को अप्रत्याशित रूप से बढ़ावा दिया. कैनरा बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के सत्यनारायण राजू ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “GST दरों में कटौती का असर हमें सितंबर के आखिरी सप्ताह से ही दिखने लगा. वाहन ऋण की मांग में तेज उछाल आया है. त्योहारी खरीदारी के साथ-साथ GST में कमी ने हमारे बैंक के वाहन लोन पोर्टफोलियो में जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान 25% से अधिक की वृद्धि दर्ज कराई है.” उन्होंने बताया कि MSME सेक्टर में भी लोन की मांग 12.7% बढ़ी है. “जब खपत बढ़ती है, तो उत्पादन की मांग भी बढ़ती है, जिससे MSME सेक्टर को कार्यशील पूंजी की जरूरत पड़ती है,” राजू ने कहा.

GST कटौती का असर आम उपभोक्ता तक पहुंचा

दो सप्ताह पहले आयोजित एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि GST दरों में की गई कटौती का लाभ आम उपभोक्ता तक पहुंच रहा है. सरकार का मानना है कि इस कदम से उपभोग में तेज़ वृद्धि होगी, जो निवेश को भी प्रोत्साहित करेगी. वैष्णव ने बताया था कि, “पिछले साल भारत का GDP ₹335 लाख करोड़ था, जिसमें से ₹202 लाख करोड़ उपभोग (Consumption) और ₹98 लाख करोड़ निवेश (Investment) था. GST सुधारों की वजह से इस साल उपभोग में 10% से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है, यानी ₹20 लाख करोड़ की अतिरिक्त खपत.” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह वृद्धि नाममात्र (nominal terms) में है, लेकिन इसका असर वास्तविक अर्थव्यवस्था पर भी दिखेगा.

बैंक लोन ग्रोथ H2 में भी मजबूत रहने की उम्मीद

आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही (H2) में भी बैंक लोन की मांग ऊंची बनी रहेगी. कारण हैं - GST में राहत, आयकर में छूट, बेहतर मानसून और घटती महंगाई. बैंक ऑफ बड़ौदा की आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार, “वर्ष की तीसरी तिमाही बेहद उत्साहजनक रहेगी. त्योहारी सीजन में पेंट-अप डिमांड (रुकी हुई मांग) अब रिलीज़ हो रही है. सितंबर की शुरुआत में उपभोक्ताओं ने इसलिए खरीदारी टाल दी थी क्योंकि नई GST संरचना 22 सितंबर से लागू होनी थी.”

महंगाई घटी, जेब में बची ज्यादा रकम

रिपोर्ट में बताया गया है कि कई जरूरी वस्तुओं के दाम 10% तक घटे हैं, जिससे परिवारों के बजट में राहत मिली है. नतीजतन, लोगों के पास डिस्क्रिशनरी खर्च यानी मनचाही वस्तुओं पर खर्च करने के लिए अतिरिक्त पैसा बचा है. सितंबर 2025 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित महंगाई दर घटकर 1.5% रह गई, जो अगस्त में 2.1% थी — यह जून 2017 के बाद सबसे निचला स्तर है. इससे वास्तविक क्रय-शक्ति (real purchasing power) में सुधार आया है और मांग को अतिरिक्त बल मिला है. अर्थशास्त्रियों ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि घटती महंगाई और बढ़ती आय के कारण बाजार में मांग की बाढ़ आएगी. कुछ वस्तुओं की बिक्री में डबल-डिजिट ग्रोथ दर्ज हो सकती है.”

इनकम टैक्स रिलीफ से और बढ़ेगा खर्च

विश्लेषकों ने कहा कि यूनियन बजट 2025-26 में दी गई इनकम टैक्स छूट भी उपभोग को बढ़ावा दे रही है. “हालांकि टैक्स बचत का असर पूरे साल में धीरे-धीरे दिखता है, लेकिन पहले छह महीनों में बची रकम दूसरी छमाही में खर्च को और गति देगी,” रिपोर्ट में कहा गया.

ऑटो, रियल एस्टेट और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में उछाल

त्योहारी महीनों में ऑटोमोबाइल, हाउसिंग और व्हाइट गुड्स सेक्टर में बिक्री के नए रिकॉर्ड बने हैं. ऑटो सेक्टर में लोन की मांग 20–25% तक बढ़ी, रियल एस्टेट में नई बुकिंग्स और होम लोन अप्रूवल्स में 15% से अधिक की वृद्धि हुई, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स (फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन आदि) में 18% की बिक्री वृद्धि देखी गई. उद्योग संगठन सीआईआई का कहना है कि इस बार त्योहारों में शहरी और ग्रामीण दोनों बाजारों में मांग एक साथ उछली है जो 2019 के बाद पहली बार हुआ है.

GDP पर सीधा असर: खपत बनेगी विकास की धुरी

सरकार को उम्मीद है कि यह खपत का उछाल इस वर्ष के GDP ग्रोथ रेट में बड़ा योगदान देगा. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, “हर ₹1 की अतिरिक्त खपत GDP में लगभग ₹1.5 का प्रभाव डालती है.” इसका अर्थ है कि 10% की उपभोग वृद्धि से अर्थव्यवस्था में करीब ₹30 लाख करोड़ का मल्‍टीप्‍लायर इफेक्‍ट पड़ सकता है.

उपभोग से विकास का नया चक्र

GST दरों में कटौती, कम महंगाई, और आयकर में राहत ने मिलकर उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता को नया जीवन दिया है. त्योहारी महीनों में यह उत्साह अब बैंकों की बैलेंस शीट पर भी दिख रहा है - क्रेडिट डबलिंग का यह ट्रेंड न केवल उपभोग में सुधार का संकेत है बल्कि भारत की आर्थिक रिकवरी के लिए एक मजबूत आधार भी साबित हो रहा है. अगर यही रफ्तार नवंबर-दिसंबर तक जारी रही, तो 2025-26 के वित्तीय वर्ष में भारत 12% से अधिक GDP वृद्धि हासिल करने की स्थिति में हो सकता है.

India News
अगला लेख