यूनुस का भी होगा शेख हसीना जैसा अंजाम, उस्मान हादी के भाई ने चेताया; बांग्लादेश में हालात बेहद तनावपूर्ण

बांग्लादेश में युवा नेता और इंक़िलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं. चुनावी कार्यक्रम के दौरान गोली लगने से घायल हादी की सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत हो गई, जिसके बाद देशभर में विरोध-प्रदर्शन और हिंसक झड़पें शुरू हो गईं. हादी के अंतिम संस्कार में उनके भाई अबू बकर ने अंतरिम सरकार और प्रमुख मोहम्मद यूनुस को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि अगर न्याय नहीं दिया गया तो सत्ता में बैठे लोगों को देश छोड़ना पड़ेगा.;

Edited By :  प्रवीण सिंह
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बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है. युवा नेता, कवि और सामाजिक आंदोलनकारी शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद देश में हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं. राजधानी ढाका से लेकर अन्य शहरों तक विरोध-प्रदर्शन, झड़पें और राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है. हादी की मौत ने न सिर्फ सत्ताधारी अंतरिम सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है, बल्कि आने वाले संसदीय चुनावों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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हादी जुलाई 2024 के जनआंदोलन के दौरान एक प्रभावशाली युवा आवाज बनकर उभरे थे और आगामी संसदीय चुनावों में उनकी अहम भूमिका मानी जा रही थी. उनकी हत्या को राजनीतिक साजिश बताते हुए समर्थक पारदर्शी जांच और दोषियों को सजा देने की मांग कर रहे हैं. इस घटना ने बांग्लादेश को एक बार फिर गंभीर राजनीतिक संकट के मुहाने पर ला खड़ा किया है.

चुनावी कार्यक्रम के दौरान गोली मारकर की गई थी हत्या

32 वर्षीय शरीफ उस्मान हादी, जो इंक़िलाब मंच (Inqilab Manch) के प्रवक्ता थे, को 12 दिसंबर को ढाका में एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान गोली मार दी गई थी. गंभीर रूप से घायल हादी को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, लेकिन 18 दिसंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया. जैसे ही उनकी मौत की खबर सामने आई, देशभर में गुस्सा फूट पड़ा और सड़कों पर हजारों लोग उतर आए. हादी की हत्या को सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि युवा राजनीतिक आवाज को दबाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.

अंतिम संस्कार में भाई का खुला ऐलान: “न्याय नहीं दे सकते तो भागना पड़ेगा”

हादी के अंतिम संस्कार के दौरान ढाका के मध्य इलाके में भारी भीड़ उमड़ी. इसी दौरान उनके बड़े भाई अबू बकर ने मंच से बेहद तीखा और भावनात्मक भाषण दिया. उन्होंने सीधे तौर पर अंतरिम सरकार और उसके प्रमुख मोहम्मद यूनुस को चेतावनी देते हुए कहा, “अगर आप न्याय नहीं दे सकते, तो आपको देश छोड़ना होगा.” अबू बकर ने सत्ता में बैठे लोगों पर अपने भाई की हत्या की जिम्मेदारी डालते हुए कहा कि सरकार सच्चाई छुपाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने सवाल उठाया, “आपने उस्मान हादी को मार डाला और अब उसी को दिखाकर चुनाव रद्द करना चाहते हैं?”

“हादी को न्याय नहीं मिला तो आपको भी जाना होगा”

अपने संबोधन में अबू बकर ने साफ शब्दों में कहा कि अगर हादी को इंसाफ नहीं मिला, तो देश की जनता इस सरकार को भी स्वीकार नहीं करेगी. उन्होंने कहा, “अगर हादी को न्याय नहीं मिलता, तो आपको भी यह देश छोड़ना पड़ेगा.” इस बयान के बाद भीड़ में मौजूद लोगों ने जोरदार नारे लगाए - “हादी का खून बेकार नहीं जाएगा” और “हादी कभी झुका नहीं”.

भारी सुरक्षा के बीच जुटी हजारों की भीड़

हादी के जनाज़े में दसियों हजार लोग शामिल हुए. हालात की गंभीरता को देखते हुए पूरे इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया था. फिर भी गुस्साई भीड़ और सुरक्षाबलों के बीच कई जगह तनाव की स्थिति बनी रही. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हादी की हत्या राजनीतिक साजिश का हिस्सा है और इसका मकसद चुनाव से पहले उभरती युवा आवाजों को कुचलना है.

जुलाई 2024 आंदोलन से उभरे थे हादी

शरीफ उस्मान हादी जुलाई 2024 के उस जनआंदोलन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर पहचाने गए थे, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने में बड़ी भूमिका निभाई थी. हादी को उस आंदोलन की सबसे मुखर और निडर आवाजों में गिना जाता था. यही वजह थी कि उन्हें फरवरी में होने वाले संसदीय चुनावों में एक मजबूत संभावित नेता के तौर पर देखा जा रहा था. उनकी हत्या को कई विश्लेषक चुनावी समीकरण बदलने की कोशिश मान रहे हैं.

सरकार पर बढ़ता दबाव, जांच पर सवाल

अबू बकर ने अपने भाषण में मांग की कि “हादी की हत्या में शामिल सभी लोगों को सामने लाया जाए और उन्हें सजा मिले.” फिलहाल सरकार की ओर से जांच का भरोसा दिया गया है, लेकिन सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारी और हादी के समर्थक इसे खोखला आश्वासन बता रहे हैं. विपक्षी दलों ने भी इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने के संकेत दिए हैं.

बांग्लादेश के भविष्य पर मंडराता संकट

हादी की हत्या ने बांग्लादेश को एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा के चौराहे पर ला खड़ा किया है. सवाल यह है कि क्या अंतरिम सरकार जनता के गुस्से को संभाल पाएगी, या फिर यह घटना देश को एक और बड़े राजनीतिक संकट की ओर धकेल देगी. एक बात तय है - शरीफ उस्मान हादी की मौत अब सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि सत्ता और जनता के बीच टकराव की प्रतीक बन चुकी है.

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